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यूपी में लॉ एंड ऑर्डर के हालात; कितना चुस्त और कितना दुरुस्त करने की दरकार? - ELIMINATION OF CRIMINALS IN UP

पब्लिक के अनुसार अभी भी यूपी में पुलिसकर्मियों के संख्या कम, पुलिस के रवैये से जनता खाती है खौफ, क्या इसमें होगा सुधार?

योगी सरकार में कानून व्यवस्था.
योगी सरकार में कानून व्यवस्था. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 4, 2025, 6:36 AM IST

Updated : Jan 4, 2025, 4:09 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में साढ़े सात वर्ष पहले शुरू हुई माफिया और अपराधियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई का परिणाम है कि आज इन वर्षों में 218 अपराधी मार गिराए गए है, 16 हजार से अधिक गिरफ्तार हुए और अपराध से अर्जित करीब 4 हजार करोड़ की संपत्ति जब्त हुई.

हालांकि इस दौरान यूपी पुलिस पर कई बार अलग अलग तरह के गंभीर आरोप भी लगे. जिसमें सरकार ने सख्त कार्रवाई कर नजीर स्थापित किया है. अब जब वर्ष 2025 में प्रवेश कर चुके हैं तब पुलिस का कैसा रहेगा अपराधियों के प्रति रुख? पुलिस अपने बल को मजबूत और आधुनिक करने के लिए क्या क्या कदम उठाएगी? आने वाली आधुनिक चुनौतियों से निपटने के लिए क्या होगी पुलिस रणनीति? भ्रष्टाचार में लिप्त और जनता के बीच अब भी पूरी तरह से भरोसा कायम न करने पाने लेकर क्या होगा सुधार कार्यक्रम? इस पर विस्तृत खबर में नजर डालते है.

विशेषज्ञों से जानिए यूपी में कानून व्यवस्था के हालात. (Video Credit; ETV Bharat)

वर्तमान में कैसी है यूपी की कानून व्यवस्थाः वरिष्ठ पत्रकार हेमंत तिवारी बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 से पहले मुख्तार अंसारी गैंग हो या अतीक अहमद और उसके गैंग, राज्य में किसी का भी अपहरण कर उससे वसूली करना. जेल में बैठकर किसी की भी हत्या करवाना और चुनाव के दौरान वोटर्स व अन्य उम्मीदवारों को धमकाना राज्य का शगल बन चुका था. ऐसा नहीं है कि इन वर्षों में ऐसे माफिया व अपराधियों पर मुकदमे दर्ज नहीं हुए लेकिन ये सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहे.

हालांकि यूपी में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही उसी पुलिस ने इन अपराधियों और माफिया गैंग पर कार्रवाई शुरू की. गुर्गों को जेल भेजा जाना शुरू किया और अपराधियों माफिया के खिलाफ दर्ज मुकदमों में पैरवी शुरू की. नतीजन राज्य में कुख्यात अपराधियों की लिस्ट में शुमार अधिकांश अपराधी जेल में है या फिर एनकाउंटर में ढेर किए जा चुके है. इतना ही नहीं काले साम्राज्य से अर्जित की गई संपत्तियों को भी सरकार ने जब्त कर लिया.

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यूपी में कानून व्यवस्था की आगामी योजना. (ETV Bharat Gfx)

आतंकियों के खिलाफ कार्रवाईः यूपी में सिर्फ अपराधी और माफिया ही नहीं आतंकियों की भी यूपी पुलिस ने कमर तोड़ कर रख दी. उत्तर प्रदेश एंट्री टेररिस्ट स्क्वॉड ने बीते कुछ वर्षों में अन्य किसी भी राज्य की तुलना में सबसे अधिक आतंकियों और घुसपैठियों पर कार्रवाई की है. हाल ही के कुछ वर्षों में यूपी एटीएस की मजबूती का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि 2003 से 2014 तक यूपी में अत्यधिक आतंक गतिविधियों के होने पर भी सिर्फ 12 आतंकी व स्लीपर मॉड्यूल्स को गिरफ्तार किया जा सका. जबकि वर्ष 2017 से 2024 तक 124 आतंकियों व घुसपैठियों को गिरफ्तार किया गया. इसमें हिजबुल मुजाहिद्दीन के 3, ISIS के 4 और ISI के तीन एजेंट गिरफ्तार किए गए हैं.

