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यूपी के इस गांव में है दशहरी आम का 200 साल पुराना पेड़ - लखनऊ खबर

फलों के राजा आम के तो सब ही शौकीन हैं, लेकिन आम में भी सैकड़ो किस्में मौजूद हैं. किसी को अल्फांसो पसंद है तो कोई तोतापरी का शौकीन है, लेकिन दुनिया में धूम मचाने वाली और बड़े पैमाने पर विदेशों में एक्सपोर्ट होने वाली दशहरी नस्ल के सभी दीवाने हैं. हालांकि बहुत कम लोग ही जानते हैं कि सबसे पहला दशहरी आम का पेड़ कहां मौजूद है. जिसको 'मदर ऑफ दशहरी मैंगो ट्री' कहा जाता है.

दशहरी आम का 200 साल पुराना पेड़.
दशहरी आम का 200 साल पुराना पेड़.
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Published : Jun 20, 2021, 2:09 PM IST

लखनऊ: फलों के राजा आम का हर कोई शौकीन होता है और भारत में आमों की हजार तरह की वैरायटी हैं जों अलग-अलग राज्यों की शान बनी हुई हैं. आम की इन्हीं वैरायटी में एक है उत्तर प्रदेश का दशहरी आम. ये आम न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी बड़े पैमाने पर भेजा जाता है. आम की इसी वैरायटी का एक पेड़ है जिसे 'मदर ऑफ दशहरी मैंगो ट्री' कहा जाता है. बहुत कम लोगों को पता है कि ये कहां पर है ये पेड़ और क्यों इसे 'मदर ऑफ दशहरी मैंगो ट्री' कहते हैं.

यूपी के दशहरी गांव में है ये पेड़

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगे काकोरी में एक बेहद छोटा सा गांव मौजूद है, जिसका नाम दशहरी है. इसी गांव में आम का पहला पेड़ मौजूद है. यहां आम का वह पेड़ आज भी मौजूद है जिस पर पहला दशहरी आम आया था. दशहरी गांव के नाम पर ही इस आम का नाम भी दशहरी पड़ा. बता दें कि आज दशहरी आम के उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश नंबर वन है. राज्य में हर साल करीब 20 लाख टन दशहरी आम का उत्पादन होता है.

दशहरी आम का 200 साल पुराना पेड़.

इस पेड़ की उम्र लगभग 200 साल बताई जाती है. जानकार बताते हैं कि पहले लखनऊ जाने का यही रास्ता हुआ करता था. एक बार फकीर मोहम्मद खान जो उस वक्त अवध के नवाब के सिपहसालार हुआ करते थे, वह इसके नीचे आराम करने के लिए रुके. इस दौरान उन्होंने इस पेड़ से आम को तोड़कर खाया. जो उनको बहुत पसंद आया. इसके बाद वह इस पेड़ की कलम को अपने साथ लेकर मलिहाबाद गए. जहां यह आम खूब फलने लगा.

आम का 200 साल पुराना पेड़
आम का 200 साल पुराना पेड़

इस पेड़ के आम बड़े मशहूर

अब मलिहाबाद दशहरी आम का उत्‍पादन करने वाला सबसे बड़ा क्षेत्र है. मलिहाबाद के बुजुर्गों की मानें तो मिर्जा गालिब तक दशहरी आम के शौकीन थे. गांव के एक बुजुर्ग के मुताबिक जिस समय क्षेत्र को अवध के तौर पर जाना जाता था तो मिर्जा गालिब जब कभी भी कोलकाता से दिल्‍ली जाते थे तो लखनऊ में रुककर इस आम का स्‍वाद चखना नहीं भूलते थे. वर्तमान में इस मदर दशहरी ट्री की हिफाज़त के लिए चारो तरफ कंटीले तार लगा दिए गए हैं. हर वक्त यहां पर एक चौकीदार मौजूद रहता है, जो इसकी देखरेख करता है.

इसे भी पढ़ें- आम के शौकीनों का इंतजार खत्म, पहली खेप दिल्ली के लिए रवाना

मलिहाबाद से विदेशों तक निर्यात होता है दशहरी आम

राजधानी लखनऊ से सटे मलिहाबाद को मैंगो बेल्ट के तौर पर जाना जाता है जो अब दशहरी आम का सबसे बड़ा उत्पादन क्षेत्र बन गया है.उत्‍तर प्रदेश में 14 बेल्‍ट हैं जहां पर आम की खेती होती है मगर मलिहाबाद सबसे खास है. मलिहाबाद में 30,000 हेक्‍टेयर के क्षेत्र में बस आम की खेती के लिए है. शासद इस वजह से ही उत्‍तर प्रदेश भारत में आमों के उत्‍पादन के मामले में दूसरे नंबर पर है. पहला नंबर अभी तक आंध्र प्रदेश का है.राजेनताओं से लेकर फिल्मी कलाकर तक दशहरी आम के शौकीन हैं.

