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राजधानी में बोले पटाखा व्यापारी, आत्महत्या को हो जाएंगे मजबूर

उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पाटाखों की बिक्री और जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिससे पटाखा कारोबारी मायूस हैं. वहीं राजधानी लखनऊ में पाटाखा कारोबारियों ने कहा कि अगर पटाखों की बिक्री नहीं हुई तो वह लोग मर-मर के जीने को मजबूर हो जाएंगे.

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Published : Nov 11, 2020, 5:19 PM IST

कॉन्सेप्ट इमेज.
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लखनऊ: एनजीटी के निर्देशों के बाद प्रदेश सरकार ने राजधानी समेत 13 जिलों में पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. पटाखे की दुकानें दीपावली के त्योहार पर करीब पांच दिन तक लगती थीं. प्रदूषण के चलते इस बार पटाखे जलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. वहीं राजधानी के बड़े, मझोले व छोटे व्यापारी पाटाखों के प्रतिबंध के बाद मायूस हो गए हैं. बड़े व्यापारियों के साथ-साथ रिटेल कारोबारियों ने भी भारी मात्रा में पटाखे खरीद लिए हैं.

पटाखों की ब्रिकी पर प्रतिबंध से व्यापारी मायूस.

वहीं व्यापारियों की मानें तो काकोरी के बाद ऐशबाग स्थित रस्तोगी इंटर कॉलेज में पटाखे की थोक बाजार लगती है. वहीं शहर की बात की जाए तो 36 अस्थाई बाजार में रिटेल की दुकानें लगती हैं. एक बाजार में लगने वाली दुकानों के 30 से 35 लाइसेंस बनते हैं. रस्तोगी इंटर कॉलेज में करीब 20 से 24 अस्थाई दुकानें हर वर्ष लगती हैं. व्यापारियों का कहना है कि प्रतिबंध के बाद बन चुके करीब 32 लाइसेंसों को निरस्त किया गया है.

यह थी बाजार में पटाखों की कीमत

  • 12 स्टार 100 से 200 रुपये तक.
  • 15 स्टार 180 रुपये.
  • राइडर 150 रुपये.
  • मल्टी पाइप 180 से 450 रुपये.
  • 120 शॉर्ट 1250 रुपये.
  • 60 शॉर्ट 700 रुपये.
  • 30 शॉर्ट 350 से 450 रुपये.
  • चरखी 150 से 200 रुपये.
  • अनार 150 से 200 रुपये.
  • रॉकेट 150 से 450 रुपये.

15 दिन पहले ही खरीदे थे पटाखे
पटाखा कारोबारी फराज खान बताते हैं कि लॉकडाउन के बाद से किसी तरीके से कर्ज लेकर व जेवर बेचकर 15 दिन पहले पटाखे खरीद कर लाए थे. हम लोगों ने फायर ब्रिगेड, एसबीआई कई जगह पैसा जमा किया, जिसके बाद एक लाइसेंस बनवाने के लिए करीब 35,000 रुपये का खर्च आता है. यह पैसा हम लोग का पहले ही खर्च हो चुका है. इस बाजार में पहले 44 दुकानें लगती थीं, लेकिन सख्ती को देखते हुए इस बार सिर्फ 20 दुकानें ही लगाई गई थीं. उनका कहना है कि सरकार से मेरी इतनी रिक्वेस्ट है कि हम लोगों पर ध्यान दें नहीं तो हम लोग तो मर-मर के जिएंगे. कई लोग तो आत्महत्या करने को मजबूर हो जाएंगे.

80% कर्ज पर लेकर आए पटाखे
कारोबारी राजकुमार मिश्रा का कहना है कि सरकार कहती है कि हम रोजगार देंगे, लेकिन जब हम लोगों की पुलिस कमिश्नर से बात हुई तो उन्होंने कहा था कि आप दुकान खोलें सरकार आपके साथ है, जो शर्तें रखी गईं थी वह भी हम लोगों ने मान ली थीं. प्रत्येक वर्ष 50% की जगह इस वर्ष 80% कर्ज पर पटाखे खरीद लाए हैं, लेकिन अब सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है.

शहर में सजते हैं करीब 36 बाजार
उत्तर प्रदेश युवा व्यापार मंडल लखनऊ इकाई के अध्यक्ष आजिम अरसल का कहना है कि रस्तोगी कॉलेज के परिसर में 22 दुकानें इस बार थोक की लगनी थीं. काकोरी में भी थोक की दुकानें लगाई गई थीं. यह बाजार करीब पांच दिन तक लगता है. पूरे लखनऊ की बात करें तो करीब 36 अस्थाई दुकानें लगती हैं. एक बाजार में कहीं 35 तो कहीं 40 लाइसेंस की अनुमति मिलती है. यह अस्थाई दुकानें केवल तीन दिन के लिए लगती हैं.

