लखनऊ : उत्तर प्रदेश की सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षामित्र का मानदेय ₹10000 प्रति माह से अधिक नहीं किया जाएगा. फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है और न ही शिक्षामित्रों को महंगाई भत्ता जैसी कोई सुविधा दी जा सकती है. विधान परिषद में सरकार ने यह स्पष्ट जवाब विपक्ष के सवालों पर दिया है. जिसको लेकर विपक्ष ने कुछ देर के लिए हंगामा भी किया.
समाजवादी पार्टी के MLC डॉ. मान सिंह ने शिक्षा मित्रों के मानदेय बढ़ोतरी को लेकर विधान परिषद में सवाल उठाया. इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी के एमएलसी भीमराव अंबेडकर ने भी शिक्षामित्र के मानदेय में महंगाई भत्ता जोड़ने की मांग की. जिसके जवाब में प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि फिलहाल ऐसी कोई भी संभावना नहीं है कि शिक्षामित्र के मानदेय में ₹10000 से अधिक की कोई बढ़ोतरी की जाए. वर्ष 2017 में अंतिम बार शिक्षामित्र का मानदेय बढ़ाया गया था जो कि 10000 रुपये हुआ था. सरकार की ओर से जवाब दिया गया कि मानदेय बढ़ाने की अभी कोई योजना नहीं है. न ही महंगाई भत्ता दिया जाएगा.
शिक्षक MLC ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने बस्ती मंडल संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति के बाद उनको पीएफ भुगतान न किए जाने को लेकर सवाल पूछा सरकार की ओर से माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने कहा कि बस्ती मंडल के सभी रिटायर अध्यापकों को पीएफ भुगतान किया जा चुका है. उन्होंने आश्वासन दिया कि सभी मंडलों रिटायर शिक्षक का पीएफ भुगतान बहुत जल्द किया जाएगा.
शिक्षामित्रों का प्रदर्शन, मानदेय बढ़ाने और शिक्षक पद पर समायोजन की मांग