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VIP नंबर के चक्कर में हजारों वाहन मालिकों के फंसे करोड़ों रुपये, जानिए कब होगा रिफंड?

वीवीआईपी नंबर लेने के लिए बेस रेट का तिहाई पैसा किया था जमा, नंबर नहीं मिलने के बाद परिवहन विभाग पैसे करता है रिफंड

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वाहनों के वीआईपी नंबरों का खेल. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 27, 2024, 8:11 PM IST

लखनऊः अपने वाहन के लिए वीवीआईपी नंबर की ख्वाहिश रखने वाले मालिक के करोड़ों रुपए फंस गए हैं. अपना मनचाहा नंबर भी नहीं मिला और कई महीने से जमा किए गए पैसे भी वापस नहीं मिल पाए हैं. दरअसल, परिवहन विभाग ने वीवीआईपी नंबरों की नीलामी शुरू की तो हर नंबर का बेस रेट रखा. 00001 से 0009 तक के नंबर का बेस रेट 1 लाख है. ऐसे में नंबर की बोली लगाने वालों को एक तिहाई धनराशि जमा कर रजिस्ट्रेशन करना होता है. यानी 33000 रुपए पहले ही जमा करने होते हैं. जिसके नाम नीलामी में नंबर अलॉट हो जाता है तो जितनी राशि का नंबर बिका होता है, उतने पैसे चुकाने होते हैं. जबकि अन्य हिस्सेदारों को उनका पैसा वापस कर दिया जाता है. लेकिन हाल ही में एसबीआई ने पैसे वापस करने में नियम बदल दिए हैं. इसलिए 15 जुलाई से अब तक प्रदेश भर के हजारों वाहन मालिकों को कई करोड़ रुपए फंस गए हैं. परिवहन विभाग एसबीआई से बात कर रहा है लेकिन अभी कोई नतीजा नहीं निकल पाया है.

आरबीआई के नियम बदलने से फंसे पैसेः बता दें कि वाहन के लिए मनचाहा नंबर लेने की वाहन मालिकों की ख्वाहिश परिवहन विभाग ने बोली की स्कीम लाकर पूरी की थी. अभी तक यह व्यवस्था थी कि नीलामी के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले वाहन मालिक को अगर मनचाहा नंबर नहीं मिलता था तो उनके पैसे वापस अकाउंट पर रिफंड हो जाते थे. लेकिन 15 जुलाई से आरबीआई ने नियमों में परिवर्तन कर दिया और ई कुबेर ऐप लॉन्च कर दिया. इससे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने परिवहन विभाग के खाते के ट्रांजेक्शन पर रिफंड की व्यवस्था खत्म कर दी. ऐसे में प्रदेश भर में मनचाहा नंबर पाने के लिए बोली लगाने वाले लोगों के करोड़ों रुपये परिवहन विभाग के चक्कर में फंस गया है.

वाहन मालिक पैसे वापस करने का बना रहे दबावः परिवहन विभाग ने एसबीआई से मांग की है कि अलग अकाउंट बनाकर खाते से रिफंड की व्यवस्था की जाए. जब यूपी इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड में वही व्यवस्था लागू है तो फिर परिवहन विभाग को भी यही सुविधा दी जाए. बड़ी संख्या में वाहन मालिक अपने पैसे को लेकर परिवहन विभाग से संपर्क कर रहे हैं. एक-एक वाहन मालिक का कई कई लाख रुपये नंबर के एवज में फंस गया है. हालांकि बुधवार को परिवहन विभाग के अधिकारियों ने स्टेट बैंक आफ इंडिया के अधिकारियों और एनआईसी के अधिकारियों के साथ बैठक कर इसका जल्द निराकरण करने की बात कही है.

