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नर्सों के हजारों पद डकार गया यूपी का 'सिस्टम'

उत्तर प्रदेश में नर्सों की कमी देखी जा रही हैं, लेकिन इसके बावजूद नर्सों के खाली पदों पर भर्ती प्रक्रिया नहीं हो रही है. यूपी में 24 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं. इनमें वर्तमान में 4,826 नर्सों के पद हैं. उनमें से करीब 1743 पर स्थायी नर्सों की ही तैनाती है. ऐसे में पेशेंट केयर डगमगा रहा है.

नर्सों के हजारों पद डकार गया यूपी का 'सिस्टम'
नर्सों के हजारों पद डकार गया यूपी का 'सिस्टम'नर्सों के हजारों पद डकार गया यूपी का 'सिस्टम'
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Published : May 16, 2021, 10:07 AM IST

लखनऊ : कोरोना काल में हेल्थ वर्करों को कोरोना योद्धा कहा जा रहा है. सरकार ने हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा कराकर हौसलाफजाई की है. वहीं दूसरी तरफ उनके हकों में पड़ रहे डाका पर मौन भी है. स्थिति यह है कि तमाम स्वास्थ्य कर्मियों के तमाम संवर्ग की बात तो दूर वायरस से सीधे जंग लड़ रहीं नर्सों की ही उपेक्षा की जा रही है. यूपी में इनकी रिक्त पदों पर भर्ती तो दूर, हजारों की संख्या में पद ही यहां का 'सिस्टम' डकार गया है. काम का डबल बोझ, रिक्त पदों पर भर्ती को लेकर कई बार नर्सों ने आवाज बुलंद की, लेकिन अफसर एक टेबल से दूसरी टेबल पर फ़ाइल घुमाकर खामोश हो गए.

जानकारी देते नर्सेज संघ यूपी के महामंत्री अशोक कुमार
4,826 अस्पताल 50 फीसद पद खालीनर्सेज संघ यूपी के महामंत्री अशोक कुमार के मुताबिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की दिसम्बर 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक जिला अस्पताल, संयुक्त अस्पताल महिला अस्पताल, सीएचसी, ट्रामा सेंटर व मैटरनिटी एंड चाइल्ड हॉस्पिटल मिलाकर 4,826 अस्पताल हैं. इसमें 71, 830 बेड हैं. इन बेडों पर भर्ती मरीज के लिए सिर्फ 9,569 नर्सिंग के पद हैं. इसमें 7,866 स्टाफ नर्स के पद हैं. उसमें भी सिर्फ 4,507 पद पर तैनाती है. अब पांच माह में और नर्सें रिटायर हो गई हैं. वर्तमान में सृजित पदों पर भी 50 फीसद खाली हैं.सरकारी मानक से 21 हजार, काउंसिल के हिसाब से 70 हजार हों पदमहामंत्री अशोक कुमार के मुताबिक सरकार ने 100 बेड के अस्पताल संचालन के लिए 30 स्टाफ नर्स, 6 सिस्टर, 2 सहायक उपचारिका के पद का मानक तय किया है. इसमें यदि सिर्फ स्टाफ नर्सों के पदों का ही अस्पतालों के 71 हजार बेडों के लिहाज से आंकलन करें तो स्वास्थ्य विभाग में नर्सों के पद 21 हजार से ज्यादा होने चाहिए. वहीं अभी तक 9,569 ही पद स्वीकृत हैं. वहीं इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मानक में तीन बेड पर एक नर्स होना चाहिए. ऐसे में तीनों शिफ्ट की ड्यूटी के लिए अस्पतालों में बेड के हिसाब से 70 हजार से ज्यादा नर्सों के पद की आवश्यकता है. लिहाजा, हजारों पद ही यहां के सिस्टम में दफन हो गए हैं.मेडिकल कॉलेज में आधे पद खाली

यूपी में 24 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं. इनमें वर्तमान में 4,826 नर्सों के पद हैं. उनमें से करीब 1743 पर स्थायी नर्सों की ही तैनाती है. ऐसे में पेशेंट केयर डगमगा रहा है. वहीं नर्सें कोविड काल मे डबल बोझ तले दबी हैं. उधर, व्यवस्था गड़बड़ाती देख आउटसोर्सिंग से नर्सों की भर्ती की गई.

