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गुजरात क्राइम ब्रांच की मदद से दबोचे गए तीन ठग, इस तरह करते थे ठगी

लखनऊ मध्य जोन की क्राइम ब्रांच ने गुजरात की राजकोट क्राइम ब्रांच के साथ संयुक्त कार्रवाई करते हुए तीन ठगों को गिरफ्तार किया है. ये ठग फर्जी वेबसाइट बनाकर रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से लाखों रुपये की ठगी करते थे.

Three thug arrested in Lucknow
लखनऊ में तीन ठग गिरफ्तार.
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Published : Mar 27, 2021, 2:19 AM IST

लखनऊ: राजधानी में शुक्रवार को ठग गिरोह का पर्दाफाश कर दिया. लखनऊ क्राइम ब्रांच मध्य जोन की टीम ने गुजरात राजकोट क्राइम ब्रांच के साथ संयुक्त कार्रवाई करते हुए तीन ठगों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है. पुलिस का कहना है कि यह गिरोह बेरोजगार युवक और युवतियों को रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा देकर ठगी करता था. गिरोह विश्वास में लेकर बेरोजगार युवक-युवतियों को फर्जी वेबसाइट के माध्यम से शिकार बनाता था.

आलमबाग में था फर्जी ट्रेनिंग सेंटर

पुलिस को सूचना मिली थी कि शिकार बनाए गए युवक-युवतियों को आलमबाग में बने फर्जी ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग दी जा रही थी. सूचना पर डीसीपी सेंट्रल की अगुवाई में गुजरात राजकोट क्राइम ब्रांच और मध्य जोन क्राइम ब्रांच ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए हिमांशु पांडेय, शशि प्रकाश गुप्ता और सूरज शर्मा को गिरफ्तार कर लिया. सभी को जेल भेज दिया गया है.

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लखनऊ के बाहर के है तीनों ठग

बताया जा रहा है कि पकड़े गए ये तीनों ठग लखनऊ के बाहर के है. लखनऊ में हिमांशु अलकनंदा इन्क्लेव सुशांत गोल्फ सिटी, जबकि शशि प्रकाश और सूरज पारा गांव लखनऊ में रह रहे थे. इनके पास से 3 कंप्यूटर, 2 उपस्थिति रजिस्टर, 10 फर्जी मोहर, 3 पासबुक, ट्रेनिंग की टीचिंग सामग्री और रेलवे का मानचित्र बरामद हुआ है.

फर्जी वेबसाइट से कराते थे आवेदन

पुलिस की गिरफ्त में आए शातिर ठगों ने पूछताछ में ने बताया कि वे फर्जी वेबसाइट बनाकर बेरोजगार युवक और युवतियों को आसानी से ठगी का शिकार बना रहे थे. आरोपियों ने बताया कि उन्होंने रेलवे की एक फर्जी वेबसाइट बना रखी है. इस फर्जी वेबसाइट पर ही आरोपियों द्वारा रेलवे में नौकरी का हवाला देकर विभिन्न प्रांतों से बेरोजगार युवक और युवतियों का आवेदन कराया जाता था. प्रति व्यक्ति नौकरी के लिए 15 लाख की डिमांड रखी जाती थी.

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दिया जाता था फर्जी नियुक्ति पत्र

बताया गया है कि ये आरोपी फर्जी वेबसाइट पर आए आवेदनों का रिजल्ट वेबसाइट पर पोस्ट कर देते थे. वेबसाइट पर रिजल्ट देखकर आवेदक पूर्णतयः विश्वास में आ जाते थे. फिर फर्जी नियुक्ति पत्र आवेदकों को देकर उन्हें आलमबाग इलाके की पुरानी रेलवे बिल्डिंग में ही रखकर फर्जी प्रशिक्षण दिया जा रहा था. यहां प्रत्येक से 15 लाख रुपये लिए जाते थे.

लखनऊ: राजधानी में शुक्रवार को ठग गिरोह का पर्दाफाश कर दिया. लखनऊ क्राइम ब्रांच मध्य जोन की टीम ने गुजरात राजकोट क्राइम ब्रांच के साथ संयुक्त कार्रवाई करते हुए तीन ठगों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है. पुलिस का कहना है कि यह गिरोह बेरोजगार युवक और युवतियों को रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा देकर ठगी करता था. गिरोह विश्वास में लेकर बेरोजगार युवक-युवतियों को फर्जी वेबसाइट के माध्यम से शिकार बनाता था.

आलमबाग में था फर्जी ट्रेनिंग सेंटर

पुलिस को सूचना मिली थी कि शिकार बनाए गए युवक-युवतियों को आलमबाग में बने फर्जी ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग दी जा रही थी. सूचना पर डीसीपी सेंट्रल की अगुवाई में गुजरात राजकोट क्राइम ब्रांच और मध्य जोन क्राइम ब्रांच ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए हिमांशु पांडेय, शशि प्रकाश गुप्ता और सूरज शर्मा को गिरफ्तार कर लिया. सभी को जेल भेज दिया गया है.

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लखनऊ के बाहर के है तीनों ठग

बताया जा रहा है कि पकड़े गए ये तीनों ठग लखनऊ के बाहर के है. लखनऊ में हिमांशु अलकनंदा इन्क्लेव सुशांत गोल्फ सिटी, जबकि शशि प्रकाश और सूरज पारा गांव लखनऊ में रह रहे थे. इनके पास से 3 कंप्यूटर, 2 उपस्थिति रजिस्टर, 10 फर्जी मोहर, 3 पासबुक, ट्रेनिंग की टीचिंग सामग्री और रेलवे का मानचित्र बरामद हुआ है.

फर्जी वेबसाइट से कराते थे आवेदन

पुलिस की गिरफ्त में आए शातिर ठगों ने पूछताछ में ने बताया कि वे फर्जी वेबसाइट बनाकर बेरोजगार युवक और युवतियों को आसानी से ठगी का शिकार बना रहे थे. आरोपियों ने बताया कि उन्होंने रेलवे की एक फर्जी वेबसाइट बना रखी है. इस फर्जी वेबसाइट पर ही आरोपियों द्वारा रेलवे में नौकरी का हवाला देकर विभिन्न प्रांतों से बेरोजगार युवक और युवतियों का आवेदन कराया जाता था. प्रति व्यक्ति नौकरी के लिए 15 लाख की डिमांड रखी जाती थी.

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दिया जाता था फर्जी नियुक्ति पत्र

बताया गया है कि ये आरोपी फर्जी वेबसाइट पर आए आवेदनों का रिजल्ट वेबसाइट पर पोस्ट कर देते थे. वेबसाइट पर रिजल्ट देखकर आवेदक पूर्णतयः विश्वास में आ जाते थे. फिर फर्जी नियुक्ति पत्र आवेदकों को देकर उन्हें आलमबाग इलाके की पुरानी रेलवे बिल्डिंग में ही रखकर फर्जी प्रशिक्षण दिया जा रहा था. यहां प्रत्येक से 15 लाख रुपये लिए जाते थे.

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