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कोरोना ने रोकी पर्यटन की रफ्तार, दाने-दाने को मोहताज हो रहे टूरिस्ट गाइड

कोरोना संक्रमण के कारण पर्यटन उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है. पर्यटन बंद हो जाने से टूरिस्ट गाइडों को अपनी आजीविका चलाने में बहुत समस्या हो रही है.

दाने-दाने को मोहताज टूरिस्ट गाइड
दाने-दाने को मोहताज टूरिस्ट गाइड
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Published : Jun 1, 2021, 10:02 PM IST

लखनऊ: देश में फैले कोरोना संक्रमण का असर सभी सेक्टरों पर पड़ा है. पर्यटन उद्योग इससे बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. पूरे देश और प्रदेश का पर्यटन प्रभावित होने के कारण दार्शनिक और ऐतिहासिक स्थल दिखाने वाले और उनका इतिहास बताने वाले टूरिस्ट गाइड बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. पर्यटन बंद हो जाने से इन टूरिस्ट गाइडों को अपनी आजीविका चलाने में बहुत समस्या हो रही है.

आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं
लखनऊ में इमामबाड़ा, रूमी दरवाजा, भूल भुलैया, बेगम हजरत महल पार्क सहित कई ऐसी स्थित ऐतिहासिक धरोहर हैं, जहां पर बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. विगत वर्ष से चल रहे संक्रमण काल के कारण ऐतिहासिक पर्यटन केंद्र बंद हैं, जिससे इन केंद्रों पर निर्भर रह कर अपनी आजीविका चलाने वाले टूरिस्ट गाइडों को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है. नवाबों की नगरी लखनऊ में यदि टूरिस्ट गाइड की बात की जाए तो यहां इनकी संख्या लगभग 100 है. यह टूरिस्ट गाइड लखनऊ की ऐतिहासिक धरोहरों को दूर-दूर से आने वाले पर्यटकों को दिखाकर अपनी आजीविका चलाते हैं और यही उनकी आजीविका का एकमात्र साधन भी है.

दाने-दाने को मोहताज टूरिस्ट गाइड

ईटीवी भारत के सामने छलका दर्द
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए टूरिस्ट गाइड का काम करने वाले आसिफ हुसैन का कहना है कि हम लोगों को हुसैनाबाद ट्रस्ट की तरफ से 6000 प्रति माह मिलता है, लेकिन 6000 रुपये में कुछ नहीं होता है. आसिफ का कहना है कि औसत दिनों में हम लोग 100 से 300 की कमाई करते हैं, जबकि पीक सीजन में 400 से 600 तक की कमाई हो जाती है. आसिफ हुसैन का कहना है कि ना तो सरकार हम लोगों की मदद कर रही है और ना ही ट्रस्ट कर रहा है. इनका कहना है कि सरकार सभी लोगों की मदद कर रही है, लेकिन हम लोगों के बच्चे भूखे मर रहे हैं. हमारी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

टूरिस्ट गाइड का काम करने वाली नबी हैदर का कहना है कि हम लोग यहां पर्यटकों को छोटा इमामबाड़ा, बड़ा इमामबाड़ा, रूमी गेट दिखाते हैं लेकिन 1 वर्ष से अधिक का समय हो गया है. पर्यटक स्थल खुलते हैं, बंद हो जाते हैं, ऐसे में खुलना न खुलना बराबर है. नबी हैदर का कहना है कि दूसरों से पैसा लेकर हम लोग अपने परिवार को पाल रहे हैं.

टूरिस्ट गाइड जिया हैदर का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण हम लोगों का काम बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. इनका कहना है कि पिछली बार भी इनकी कोविड-19 में ड्यूटी लगाई गई थी और इस बार भी लगाई गई है, लेकिन अभी तक इनको कोई पैसा भी नहीं दिया गया है, जिसके कारण अपना घर परिवार चलाने में बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

क्या कहते हैं अधिकारी
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए पर्यटन के संयुक्त निदेशक अविनाश चंद्र मिश्र ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण पर्यटन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. जनवरी से पर्यटन शुरू हुआ था पर मार्च आते-आते पूरे देश में जिस तरह से संक्रमण बहुत तेजी से फैला है. ऐसे में पर्यटन पूरी तरह से ठप हो गया. जिस कारण टूरिस्ट गाइड का काम करने वाले लोगों को आर्थिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. संयुक्त निदेशक अविनाश चंद्र मिश्रा का कहना है कि पर्यटन विभाग ने विगत वर्ष 239 गाइड प्रशिक्षित किए थे और उन्हें धार्मिक पर्यटन का नया केंद्र बने अयोध्या में भेजा गया था. इस वर्ष भी 1400 गाइड को प्रशिक्षित किया जा रहा है जो प्रदेश के विभिन्न जनपदों में जाकर आने वाले पर्यटकों को जानकारी देंगे. पर्यटन के संयुक्त निदेशक अविनाश चंद्र मिश्रा का कहना है कि पर्यटन विभाग और सरकार की तरफ से इन टूरिस्ट गाइड को किसी भी तरह की आर्थिक सहायता नहीं दी जाती है.