बड़े चिकित्सा संस्थानों में नर्सों के रिक्त पदों की भरमार

लोहिया संस्थान : नर्सेज संघ के महामंत्री अमित शर्मा के मुताबिक संस्थान में 1117 बेड हो गए हैं. यहां सिर्फ 150 नर्सें स्थाई, 214आउटसोर्सिंग से हैं. 422 सृजित पदों पर भर्ती वर्षों से डंप है. कई बार भर्ती के लिए शासन-प्रशासन को पत्र लिखा गया, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है.

एसजीपीजीआई : नर्सेज संघ की अध्यक्ष सीमा शुक्ला के मुताबिक संस्थान में एक हजार के करीब बेड हैं. यहां 940 स्थाई नर्स व 450 आउट सोर्सिंग पर नर्सें तैनात हैं. वहीं वर्षों से नर्सों के 600 पद रिक्त हैं.

केजीएमयू : कर्मचारी संघ के अध्यक्ष प्रदीप गंगवार के मुताबिक संस्थान में करीब 4400 बेड हैं. 262 स्थाई नर्स हैं. 300 नर्स स्वास्थ्य विभाग से डेपुटेशन पर हैं. वहीं नौ सौ आउटसोर्सिंग पर हैं. संस्थान में नर्सों के करीब 1260 स्थाई पद रिक्त हैं. अफसरों से कई बार डिमांड की गई, लेकिन फाइल डंप हैं.

नर्सिंग काउंसिल के मानक के अनुसार तैनाती नर्स संख्या

  • वार्ड में तीन बेड पर एक नर्स
  • आईसीयू में एक बेड पर एक नर्स
  • ऑपरेशन में एक टेबल पर तीन नर्स
  • पोस्ट ऑफ में दो बेड पर एक नर्स

    क्या कहते हैं अफसर

    चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस नेगी के मुताबिक लोकसेवा आयोग को भर्ती के लिए अधियाचन भेज दिया गया है. जल्द की स्वीकृत पदों पर नर्सों की भर्ती की जाएगी. वहीं आवश्यकता के लिहाज से नए पदों का भी सृजन होगा. चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ केके गुप्ता के मुताबिक रिक्त पदों पर आउट सोर्सिंग से भर्ती कर नर्सों का संकट दूर करने का प्रयास किया गया. जल्द ही स्थाई पदों पर भर्ती की जाएगी.

लखनऊ : कोरोना काल में हेल्थ वर्करों को कोरोना योद्धा कहा जा रहा है. सरकार ने हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा कराकर हौसलाफजाई की है. वहीं दूसरी तरफ उनके हकों में पड़ रहे डाका पर मौन भी है. स्थिति यह है कि तमाम स्वास्थ्य कर्मियों के तमाम संवर्ग की बात तो दूर वायरस से सीधे जंग लड़ रहीं नर्सों की ही उपेक्षा की जा रही है. यूपी में इनकी रिक्त पदों पर भर्ती तो दूर, हजारों की संख्या में पद ही यहां का 'सिस्टम' डकार गया है. काम का डबल बोझ, रिक्त पदों पर भर्ती को लेकर कई बार नर्सों ने आवाज बुलंद की, लेकिन अफसर एक टेबल से दूसरी टेबल पर फ़ाइल घुमाकर खामोश हो गए.

