लखनऊ: ब्रज की संस्कृति को संजोए रखने के लिए उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग की तरफ से अनूठी पहल की गई है. उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने वृंदावन शोध संस्थान के पदाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि ब्रज क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए विभिन्न गतिविधियां संचालित की जाये. इस कार्य में पर्यटन विभाग भी आर्थिक सहायता देगा. इसके साथ ही अयोध्या में संचालित प्रतिदिन रामलीला की तर्ज पर रासलीला का आयोजन भी कराया जाये. ये बातें पर्यटन मंत्री ने गुरुवार को पर्यटन भवन में वृंदावन शोध संस्थान द्वारा बनायी गयी कार्ययोजना के अवलोकन के बाद अधिकारियों से कही.
कलाकारों के जन्मस्थान को संरक्षित किया जाएगाः मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र के अन्तर्गत जन्मे जाने-माने कवियों, लेखकों, साहित्यकारों एवं लोक कलाकारों का पता लगाकर उनके योगदान को रेखांकित करने के लिए उनके जन्मस्थान के घर को संरक्षित किया जायेगा. इसके साथ ही उनके घर तक जाने वाली सड़क का नामकरण भी उनके नाम पर किया जायेगा. जयवीर सिंह ने कहा कि ब्रज क्षेत्र के कण-कण में आस्था एवं समृद्धि संस्कृति बिखरी हुयी है. इसको संरक्षित करने के साथ ही इन स्थानों पर अवस्थापना सुविधाओं का विकास भी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि साहित्यकारों एवं लेखकों एवं लोक कलाकारों कि जन्मस्थली के मार्ग पर शानदार द्वार के निर्माण के लिए भी योजना बनाई जाये. इसके अलावा पुरानी पाण्डुलिपियों का अभिलेखीकरण एवं संरक्षण के उपाय किये जाये ताकि आगे आने वाली पीढी इन धरोहरों का अवलोकन कर सके.
साहित्य का दूसरी भाषाओं में होगा अनुवादः पर्यटन मंत्री ने यह भी कहा कि ब्रज क्षेत्र से जुड़े धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थलों से विदेशों सैलानियों को जोड़ने के लिए कई भाषाओं के जानकार, गाइड भी तैयार किये जाये. इसमें पर्यटन विभाग भी सहायता करेगा. उन्होंने कहा कि देशी-विदेशी पर्यटकों को ब्रज की संस्कृति विरासत, परम्परा, खान-पान, वेशभूषा एवं हस्तशिल्प के बारे में जानकारी देने में अंग्रेजी, हिन्दी भाषा के गाइडों के अत्यधिक आवश्यकता होगी. इसके साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे. जयवीर सिंह ने कहा कि ब्रज भाषा की प्राचीन साहित्य को विश्व पटल पर स्थापित करने के लिए जर्मन, फ्रेंच तथा रूसी भाषा में अनुवाद कराया जाये. उन्होंने कहा कि ब्रज क्षेत्र के प्राचीन वाद्य यंत्रो, वस्त्रों, स्थापत्य कला आदि को संरक्षित करते हुए इसको प्रदर्शित किया जाये.
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जनजातीय लोक कलाकारों की सूची बनेगीः इसके पश्चात पर्यटन मंत्री ने लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान द्वारा तैयार की गयी प्रस्तुतीकरण का भी अवलोकन किया. उन्होंने कहा कि जनजातीय जीवन का करीब से जानने में यह संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. उन्होंने कहा कि इस संस्थान द्वारा संचालित कार्यक्रमों को जनजातीय बाहुल्य जनपदों को ले जाने की जरूरत है. ताकि प्रदेश में रहने वाले जनजाति के लोग अपनी विरासत एवं गौरवशाली परम्परा से परिचित हो सके. जयवीर सिंह ने लोक एवं जनजाति एवं संस्कृति संस्थान के पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि जनजातीय लोक कलाओं को विश्व पटल तक ले जाने के लिए जनजातिय लोक कलाकारों को जनपदवार सूची तैयार करायी जाये. इसके साथ ही जनजाति समाज के गीत-संगीत नाटक वाद्य यंत्र आदि का पूरा विवरण तैयार कराया जाया. उन्होंने कहा कि लोक कलाओं का संरक्षण संवर्धन आवश्यक है. ताकि आने वाली पीढ़ी इन कलाओं को आगे बढ़ाते हुए इसे जीवित रख सके. महानिदेशक पर्यटन एवं प्रमुख सचिव मुकेश मिश्राम ने दोनों संस्थानों के पदाधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि लोक कलाओं के संरक्षण एवं उसके विस्तार के लिए धन की कोई कमी नहीं है.