आरबीआई के नियम बदलने से पैसे अटके. (Video Credit; ETV Bharat)
नीलामी के लिए जमा करना होता है तिहाई पैसाः परिवहन विभाग की तरफ से नीलामी में करीब 346 आकर्षक (वीआईपी) नंबर रखे गए हैं. इन नंबरों के लिए वाहन मालिक बोली लगाते हैं. जो सबसे महंगी बोली होती है उसी के नाम नंबर अलॉट कर दिया जाता है. अलग-अलग आकर्षक नंबरों के लिए विभाग की तरफ से अलग-अलग बेस रेट भी तय किया गया है. बोली वाले नंबरों में 00001 से लेकर 0009, 0786, 1111, 2222, 3333, 4444, 5555, 6666, 7777, 8888, 9999 नंबर चने वालों को 1 लाख रुपये बेस रेट रखा गया है. टू व्हीलर के लिए यही नंबर है तो फिर बेस रेट 20,000 रुपए रखा गया है. इसी तरह एक समान डबल डिजिट के नंबर 0010 की तरह और 0100 से लेकर 0999, 1000 से लेकर 9900 जैसे नंबरों के लिए चार पहिया वाहनों का बेस रेट 50 हजार तो दो पहिया वाहनों का बेस रेट 10 हजार तय किया गया है. इसी के मुताबिक एक तिहाई पैसा रजिस्ट्रेशन के तौर पर जमा करना होता है.


हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों की सब्सिडी भी फंसी
वहीं, हाइब्रिड वाहनों और इलेक्ट्रिक वाहनों पर सरकार सब्सिडी देती है, लेकिन रिफंड न होने के चलते ऐसे वाहन मालिकों की सब्सिडी भी लटक गई है. इस तरह के प्रदेश में हजारों वाहन है और कई करोड़ रुपए की सब्सिडी उनके अकाउंट में आनी है. इलेक्ट्रिक स्कूटर पर 5000, इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कार पर एक लाख रुपये और इलेक्ट्रिक बस पर 20 लाख रुपये की सब्सिडी सरकार देती है. रिफंड न होने से यह पैसा भी फंसा हुआ है.


जिन वाहन मालिकों का रिफंड होना है, उसके प्रयास किए जा रहे हैं. बुधवार को एसबीआई के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की गई है. अब स्टेट बैंक आफ इंडिया इसके लिए तैयार है कि अलग अकाउंट बनाकर रिफंड किया जाएगा. बस शासन की तरफ से एसबीआई को एक पत्र जाना है. उम्मीद है 10 दिन के अंदर यह काम पूरा हो जाएगा और नंबर के लिए बोली लगाने वाले वाहन मालिकों के खाते में रिफंड पहुंच जाएगा. -सुनीता वर्मा, एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर आईटी


इसे भी पढ़ें-महाकुंभ 2025 में परिवहन निगम की तैयारी; UPSRTC के बेड़े में 31 जनवरी तक जुड़ेंगी 100 एसी इलेक्ट्रिक बसें

लखनऊः अपने वाहन के लिए वीवीआईपी नंबर की ख्वाहिश रखने वाले मालिक के करोड़ों रुपए फंस गए हैं. अपना मनचाहा नंबर भी नहीं मिला और कई महीने से जमा किए गए पैसे भी वापस नहीं मिल पाए हैं. दरअसल, परिवहन विभाग ने वीवीआईपी नंबरों की नीलामी शुरू की तो हर नंबर का बेस रेट रखा. 00001 से 0009 तक के नंबर का बेस रेट 1 लाख है. ऐसे में नंबर की बोली लगाने वालों को एक तिहाई धनराशि जमा कर रजिस्ट्रेशन करना होता है. यानी 33000 रुपए पहले ही जमा करने होते हैं. जिसके नाम नीलामी में नंबर अलॉट हो जाता है तो जितनी राशि का नंबर बिका होता है, उतने पैसे चुकाने होते हैं. जबकि अन्य हिस्सेदारों को उनका पैसा वापस कर दिया जाता है. लेकिन हाल ही में एसबीआई ने पैसे वापस करने में नियम बदल दिए हैं. इसलिए 15 जुलाई से अब तक प्रदेश भर के हजारों वाहन मालिकों को कई करोड़ रुपए फंस गए हैं. परिवहन विभाग एसबीआई से बात कर रहा है लेकिन अभी कोई नतीजा नहीं निकल पाया है.

