लखनऊ: राजधानी में डेंगू का प्रकोप दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. रविवार को 3 लोग डेंगू की चपेट में आ गए. सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में आया एक मरीज डेंगू संक्रमित पाया गया. जबकि दो मरीज लोकबंधु अस्पताल में बुखार की शिकायत पर आया था. जहां जांच में डेंगू की पुष्टि हो गई. जिसमें एक मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया गया.
कोरोना के बाद राजधानी लखनऊ में अब डेंगू का प्रकोप तेजी से फैल रहा है. बुखार की शिकायत पर अस्पताल व निजी क्लीनिक में बुखार की शिकायत पर आने वाले कई मरीज डेंगू संक्रमित पाए जा रहे हैं. रोजाना 10 व उससे अधिक डेंगू पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं. रविवार को श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में एक मरीज आया. मरीज को तेज बुखार था. डॉक्टरों ने मरीज का डेंगू टेस्ट कराया तो रिपोर्ट पॉजिटिव रही. फिलहाल मरीज को दवाएं दी गई है और वह घर लौट गया. उधर लोकबंधु अस्पताल की ओपीडी में आए बुखार के 2 मरीज का कार्ड टेस्ट भी पॉजिटिव आया है इसमें से एक मरीज को भर्ती किया गया. अन्य मरीज शहर के अलग-अलग हिस्सों में मिले हैं जो निजी क्लीनिक में अपना इलाज करा रहे हैं.
चोट के बावजूद कंधे देंगे सहारा, अपने साथ दूसरों की मदद को भी उठेगा हाथ
अक्सर एक्सीडेंट होने पर कंधे में फ्रैक्चर आने या हड्डी टूट जाने से लोगों के हाथ ऊपर उठने बंद हो जाते हैं. साथ ही कंधे में हमेशा दर्द बना रहता है. ऐसे में मरीज असहाय हो जाता है. मगर अत्याधुनिक आर्थोपेडिक दूरबीन विधि से की जाने वाली सर्जरी से मरीजों का हाथ ऊपर उठने लगता है. साथ ही कंधे का दर्द भी गायब हो जाता है. ऐसे में व्यक्ति अपने साथ ही साथ दूसरों की भी मदद के लिए हाथ आगे बढ़ा सकता है. यह बातें रविवार को यूपी आर्थोपेडिक एसोसिएशन के तत्वाधान में लखनऊ ऑर्थोपेडिक सोसायटी व ऑर्थोपेडिक एवम स्पोर्ट्स मेडिसिन विभाग केजीएमयू की ओर से निराला नगर में आयोजित सिंपोजियम में विशेषज्ञों बताई.
केजीएमयू में अस्थिरोग विभाग के प्रो. डॉ. आशीष कुमार ने बताया कि कंधे में चोट या फैक्चर होने पर मरीजों के हाथ अक्सर ऊपर नहीं उठते. उनके कंधे में भी दर्द बना रहता है. ऐसे में दूरबीन विधि से फिलॉस्प प्लेट लगा दी जाती है. यह लॉकिंग कंप्रेशन प्लेट होती है. इससे मरीज के हाथ उठने लगते हैं और दर्द भी दूर हो जाता है. इसी तरह कई बार खिलाड़ियों का कंधा डिस्लोकेट हो जाता है. लोगों का कंधा बार-बार उतरता है. इसके लिए अत्याधुनिक आर्थोस्कोपी तकनीकि से इलाज किया जाता है. इसी तरह बढ़ती उम्र के चलते बुजुर्गों में होने वाली कंधे की समस्या में रिवर्स सोल्डर आर्थोप्लास्टी तकनीकि का इस्तेमाल होता है. इसमें बॉल की जगह कप व कप की जगह बॉल लगा दिया जाता है. इससे मांशपेशियां फिर से सक्रिय हो जाती हैं और मरीज का हाथ काम करने लगता है. कंधे का दर्द ठीक हो जाता है. इसके अतिरिक्त रोटेटर कफ इंजरी को भी दूरबीन विधि से रिपयेर कर दिया जाता है. इसमें कई बार गिर जाने या बढ़ती उम्र में अपने आप कालर फट जाता है. सुई के बराबर छेद करके समस्या को दूरबीन विधि से ठीक कर दिया जाता है. यह सभी तकनीकि केजीएमयू के आर्थो विभाग में मौजूद हैं.
इस कार्यक्रम में प्रदेश भर से आए 150 अस्थिरोग विशेषज्ञों ने भाग लिया. कार्यक्रम प्रो आशीष कुमार व प्रो विनीत शर्मा के नेतृत्व में किया गया. सम्मेलन का उद्देश्य कंधे के जोड़ से संबंधित चोटों व बीमारियों के अत्याधुनिक उपचार के प्रति लोगों को जागरूक करना था. इस दौरान बतौर मुख्य अतिथि केजीएमयू के कुलपति डा. बिपिन पुरी ,डा. उत्तम गर्ग ( सिप्स अस्पताल), डा.संजीव कुमार केजीएमयू, इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिशन के उपाध्यक्ष डॉ. अतुल श्रीवास्तव, यूपी ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. संजय धवन, सचिव डॉ.अनूप अग्रवाल, डॉ.संजय देसाई, डॉ.दीपक भाटिया, डॉ.जितेंद्र माहेश्वरी (दिल्ली), डॉ.राजीव रमन (कोलकाता), डॉ.सुधीर कपूर( दिल्ली) इत्यादि ने अपने विचार व्यक्त किए.
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