प्रदेश में है लगभग 4000 टूरिस्ट गाइड
प्रदेश में यदि टूरिस्ट गाइड की संख्या पर बात की जाए तो स्टेट लेवल के 1600 टूरिस्ट गाइड हैं. वही लोकल और स्टेट लेवल की कुल संख्या पर लगभग 4000 है. ऐसे में पर्यटन बंद हो जाने से इन टूरिस्ट गाइड को अपने परिवार का भरण पोषण करने में समस्या हो रही है.

लखनऊ: देश में फैले कोरोना संक्रमण का असर सभी सेक्टरों पर पड़ा है. पर्यटन उद्योग इससे बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. पूरे देश और प्रदेश का पर्यटन प्रभावित होने के कारण दार्शनिक और ऐतिहासिक स्थल दिखाने वाले और उनका इतिहास बताने वाले टूरिस्ट गाइड बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. पर्यटन बंद हो जाने से इन टूरिस्ट गाइडों को अपनी आजीविका चलाने में बहुत समस्या हो रही है.

आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं
लखनऊ में इमामबाड़ा, रूमी दरवाजा, भूल भुलैया, बेगम हजरत महल पार्क सहित कई ऐसी स्थित ऐतिहासिक धरोहर हैं, जहां पर बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. विगत वर्ष से चल रहे संक्रमण काल के कारण ऐतिहासिक पर्यटन केंद्र बंद हैं, जिससे इन केंद्रों पर निर्भर रह कर अपनी आजीविका चलाने वाले टूरिस्ट गाइडों को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है. नवाबों की नगरी लखनऊ में यदि टूरिस्ट गाइड की बात की जाए तो यहां इनकी संख्या लगभग 100 है. यह टूरिस्ट गाइड लखनऊ की ऐतिहासिक धरोहरों को दूर-दूर से आने वाले पर्यटकों को दिखाकर अपनी आजीविका चलाते हैं और यही उनकी आजीविका का एकमात्र साधन भी है.

दाने-दाने को मोहताज टूरिस्ट गाइड

ईटीवी भारत के सामने छलका दर्द
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए टूरिस्ट गाइड का काम करने वाले आसिफ हुसैन का कहना है कि हम लोगों को हुसैनाबाद ट्रस्ट की तरफ से 6000 प्रति माह मिलता है, लेकिन 6000 रुपये में कुछ नहीं होता है. आसिफ का कहना है कि औसत दिनों में हम लोग 100 से 300 की कमाई करते हैं, जबकि पीक सीजन में 400 से 600 तक की कमाई हो जाती है. आसिफ हुसैन का कहना है कि ना तो सरकार हम लोगों की मदद कर रही है और ना ही ट्रस्ट कर रहा है. इनका कहना है कि सरकार सभी लोगों की मदद कर रही है, लेकिन हम लोगों के बच्चे भूखे मर रहे हैं. हमारी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

टूरिस्ट गाइड का काम करने वाली नबी हैदर का कहना है कि हम लोग यहां पर्यटकों को छोटा इमामबाड़ा, बड़ा इमामबाड़ा, रूमी गेट दिखाते हैं लेकिन 1 वर्ष से अधिक का समय हो गया है. पर्यटक स्थल खुलते हैं, बंद हो जाते हैं, ऐसे में खुलना न खुलना बराबर है. नबी हैदर का कहना है कि दूसरों से पैसा लेकर हम लोग अपने परिवार को पाल रहे हैं.

टूरिस्ट गाइड जिया हैदर का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण हम लोगों का काम बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. इनका कहना है कि पिछली बार भी इनकी कोविड-19 में ड्यूटी लगाई गई थी और इस बार भी लगाई गई है, लेकिन अभी तक इनको कोई पैसा भी नहीं दिया गया है, जिसके कारण अपना घर परिवार चलाने में बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

क्या कहते हैं अधिकारी
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए पर्यटन के संयुक्त निदेशक अविनाश चंद्र मिश्र ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण पर्यटन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. जनवरी से पर्यटन शुरू हुआ था पर मार्च आते-आते पूरे देश में जिस तरह से संक्रमण बहुत तेजी से फैला है. ऐसे में पर्यटन पूरी तरह से ठप हो गया. जिस कारण टूरिस्ट गाइड का काम करने वाले लोगों को आर्थिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. संयुक्त निदेशक अविनाश चंद्र मिश्रा का कहना है कि पर्यटन विभाग ने विगत वर्ष 239 गाइड प्रशिक्षित किए थे और उन्हें धार्मिक पर्यटन का नया केंद्र बने अयोध्या में भेजा गया था. इस वर्ष भी 1400 गाइड को प्रशिक्षित किया जा रहा है जो प्रदेश के विभिन्न जनपदों में जाकर आने वाले पर्यटकों को जानकारी देंगे. पर्यटन के संयुक्त निदेशक अविनाश चंद्र मिश्रा का कहना है कि पर्यटन विभाग और सरकार की तरफ से इन टूरिस्ट गाइड को किसी भी तरह की आर्थिक सहायता नहीं दी जाती है.

प्रदेश में है लगभग 4000 टूरिस्ट गाइड
प्रदेश में यदि टूरिस्ट गाइड की संख्या पर बात की जाए तो स्टेट लेवल के 1600 टूरिस्ट गाइड हैं. वही लोकल और स्टेट लेवल की कुल संख्या पर लगभग 4000 है. ऐसे में पर्यटन बंद हो जाने से इन टूरिस्ट गाइड को अपने परिवार का भरण पोषण करने में समस्या हो रही है.

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