7.5 साल में 218 अपराधी एनकाउंटर में ढेर.
7.5 साल में 218 अपराधी एनकाउंटर में ढेर. (ETV Bharat Gfx)

आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए उठाए गए कदमः पूर्व पुलिस अधिकारी श्याम शुक्ला कहते है कि शुरुआती दौर में आतंकी संगठनों से मोर्चा लेने के लिए केंद्रीय एजेंसियां, सेना और अर्धसैनिक बलों की ही मदद ली जाती थी. जो सिर्फ उन्हीं मौकों पर एक्टिव होते थे. जब किसी स्थान पर आतंकियों के मौजूद होने की सूचना मिलती या फिर आतंकी कोई घटना को कारित करने जाते थे. हालांकि 2007 को यूपी एटीएस का गठन किया गया और फिर यह यूनिट अलग से सिर्फ आतंकी संगठनों और उससे जुड़े लोगों पर नजर रखने, जांच करने और कार्रवाई करने लगी थी.

लेकिन यूपी में योगी सरकार ने यूपी एटीएस का स्तर बढ़ाया और उसे टैक्टिकल यूनिट के तौर पर अपग्रेड किया. जो न सिर्फ आतंकियों पर अपनी नजर रखती है बल्कि किसी भी हिंसात्मक घटनाओं को रोकने, उनसे संबंधित लोगों को गिरफ्तार करने, किसी भी इलाके की सघन तलाशी करने, सशस्त्र व्यक्ति को गिरफ्तार करने के मिशन पर भी कार्य करती है. इतना ही नहीं यूपी एटीएस को मजबूती प्रदान करने के लिए हर तरह के आधुनिक उपकरणों से भी लैश किया गया है.

योगी सरकार में कितने अपराधियों को मिली सजा.
योगी सरकार में कितने अपराधियों को मिली सजा. (ETV Bharat Gfx)
'

संगठित अपराधों में आई कमी, लेकिन अपराध बढ़ेः नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) के लेटेस्ट आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2022 में अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश का देश में 18वां स्थान था. भारत के क्राइम रेट 258.1 के सापेक्ष यूपी का क्राइम रेट 171.6 है. हत्या के मामलों में यूपी 28वें, फिरौती के लिये अपहरण में 17वां, रेप में 24वां, बलवा में 24वें, लूट में 27वें स्थान पर है.

हालांकि पिछली सरकार के दौरान के 2016-17 में अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश का देश में 26वां स्थान था, जबकि भारत के क्राइम रेट 233.6 के सापेक्ष यूपी का क्राइम रेट 128.7 था. हालांकि इस वर्ष के दौरान संगठित अपराधों बढ़ोतरी थी. फिरौती के लिए अपहरण के मामले में यूपी 16वें स्थान पर था, हत्या में 20वें और रेप में 25वां स्थान था.

इस सरकार में मामले दर्ज हो रहे तो दिख रही बड़ी संख्या: पूर्व आईपीएस सूर्य कुमार शुक्ला कहते है कि NCRB के आंकड़ों में जो संख्या दिखाई जाती है, वह वो मामले होते है जो दर्ज किए जाते हैं. निःसंदेह पिछली सरकारों में मुकदमा दर्ज करवाना ही एक बड़ी चुनौती थी. उस दौरान कानून व्यवस्था ग्राउंड जीरो पर नहीं बल्कि कागजों में कम करने में जोर आजमाइश की जाती थी.

वर्तमान सरकार में पीड़ित अलग-अलग माध्यमों जैसे थाने, कोर्ट और ऑनलाइन मुकदमे दर्ज करवा रहा है. पुलिस इन मामलों को दर्ज भी कर रही है. लिहाजा संख्या बड़ी दिखने के पीछे अधिक संख्या में पीड़ितों की सुनवाई होना कारण है.

महिलाओं के प्रति अपराधों में कमी लाने के लिए पुलिस कर रही काम: IPS रवीना त्यागी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने और हर वक्त उनकी मदद के लिए तैयार रहने के लिए 5 नवम्बर 2012 को वूमेन पावर लाइन 1090 की शुरुआत की गई. महिला किसी भी समय कोई समस्या होने पर 1090 कॉल कर मदद मांग सकती थी.

