वाराणसी: महाकुंभ से अब काशी में साधु-संतों, नागा साधुओं का जुटान होने लगा है. सनातन परंपरा के 13 अखाड़ों में करीब छह अखाड़े के संन्यासियों का भी काशी आगमन शुरू हो गया है. यहां गंगा किनारे मिनी कुंभ की झलक दिखने लगी है. गंगा के प्रमुख घाटों पर टेंट लग रहे हैं. कुछ बनकर तैयार हो गए हैं.
सात्विक भोजन बनाकर नागा साधु अपनी भक्ति में लीन हैं तो वहीं हरिश्चंद्र घाट पर डेरा जमा चुके जूना अखाड़े के संत और गदा धारण किए साध्वी भी चर्चा के केंद्र में हैं. यह साध्वी मूल रूप से महाराष्ट्र की रहने वाली हैं, जिन्होंने 11 किलो वजन का गदा लिया हुआ है.
बता दे कि, महाकुंभ 2025 के तीन शाही स्नान पूरे हो चुके हैं. अब चौथे स्नान की तैयारी जोरों पर चल रही है, जिसमें साधुओं की टोली बनारस पहुंचने लगी है. शैव संप्रदाय से जुड़े हुए नगर संन्यासियों का बड़ा समूह बनारस के घाटों पर दिखने लगा है. ऐसे में जूना अखाड़े से जुड़ी महिला साधु सरलापुरी भी बनारस पहुंची हुई हैं, जिन्होंने अपने कंधे पर 11 किलो वजन का गदा लिया हुआ है.
सनातन की रक्षा के लिए उठाया गदा: ईटीवी भारत से बातचीत में साध्वी सरलापुरी ने बताया कि वह महाराज बसंत पुरी की शिष्य हैं और मूलतः महाराष्ट्र की रहने वाली हैं. वह महाकुंभ में शाही स्नान के बाद काशी आई हैं, जहां हरिश्चंद्र घाट पर उन्होंने अपना टेंट लगाया है. वह स्वयं को राम भक्त हनुमान की भक्ति में लीन पाती हैं और उन्हीं के अनुसार अपने कंधे पर गदा लेकर सनातन धर्म की रक्षा कर रही है. यह गदा उन्होंने सनातन संस्कृति धर्म की रक्षा के लिए उठाया है, क्योंकि बहुत सारे ऐसे विधर्मी हैं जो सनातन धर्म को नुकसान पहुंचा रहे हैं. ऐसे में वह उन विधर्मियों को सबक सिखाने के लिए कंधे पर गदा रखी हुई हैं.
देखने के लिए आ रही भीड़: साध्वी सरला को देखने के लिए घाट पर बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं और उनके अनोखे अंदाज को देख भी रहे हैं. बताते चलें कि, घाट पर साथ ही साथ चाय वाले बाबा, बांसुरी वाले बाबा, लगायत अन्य तरीके के साधु संत नगर, संन्यासियों का जमघट लगने लगा है जो अपने नए-नए अंदाज से लोगों को आश्चर्यचकित कर रहे हैं.
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