लखनऊ : हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता है. पिछले 11 वर्षों से मनाया जा रहे कैंसर दिवस का उद्देश्य यही है कि लोग कैंसर के प्रति जागरूक हो और उन फैक्टर्स को जाने जिनकी वजह से कैंसर होने की आशंका बढ़ सकती है.
विश्व कैंसर दिवस की 2019 की थीम 'आई कैन वी कैन' यानी मैं कर सकता हूं और हम सब कर सकते हैं- रखी गई है. इस बाबत डॉ वेद प्रकाश कहते हैं कि इस थीम को रखने का उद्देश्य लोगों में कैंसर के प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरूकता बढ़ाने और उसे सावधान रहने के लिए रखा गया है. कैंसर के कुछ जाने पहचाने कारणों के अलावा पर्यावरण में कुछ अन्य कारक भी हैं जिनकी वजह से कैंसर होने की आशंका दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. इनमें से पर्यावरण प्रदूषण सबसे मुख्य कारण है जिनकी वजह से यदि किसी व्यक्ति को कोई भी व्यसन न हो तो भी उसे कैंसर हो सकता है.
यदि किसी मरीज को एक बार कैंसर हो जाए और वह अपनी पूरी तरह से इलाज करवा ले उसके बाद भी डॉक्टर उसे निगरानी में रखते हैं इसकी सबसे बड़ी वजह यह है यदि एक मरीज को शरीर के किसी भी हिस्से में कैंसर होता है तो आगे आने वाले वर्षों में कैंसर किसी अन्य रूप में हो सकता है और दूसरी बार होने वाले कैंसर की जल्द से जल्द पकड़ और इलाज करवाना बेहद जरूरी होता है इस बाबत डॉ मधुप कहते हैं कि मरीज को जब भी पता चलता है कि वह कैंसर से पीड़ित है तो उसकी काउंसलिंग और जल्द से जल्द इलाज बेहद जरूरी होता है लेकिन साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी होता है कि उस मरीज की दिनचर्या पहले से पूरी तरह बदल चुकी होती है और उसे एक नई दिनचर्या को जीवन भर निभाना पड़ेगा. डॉ शैलेंद्र कहते हैं एक मरीज की कैंसर की सर्जरी होने के बाद उसे एक निश्चित फल ऑफ में रखा जाता है और जांचें करवाई जाती है ताकि किसी भी सूरत में यदि मरीज में कैंसर के लक्षण दिखते हैं तो उसका तुरंत इलाज करवाया जा सके यह जरूरी नहीं होता है कि एक भाग में होने वाला कैंसर उसी भाग तक सीमित रहा है रिकरिंग कैंसर पहली बार होने वाले कैंसर से अधिक गंभीर हो सकते हैं और शरीर के किसी भी भाग में पहुंच सकते हैं.
कैंसर की बीमारी जितनी घातक है उससे कहीं ज्यादा जरूरी है उसके बारे में जानकारी होना क्यों कि जानकारी के अभाव में ही कई तरह की भ्रांतियां भी फैलती है और बीमारियों की चपेट में लोग अधिक आते हैं.