लखनऊ : सोचिए कि कभी आप पुण्य का काम करने जा रहे हों और कोई आपसे ये कहे कि आपके इस पुण्य कार्य में वो भी दान करना चाहता है तो शायद आप एक पल भी बिना सोचे समझे उस पर भरोसा कर लेंगे. हालांकि आपकी यह दयालू प्रवृत्ति आपको कंगाल भी कर सकती है. बीते दिनों ऐसे मामले सामने आए हैं. जिसमें एक संस्था जो सामूहिक विवाह कराती है, उसके संचालक के पास कॉल आई और दान करने की मंशा जाहिर की और फिर उन्हीं के पैसे बैंक से निकल गए. एक संत समागम कराने वाले व्यक्ति के भी बैंक अकाउंट से इसी तरह जालसाजी हो गई. आइए जानते हैं कि कैसे दान के नाम पर हो रही है ठगी.
लिंक भेज कर ही होती है ठगी : साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे कहते हैं कि इस तरह की ठगी में जालसाज फोन नम्बर लेकर शिकार को फोन करते हैं और फिर अलग अलग बहाने बता कर पेमेंट करने की बात कहते हैं. जैसे मौजूदा समय दान देने के नाम पर कहा जा रहा है. साइबर ठग कहता है कि मैं आपको एक लिंक भेज रहा हूं. इस लिंक पर क्लिक कर के आप पैसे ले सकते हैं. लिंक रिसीव होने पर शिकार (पीड़ित) ठग को बताता है कि इसमें दो ऑप्शन हैं. पहला पे का और दूसरा डिक्लाइन. तब साइबर ठग उधर से बोलता है कि पे के ऑप्शन पर क्लिक करके आप अपने अकाउंट में पैसे पा सकते हैं. डिक्लाइन के ऑप्शन पर क्लिक करने से पैसे नहीं मिल पाएंगे. फिर पीड़ित पे के ऑप्शन पर क्लिक करके वह जैसे ही पिन एंटर करता है, उसके अकाउंट से पैसे कट जाते हैं.
बिना पिन डाले निकल आते हैं पैसे : साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे के मुताबिक पैसों को रिसीव करने के लिए कभी भी किसी भी पेमेंट प्लेटफार्म पर सिक्योरिटी पिन नहीं डालना होता है. ऐसे में किसी भी लिंक पर क्लिक करके पैसे लेने के लिए पिन न डालें. क्योंकि पिन का इस्तेमाल सिर्फ पैसे भेजने और बैलेंस चेक करने के लिए ही होता है. अगर कोई इस तरह के लिंक भेजता है तो इसका साफ मतलब है कि सामने वाले ने आपसे पैसे की एक डिमांड भेजी है. अगर आप पे के ऑप्शन पर क्लिक कर सिक्योरिटी पिन डालते हैं तो पैसे उसके अकाउंट में चले जाएंगे.
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