लखनऊ: एनजीटी के निर्देशों के बाद प्रदेश सरकार ने राजधानी समेत 13 जिलों में पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. पटाखे की दुकानें दीपावली के त्योहार पर करीब पांच दिन तक लगती थीं. प्रदूषण के चलते इस बार पटाखे जलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. वहीं राजधानी के बड़े, मझोले व छोटे व्यापारी पाटाखों के प्रतिबंध के बाद मायूस हो गए हैं. बड़े व्यापारियों के साथ-साथ रिटेल कारोबारियों ने भी भारी मात्रा में पटाखे खरीद लिए हैं.

पटाखों की ब्रिकी पर प्रतिबंध से व्यापारी मायूस.

वहीं व्यापारियों की मानें तो काकोरी के बाद ऐशबाग स्थित रस्तोगी इंटर कॉलेज में पटाखे की थोक बाजार लगती है. वहीं शहर की बात की जाए तो 36 अस्थाई बाजार में रिटेल की दुकानें लगती हैं. एक बाजार में लगने वाली दुकानों के 30 से 35 लाइसेंस बनते हैं. रस्तोगी इंटर कॉलेज में करीब 20 से 24 अस्थाई दुकानें हर वर्ष लगती हैं. व्यापारियों का कहना है कि प्रतिबंध के बाद बन चुके करीब 32 लाइसेंसों को निरस्त किया गया है.

यह थी बाजार में पटाखों की कीमत

  • 12 स्टार 100 से 200 रुपये तक.
  • 15 स्टार 180 रुपये.
  • राइडर 150 रुपये.
  • मल्टी पाइप 180 से 450 रुपये.
  • 120 शॉर्ट 1250 रुपये.
  • 60 शॉर्ट 700 रुपये.
  • 30 शॉर्ट 350 से 450 रुपये.
  • चरखी 150 से 200 रुपये.
  • अनार 150 से 200 रुपये.
  • रॉकेट 150 से 450 रुपये.

15 दिन पहले ही खरीदे थे पटाखे
पटाखा कारोबारी फराज खान बताते हैं कि लॉकडाउन के बाद से किसी तरीके से कर्ज लेकर व जेवर बेचकर 15 दिन पहले पटाखे खरीद कर लाए थे. हम लोगों ने फायर ब्रिगेड, एसबीआई कई जगह पैसा जमा किया, जिसके बाद एक लाइसेंस बनवाने के लिए करीब 35,000 रुपये का खर्च आता है. यह पैसा हम लोग का पहले ही खर्च हो चुका है. इस बाजार में पहले 44 दुकानें लगती थीं, लेकिन सख्ती को देखते हुए इस बार सिर्फ 20 दुकानें ही लगाई गई थीं. उनका कहना है कि सरकार से मेरी इतनी रिक्वेस्ट है कि हम लोगों पर ध्यान दें नहीं तो हम लोग तो मर-मर के जिएंगे. कई लोग तो आत्महत्या करने को मजबूर हो जाएंगे.

80% कर्ज पर लेकर आए पटाखे
कारोबारी राजकुमार मिश्रा का कहना है कि सरकार कहती है कि हम रोजगार देंगे, लेकिन जब हम लोगों की पुलिस कमिश्नर से बात हुई तो उन्होंने कहा था कि आप दुकान खोलें सरकार आपके साथ है, जो शर्तें रखी गईं थी वह भी हम लोगों ने मान ली थीं. प्रत्येक वर्ष 50% की जगह इस वर्ष 80% कर्ज पर पटाखे खरीद लाए हैं, लेकिन अब सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है.

शहर में सजते हैं करीब 36 बाजार
उत्तर प्रदेश युवा व्यापार मंडल लखनऊ इकाई के अध्यक्ष आजिम अरसल का कहना है कि रस्तोगी कॉलेज के परिसर में 22 दुकानें इस बार थोक की लगनी थीं. काकोरी में भी थोक की दुकानें लगाई गई थीं. यह बाजार करीब पांच दिन तक लगता है. पूरे लखनऊ की बात करें तो करीब 36 अस्थाई दुकानें लगती हैं. एक बाजार में कहीं 35 तो कहीं 40 लाइसेंस की अनुमति मिलती है. यह अस्थाई दुकानें केवल तीन दिन के लिए लगती हैं.

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