यह राज्य में पहला ऐसा बड़ा कदम था, जब महिला सुरक्षा को लेकर एक डेडीकेटेड व्यवस्था की गई थी. पूर्व की सरकार की ही तरह योगी आदित्यनाथ की सरकार में महिलाओं की सुरक्षा के लिए पिंक बूथ बनाए गए, जो सिर्फ महिलाओं की शिकायत सुनने के लिए स्थापित किए गए थे. वहीं सरकार ने महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन बनाया, जो यूपी पुलिस की यूनिट है. यह संगठन राज्य में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध और दर्ज मुकदमों की मॉनिटरिंग करती है.

अपराधियों पर नजर रखने के लिए 6 लाख लगवाए कैमरे: इसके अलावा अपराधी पर नजर रखने, लोगों को सुरक्षित माहौल देने और घटना होने के बाद तत्काल अपराधियों को पकड़ने के लिए यूपी पुलिस ने जुलाई 2023 को ऑपरेशन त्रिनेत्र की शुरुआत की. जिसके तहत राज्य में करीब दो लाख स्थानों पर 6 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाए गए. नवम्बर 2019 को यूपी पुलिस के जवानों के पास मौजूद थ्री नॉट थ्री रायफल को रिटायर कर दिया, इसके स्थान पर जवानों को इंसास दी गई. ये शुरुआत थी यूपी पुलिस को आधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस करने की.

डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि यूपी में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा आयोजन के दौरान यूपी पुलिस ने आधुनिक तकनीकों का इस्तमाल किया है. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सीसीटीवी कैमरे, जो फेस रिकॉनाइजर तकनीकी पर चलता है. इसके अलावा लोगों पर नजर रखने के लिए AI ड्रोन और एंटी ड्रोन सिस्टम की मदद से रेड और येलो ज़ोन को सुरक्षित किया गया है, जिससे 5 किमी की रेडियस में उड़ने वाले किसी भी ड्रोन को लोकेट कर निष्क्रिय किया जा सकता था. यह पहली बार था जब हमने वृहद स्तर पर आधुनिक तकनीकी का इस्तमाल किया. डीजीपी ने बताया कि, इस बार प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ में पूर्व रूप से AI टेक्नोलॉजी का इस्तमाल किया है.

उत्तर प्रदेश पुलिस बल की संख्या: उत्तर प्रदेश पुलिस देश की सबसे बड़ी पुलिस बल है. जिसमें करीब 3.10 लाख पुलिसकर्मी है. जल्द ही करीब 65 हजार पुलिसकर्मी और शामिल हो जाएंगे. हालांकि यह अभी भी राज्य की जनसंख्या के हिसाब से कम ही है. दरअसल, जनवरी 2016 में राज्य पुलिस बलों में 24% रिक्ति थी. यदि जनसंख्या के हिसाब से पुलिस बल की संख्या का अनुपात पर नजर डाले तो अनुमत पुलिस क्षमता प्रति लाख लोगों पर 181 पुलिसकर्मी होना चाहिए, लेकिन इनकी वास्तविक संख्या 137 ही है. अंतराष्ट्रीय स्तर पर देखे तो यूनाइटेड नेशन ने प्रति लाख जनसंख्या पर 222 पुलिसकर्मियों की अनुशंसा की है.

पुलिस बल के सुधार प्रयास के लिए कैसे उठाएं कदमः पुलिस बल सुधार के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि पुलिसकर्मियों का मनोबल और मानसिक स्थिति दोनों ही बढ़ा रहे. लेकिन कर्मचारियों की कमी के चलते पुलिसकर्मियों पर काम का अत्यधिक बोझ बढ़ता है, जो उनकी दक्षता को कम करने के साथ ही मानसिक स्थिति पर भी समस्या पैदा होती है. इसके अलावा पुलिस बल पर राजनीतिक दबाव भी कम कर सुधार किया जा सकता है.

वर्ष 2007 में प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) ने अपने शोध में पाया था कि राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा राजनीतिक या व्यक्तिगत कारणों से पुलिसकर्मियों को अनुचित रूप से प्रभावित किया जाता है. इसके अलावा पुराने वर्ष 1861 पुलिस एक्ट के तहत अब भी पुलिस बल कार्य कर रहा है. देश के 78 वर्ष बीतने के साथ अब जनसंख्या की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं के अनुरूप नहीं रह गया है.