आरबीआई के नियम बदलने से फंसे पैसेः बता दें कि वाहन के लिए मनचाहा नंबर लेने की वाहन मालिकों की ख्वाहिश परिवहन विभाग ने बोली की स्कीम लाकर पूरी की थी. अभी तक यह व्यवस्था थी कि नीलामी के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले वाहन मालिक को अगर मनचाहा नंबर नहीं मिलता था तो उनके पैसे वापस अकाउंट पर रिफंड हो जाते थे. लेकिन 15 जुलाई से आरबीआई ने नियमों में परिवर्तन कर दिया और ई कुबेर ऐप लॉन्च कर दिया. इससे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने परिवहन विभाग के खाते के ट्रांजेक्शन पर रिफंड की व्यवस्था खत्म कर दी. ऐसे में प्रदेश भर में मनचाहा नंबर पाने के लिए बोली लगाने वाले लोगों के करोड़ों रुपये परिवहन विभाग के चक्कर में फंस गया है.

वाहन मालिक पैसे वापस करने का बना रहे दबावः परिवहन विभाग ने एसबीआई से मांग की है कि अलग अकाउंट बनाकर खाते से रिफंड की व्यवस्था की जाए. जब यूपी इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड में वही व्यवस्था लागू है तो फिर परिवहन विभाग को भी यही सुविधा दी जाए. बड़ी संख्या में वाहन मालिक अपने पैसे को लेकर परिवहन विभाग से संपर्क कर रहे हैं. एक-एक वाहन मालिक का कई कई लाख रुपये नंबर के एवज में फंस गया है. हालांकि बुधवार को परिवहन विभाग के अधिकारियों ने स्टेट बैंक आफ इंडिया के अधिकारियों और एनआईसी के अधिकारियों के साथ बैठक कर इसका जल्द निराकरण करने की बात कही है.

आरबीआई के नियम बदलने से पैसे अटके. (Video Credit; ETV Bharat)
नीलामी के लिए जमा करना होता है तिहाई पैसाः परिवहन विभाग की तरफ से नीलामी में करीब 346 आकर्षक (वीआईपी) नंबर रखे गए हैं. इन नंबरों के लिए वाहन मालिक बोली लगाते हैं. जो सबसे महंगी बोली होती है उसी के नाम नंबर अलॉट कर दिया जाता है. अलग-अलग आकर्षक नंबरों के लिए विभाग की तरफ से अलग-अलग बेस रेट भी तय किया गया है. बोली वाले नंबरों में 00001 से लेकर 0009, 0786, 1111, 2222, 3333, 4444, 5555, 6666, 7777, 8888, 9999 नंबर चने वालों को 1 लाख रुपये बेस रेट रखा गया है. टू व्हीलर के लिए यही नंबर है तो फिर बेस रेट 20,000 रुपए रखा गया है. इसी तरह एक समान डबल डिजिट के नंबर 0010 की तरह और 0100 से लेकर 0999, 1000 से लेकर 9900 जैसे नंबरों के लिए चार पहिया वाहनों का बेस रेट 50 हजार तो दो पहिया वाहनों का बेस रेट 10 हजार तय किया गया है. इसी के मुताबिक एक तिहाई पैसा रजिस्ट्रेशन के तौर पर जमा करना होता है.


हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों की सब्सिडी भी फंसी
वहीं, हाइब्रिड वाहनों और इलेक्ट्रिक वाहनों पर सरकार सब्सिडी देती है, लेकिन रिफंड न होने के चलते ऐसे वाहन मालिकों की सब्सिडी भी लटक गई है. इस तरह के प्रदेश में हजारों वाहन है और कई करोड़ रुपए की सब्सिडी उनके अकाउंट में आनी है. इलेक्ट्रिक स्कूटर पर 5000, इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कार पर एक लाख रुपये और इलेक्ट्रिक बस पर 20 लाख रुपये की सब्सिडी सरकार देती है. रिफंड न होने से यह पैसा भी फंसा हुआ है.


जिन वाहन मालिकों का रिफंड होना है, उसके प्रयास किए जा रहे हैं. बुधवार को एसबीआई के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की गई है. अब स्टेट बैंक आफ इंडिया इसके लिए तैयार है कि अलग अकाउंट बनाकर रिफंड किया जाएगा. बस शासन की तरफ से एसबीआई को एक पत्र जाना है. उम्मीद है 10 दिन के अंदर यह काम पूरा हो जाएगा और नंबर के लिए बोली लगाने वाले वाहन मालिकों के खाते में रिफंड पहुंच जाएगा. -सुनीता वर्मा, एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर आईटी


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