जानकारी देते नर्सेज संघ यूपी के महामंत्री अशोक कुमार
4,826 अस्पताल 50 फीसद पद खालीनर्सेज संघ यूपी के महामंत्री अशोक कुमार के मुताबिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की दिसम्बर 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक जिला अस्पताल, संयुक्त अस्पताल महिला अस्पताल, सीएचसी, ट्रामा सेंटर व मैटरनिटी एंड चाइल्ड हॉस्पिटल मिलाकर 4,826 अस्पताल हैं. इसमें 71, 830 बेड हैं. इन बेडों पर भर्ती मरीज के लिए सिर्फ 9,569 नर्सिंग के पद हैं. इसमें 7,866 स्टाफ नर्स के पद हैं. उसमें भी सिर्फ 4,507 पद पर तैनाती है. अब पांच माह में और नर्सें रिटायर हो गई हैं. वर्तमान में सृजित पदों पर भी 50 फीसद खाली हैं.सरकारी मानक से 21 हजार, काउंसिल के हिसाब से 70 हजार हों पदमहामंत्री अशोक कुमार के मुताबिक सरकार ने 100 बेड के अस्पताल संचालन के लिए 30 स्टाफ नर्स, 6 सिस्टर, 2 सहायक उपचारिका के पद का मानक तय किया है. इसमें यदि सिर्फ स्टाफ नर्सों के पदों का ही अस्पतालों के 71 हजार बेडों के लिहाज से आंकलन करें तो स्वास्थ्य विभाग में नर्सों के पद 21 हजार से ज्यादा होने चाहिए. वहीं अभी तक 9,569 ही पद स्वीकृत हैं. वहीं इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मानक में तीन बेड पर एक नर्स होना चाहिए. ऐसे में तीनों शिफ्ट की ड्यूटी के लिए अस्पतालों में बेड के हिसाब से 70 हजार से ज्यादा नर्सों के पद की आवश्यकता है. लिहाजा, हजारों पद ही यहां के सिस्टम में दफन हो गए हैं.मेडिकल कॉलेज में आधे पद खाली

यूपी में 24 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं. इनमें वर्तमान में 4,826 नर्सों के पद हैं. उनमें से करीब 1743 पर स्थायी नर्सों की ही तैनाती है. ऐसे में पेशेंट केयर डगमगा रहा है. वहीं नर्सें कोविड काल मे डबल बोझ तले दबी हैं. उधर, व्यवस्था गड़बड़ाती देख आउटसोर्सिंग से नर्सों की भर्ती की गई.

बड़े चिकित्सा संस्थानों में नर्सों के रिक्त पदों की भरमार

लोहिया संस्थान : नर्सेज संघ के महामंत्री अमित शर्मा के मुताबिक संस्थान में 1117 बेड हो गए हैं. यहां सिर्फ 150 नर्सें स्थाई, 214आउटसोर्सिंग से हैं. 422 सृजित पदों पर भर्ती वर्षों से डंप है. कई बार भर्ती के लिए शासन-प्रशासन को पत्र लिखा गया, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है.

एसजीपीजीआई : नर्सेज संघ की अध्यक्ष सीमा शुक्ला के मुताबिक संस्थान में एक हजार के करीब बेड हैं. यहां 940 स्थाई नर्स व 450 आउट सोर्सिंग पर नर्सें तैनात हैं. वहीं वर्षों से नर्सों के 600 पद रिक्त हैं.

केजीएमयू : कर्मचारी संघ के अध्यक्ष प्रदीप गंगवार के मुताबिक संस्थान में करीब 4400 बेड हैं. 262 स्थाई नर्स हैं. 300 नर्स स्वास्थ्य विभाग से डेपुटेशन पर हैं. वहीं नौ सौ आउटसोर्सिंग पर हैं. संस्थान में नर्सों के करीब 1260 स्थाई पद रिक्त हैं. अफसरों से कई बार डिमांड की गई, लेकिन फाइल डंप हैं.

नर्सिंग काउंसिल के मानक के अनुसार तैनाती नर्स संख्या

  • वार्ड में तीन बेड पर एक नर्स
  • आईसीयू में एक बेड पर एक नर्स
  • ऑपरेशन में एक टेबल पर तीन नर्स
  • पोस्ट ऑफ में दो बेड पर एक नर्स

    क्या कहते हैं अफसर

    चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस नेगी के मुताबिक लोकसेवा आयोग को भर्ती के लिए अधियाचन भेज दिया गया है. जल्द की स्वीकृत पदों पर नर्सों की भर्ती की जाएगी. वहीं आवश्यकता के लिहाज से नए पदों का भी सृजन होगा. चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ केके गुप्ता के मुताबिक रिक्त पदों पर आउट सोर्सिंग से भर्ती कर नर्सों का संकट दूर करने का प्रयास किया गया. जल्द ही स्थाई पदों पर भर्ती की जाएगी.
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