लखनऊ : यदि आप राजधानी से बाहर के रहने वाले हैं और गाड़ी से शहर आ रहे हैं तो सावधान हो जाइए, क्योंकि यहां के हर चौराहों पर खड़े ट्रैफिक कर्मी आपकी ही तलाश में हैं. डीएल, प्रदूषण, एचएसआरपी, आरसी समेत सब पेपर मौजूद होने पर भी रुक कर ट्रैफिक कर्मियों को समझना ही पड़ेगा. यह सच्चाई राजधानी लखनई के हर चौराहे की है. यहां धूप से बचने के लिए सड़क किनारे चुपके से खड़े ट्रैफिक कर्मी बाहरी जिले के वाहन देखते ही एक्टिव हो जाते हैं. ऐसा यातायात नियम का पालन सुनिश्चित कराने के लिए नहीं होता है. दरअसल इसके पीछे की हकीकत कुछ और ही है. ईटीवी भारत की टीम ने ट्रैफिक पुलिस की इसी सक्रियता की सच्चाई परखी तो असल बात सामने आई.
यूपी प्रदेश के हर चौराहे पर वैसे तो ट्रैफिक कर्मियों को यातायात को सुगम बनाए रखने के लिए तैनात किया जाता है, लेकिन राजधानी के चौराहों पर खड़े ट्रैफिक कर्मियों का टारगेट यातायात नहीं बल्कि उन गाड़ियों पर अधिक होता है जो लखनऊ के बाहर जिलों की होती हैं. रेड लाइट होने पर अगर उन्हें यूपी 32 के अलावा अन्य जिलों के नंबर की कोई गाड़ी दिखती है तो ट्रैफिक पुलिसकर्मी और होमगार्ड ऐसी गाड़ियों को रोक ही लेते हैं. इसके बाद गाड़ी किनारे लगवाते हैं और फिर चालक को बूथ के अंदर ले जाकर बातचीत करते हैं.
हालात यह हैं कि दूसरे जिले से कोई भी गाड़ी लखनऊ की सीमा में बस दाखिल भर हो जाए, ट्रैफिक कर्मी और होमगार्ड अपना मिशन कंपलीट मान लेते हैं और उन्हें नींबू की तरह निचोड़ने में जुट जाते हैं. राजधानी के पीजीआई चौराहे से रोजाना रायबरेली, प्रयागराज, वाराणसी, फतेहपुर, मिर्जापुर, प्रतापगढ़ समेत कई जिलों से गाडियां गुजरती हैं. इस चौराहे पर तीन ट्रैफिक सिपाही, दो होमगार्ड और एक ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर की ड्यूटी रहती है. ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर बूथ के अंदर बैठे रहते हैं और सिपाही और होमगार्ड सड़कों पर बाहरी जिलों की गाड़ियों की तलाश में खड़े रहते हैं.
बाहरी गाड़ी को रोका, फोटो खींचा और साइड में लगवाया : रोजाना की तरह सोमवार को भी पीजीआई चौराहे पर गाड़ियों का आवागमन था. ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड पर जाकर देखने की कोशिश कि कैसे बाहरी गाड़ियों को ट्रैफिक कर्मी नीबू को तरह निचोड़ते हैं. 11:45 बजे तीन ट्रैफिक सिपाही बूथ से निकलते हैं और चौराहे के एक ही तरह खड़े हो जाता हैं. लखनऊ की गाड़ी को जाने का इशारा करते हुए यूपी 77 की एक गाड़ी को रोक लेते हैं. फोटो खींच कर साइड में लगाने का इशारा करते हैं. जिसके बाद एक सिपाही गाड़ी चालक को लेकर बूथ के अंदर बैठे ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर के पास ले जाता है.
आईटी चौराहा पर हर ट्रैफिक कर्मी के निशाने पर बाहरी गाड़ियां : राजधानी के आईटी चौराहे पर भी रोजाना हरदोई, सीतापुर, बरेली समेत कई जिलों की गाड़ियां रोजाना गुजरती हैं. ऐसे में इस चौराहे पर भी ट्रैफिक कर्मियों का एक सूत्री कार्य बाहरी गाड़ियों को रोकने का ही होता है. यहां से गुजर रही दर्जनों गाड़ियों में ट्रैफिक कर्मी को यूपी 78 की एक गाड़ी दिखती है लिहाजा उसे रोक कर शुरू हो जाती है बातचीत.