कानपुर :
'हौसले बुलंद कर रास्तों पर चल
तुझे तेरा मुकाम मिल ही जाएगा
बढ़कर अकेला तू पहल तो कर
देखकर तुझको काफिला खुद बन जाएगा'
जी हां, ये लाइनें शहर के शेखर बिजलानी पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं. 23 वर्षीय युवा शेखर ने नेपाल के मेरा पीक माउंट की 21800 फीट ऊंची चोटी पर चढ़कर तिरंगा फहराया है. शेखर का यह सफर बेहद चुनौतियों भरा था, इसमें उन्हें कई तरह के चैलेंजेस का सामना भी करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उनके इस कारनामे के बाद से पूरे शहर को उन पर गर्व महसूस हो रहा है. शेखर बिजलानी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि आखिर इस सफर में उन्हें किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा.
18 दिन का लगा समय : ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान पर्वतारोही शेखर बिजलानी ने बताया कि जिस मेरा पीक माउंट की चोटी पर चढ़े हैं वह नेपाल में स्थित है और उन्हें इस चोटी में चढ़ने में करीब 18 दिन का समय लगा. इसमें उन्हें कई तरह की कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा. उन्होंने बताया कि एक पर्वतारोही बनना कोई आसान काम नहीं है. इसमें कई तरह की चुनौतियां आती हैं, कई बार सांस लेने में दिक्कत या फिर ज्यादा ठंड होने के कारण उंगली काली पड़ जाती है. एक समय ऐसा भी आता है कि शरीर में इंफेक्शन न फैल सके, इसलिए उंगली को काटना भी पड़ता है. इन सबके अलावा इस सफर में सबसे ज्यादा दिक्कत ऑक्सीजन की होती है.
जानें कैसे हुई सफर की शुरुआत : शेखर ने बताया कि, पर्वतारोही के इस सफर की शुरुआत बेहद दिलचस्प और रोचक तरीके से हुई क्योंकि उन्हें एवरेस्ट सीरियल देखना काफी अच्छा लगता था. इस सीरियल को देखने के बाद से ही उन्हें पर्वतारोही बनने का ख्याल आया और फिर उन्होंने इसके बारे में रिसर्च करना और उससे जुड़ी हर एक चीज के बारे में पढ़ना शुरू किया. उन्होंने जाना कि आखिर एक पर्वतारोही खुद को कैसे फिट रख सकता है और उसे किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए. इसके बाद उन्होंने अपने पर्वतारोही के सफर की शुरुआत की. साल 2021 मे उन्होंने केदारनाथ, साल 2022 में 21 साल की उम्र में एवरेस्ट बेस कैंप की 18000 फीट की ऊंचाई पर चढ़ाई की.
देश का नाम किया रोशन : शेखर ने बताया कि, साल 2023 के मई के महीने में एवरेस्ट और कंचनजंगा बेस कैंप पर 17000 फीट की ऊंचाई के लक्ष्य को पूरा किया था और अब 2024 में 18 दिन के कठिन सफर को पूरा करते 21800 फिट ऊंची माउंट मेरा की चोटी पर चढ़कर भारत का झंडा फहराया है. उन्होंने बताया कि, यूपी के वह पहले ऐसे एक युवा हैं जो इतनी छोटी उम्र में इस चोटी पर चढ़े हैं. शेखर को नेपाल माउंटेन एसोसिएशन की ओर से एक पत्र भी दिया गया है. इसके पत्र के जरिए उन्हें अब माउंट एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने के लिए क्वालीफाई भी कर दिया गया है. शेखर ने इस सफलता को हासिल कर अपने परिवार के साथ कानपुर और देश का नाम भी रोशन किया है.
चोटी पर 28 से 30 लोग गए थे : शेखर बिजलानी ने बताया कि उनके साथ इस चोटी पर 28 से 30 लोग गए थे. इनमें से कुछ लोग ब्राज़ील, कुछ यूके के अलावा अन्य देशों से भी थे, वहीं भारत से वह एकमात्र ऐसे युवा थे जो कि इस चोटी पर गए हुए थे. उन्होंने बताया कि जिस समय चोटी पर पहुंचा था. उस समय मुझे मेरा एक कदम 100 कदम के बराबर लग रहा था, लेकिन जब मैं ऊपर पहुंचा तो उस समय सबसे पहले मैंने भगवान का शुक्रिया अदा किया और फिर जब मैंने भारत के तिरंगे को अपने दोनों हाथों पर लेकर फहराया, तो मेरी सारी थकान ही दूर हो गई. सच कहूं तो उस लम्हे को मैं अपने शब्दों में बयान भी नहीं कर सकता हूं.
परिजनों में खुशी का माहौल : शेखर बिजलानी की इस कामयाबी के बाद से परिजनों में भी खुशी का माहौल है. शेखर के पिता का कहना है कि उसके इस जुनून को लेकर अक्सर उन्हें डर भी लगा रहता है, क्योंकि इतनी ऊंची-ऊंची चोटियों पर चढ़ने के दौरान जान जोखिम में रहती है, हालांकि जब उनका बेटा इस तरह की सफलता को हासिल कर लेता है तो उन्हें भी बेहद खुशी होती है. बेटे की कामयाबी के बाद से अब वह भी उसे काफी ज्यादा प्रोत्साहित करने लगे हैं और वह खुद भी उसके साथ पर्वतारोही से जुड़े हुए सीरियल को बैठकर देखते हैं.
बीबीए की पढ़ाई पूरी की : शेखर बिजलानी ने बताया कि, वह अपनी बीबीए की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं. अभी उन्होंने 21800 फीट ऊंची चोटी पर पहुंच कर तिरंगा फहराया है, लेकिन अब वह इसी तरह 23000, फिर 24000 और फिर 28000 के साथ ही माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर अपने परिवार और देश का नाम रोशन करेंगे. शेखर का मानना है कि अगर किसी भी काम को पूरी मेहनत और शिद्दत के साथ किया जाए तो आपको उस काम में सफलता जरूर मिलती है. उन्होंने युवाओं को एक संदेश देते हुए कहा कि हमेशा हमें अपने लक्ष्य पर तब तक ध्यान को केंद्रित रखना चाहिए, जब तक हम उस लक्ष्य को पूरी तरह से हासिल नहीं कर लेते. मैने खुद भी इस कामयाबी को हासिल करने के लिए काफी मेहनत की है.
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