पाकिस्‍तान, नेपाल, मलेशिया, फिलीपींस, हांगकांग, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया तक दशहरी आमों को भेजा जाता है. दशहरी आम जून में आता है और जुलाई के पहले हफ्ते तक रहता है. कहा जाता है कि बहुत ज्‍यादा गर्मी दशहरी आमों के लिए बेस्‍ट होती है और यह मौसम आम को बहुत मीठा बना देता है.

लखनऊ: फलों के राजा आम का हर कोई शौकीन होता है और भारत में आमों की हजार तरह की वैरायटी हैं जों अलग-अलग राज्यों की शान बनी हुई हैं. आम की इन्हीं वैरायटी में एक है उत्तर प्रदेश का दशहरी आम. ये आम न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी बड़े पैमाने पर भेजा जाता है. आम की इसी वैरायटी का एक पेड़ है जिसे 'मदर ऑफ दशहरी मैंगो ट्री' कहा जाता है. बहुत कम लोगों को पता है कि ये कहां पर है ये पेड़ और क्यों इसे 'मदर ऑफ दशहरी मैंगो ट्री' कहते हैं.

यूपी के दशहरी गांव में है ये पेड़

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगे काकोरी में एक बेहद छोटा सा गांव मौजूद है, जिसका नाम दशहरी है. इसी गांव में आम का पहला पेड़ मौजूद है. यहां आम का वह पेड़ आज भी मौजूद है जिस पर पहला दशहरी आम आया था. दशहरी गांव के नाम पर ही इस आम का नाम भी दशहरी पड़ा. बता दें कि आज दशहरी आम के उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश नंबर वन है. राज्य में हर साल करीब 20 लाख टन दशहरी आम का उत्पादन होता है.

दशहरी आम का 200 साल पुराना पेड़.

इस पेड़ की उम्र लगभग 200 साल बताई जाती है. जानकार बताते हैं कि पहले लखनऊ जाने का यही रास्ता हुआ करता था. एक बार फकीर मोहम्मद खान जो उस वक्त अवध के नवाब के सिपहसालार हुआ करते थे, वह इसके नीचे आराम करने के लिए रुके. इस दौरान उन्होंने इस पेड़ से आम को तोड़कर खाया. जो उनको बहुत पसंद आया. इसके बाद वह इस पेड़ की कलम को अपने साथ लेकर मलिहाबाद गए. जहां यह आम खूब फलने लगा.

आम का 200 साल पुराना पेड़
आम का 200 साल पुराना पेड़

इस पेड़ के आम बड़े मशहूर

अब मलिहाबाद दशहरी आम का उत्‍पादन करने वाला सबसे बड़ा क्षेत्र है. मलिहाबाद के बुजुर्गों की मानें तो मिर्जा गालिब तक दशहरी आम के शौकीन थे. गांव के एक बुजुर्ग के मुताबिक जिस समय क्षेत्र को अवध के तौर पर जाना जाता था तो मिर्जा गालिब जब कभी भी कोलकाता से दिल्‍ली जाते थे तो लखनऊ में रुककर इस आम का स्‍वाद चखना नहीं भूलते थे. वर्तमान में इस मदर दशहरी ट्री की हिफाज़त के लिए चारो तरफ कंटीले तार लगा दिए गए हैं. हर वक्त यहां पर एक चौकीदार मौजूद रहता है, जो इसकी देखरेख करता है.

इसे भी पढ़ें- आम के शौकीनों का इंतजार खत्म, पहली खेप दिल्ली के लिए रवाना

मलिहाबाद से विदेशों तक निर्यात होता है दशहरी आम

राजधानी लखनऊ से सटे मलिहाबाद को मैंगो बेल्ट के तौर पर जाना जाता है जो अब दशहरी आम का सबसे बड़ा उत्पादन क्षेत्र बन गया है.उत्‍तर प्रदेश में 14 बेल्‍ट हैं जहां पर आम की खेती होती है मगर मलिहाबाद सबसे खास है. मलिहाबाद में 30,000 हेक्‍टेयर के क्षेत्र में बस आम की खेती के लिए है. शासद इस वजह से ही उत्‍तर प्रदेश भारत में आमों के उत्‍पादन के मामले में दूसरे नंबर पर है. पहला नंबर अभी तक आंध्र प्रदेश का है.राजेनताओं से लेकर फिल्मी कलाकर तक दशहरी आम के शौकीन हैं.

पाकिस्‍तान, नेपाल, मलेशिया, फिलीपींस, हांगकांग, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया तक दशहरी आमों को भेजा जाता है. दशहरी आम जून में आता है और जुलाई के पहले हफ्ते तक रहता है. कहा जाता है कि बहुत ज्‍यादा गर्मी दशहरी आमों के लिए बेस्‍ट होती है और यह मौसम आम को बहुत मीठा बना देता है.

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