क्यों ज़रूरी है पुलिस सुधार?
प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC ) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में पुलिस और जनता के संबंध असंतोषजनक है. असल में जनता पुलिस को अक्षम, गैर जवाबदेह और भ्रष्ट समझते हैं. इतना ही नहीं आम लोग पुलिस से बात करने और संपर्क करने में डरते व संकोच करते हैं. वरिष्ठ पत्रकार हेमंत तिवारी कहते है कि आज का समाज फिल्मों में पुलिस सुधार होता देखता है, जो व्यवहारिक तौर पर सम्भव नहीं है. इसमें वक्त लगता है. किसी भी पुलिस अधिकारी व कर्मचारियों की प्रवृत्ति में रातों रात बदलाव नहीं लाया जा सकता है.

इसके पीछे पुलिस बल पर अतिरिक्त कार्य का बोझ, जल्दी जल्दी उनके तबादले होने जैसी विसंगतियों से परेशान होकर पुलिस बल के अफसर सुधार लाना ही नहीं चाहते हैं. हालांकि जड़ जमा चुकी इस विसंगति को बदलने के लिये पुलिस बल में सुधार तो करना आवश्यक ही है. हेमंत कहते हैं कि फिलहाल अभी तो उन्हें ऐसा कोई भी नया तरीका नहीं दिखता जिससे एक अपराधी को सभ्य ढंग से उसका अपराध कबूल करने के लिये प्रेरित किया जा सके और थर्ड डिग्री को पुलिस की डिक्शनरी से हटा ही दिया जाए.

अपराधियों को सजा दिलाने में आई तेजीः पुलिस बल का मनोबल बढ़ाने और राज्य से अपराध को कम करने में अभियोजन निदेशालय एक अहम भूमिका निभा सकता है. पुलिस जिस अपराधी को गिरफ्तार करती है, यदि उसे कोर्ट द्वारा सजा नहीं मिल पाती और वह जेल से छूट जाता है तो उस अफसर का मनोबल कम होगा. यही वजह है कि यूपी में बीते साढ़े सात वर्षों से ऑपरेशन कनविक्शन चलाया जा रहा है. अभियोजन निदेशालय के एडीजी दीपेश जुनेजा कहते हैं कि अभियोजन पक्ष बीते साढ़े सात वर्षों से उन अपराधियों और माफिया के खिलाफ कोर्ट में मजबूती से पक्ष रख रहा है, जिन्हें पहले कभी भी किसी मामले में सजा तक न हुई थी.

इसे भी पढ़ें-आखिर 144 साल बाद ही क्यों आता है महाकुंभ; जानिए कुंभ, अर्धकुंभ से कितना अलग

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में साढ़े सात वर्ष पहले शुरू हुई माफिया और अपराधियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई का परिणाम है कि आज इन वर्षों में 218 अपराधी मार गिराए गए है, 16 हजार से अधिक गिरफ्तार हुए और अपराध से अर्जित करीब 4 हजार करोड़ की संपत्ति जब्त हुई.

हालांकि इस दौरान यूपी पुलिस पर कई बार अलग अलग तरह के गंभीर आरोप भी लगे. जिसमें सरकार ने सख्त कार्रवाई कर नजीर स्थापित किया है. अब जब वर्ष 2025 में प्रवेश कर चुके हैं तब पुलिस का कैसा रहेगा अपराधियों के प्रति रुख? पुलिस अपने बल को मजबूत और आधुनिक करने के लिए क्या क्या कदम उठाएगी? आने वाली आधुनिक चुनौतियों से निपटने के लिए क्या होगी पुलिस रणनीति? भ्रष्टाचार में लिप्त और जनता के बीच अब भी पूरी तरह से भरोसा कायम न करने पाने लेकर क्या होगा सुधार कार्यक्रम? इस पर विस्तृत खबर में नजर डालते है.

विशेषज्ञों से जानिए यूपी में कानून व्यवस्था के हालात. (Video Credit; ETV Bharat)

वर्तमान में कैसी है यूपी की कानून व्यवस्थाः वरिष्ठ पत्रकार हेमंत तिवारी बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 से पहले मुख्तार अंसारी गैंग हो या अतीक अहमद और उसके गैंग, राज्य में किसी का भी अपहरण कर उससे वसूली करना. जेल में बैठकर किसी की भी हत्या करवाना और चुनाव के दौरान वोटर्स व अन्य उम्मीदवारों को धमकाना राज्य का शगल बन चुका था. ऐसा नहीं है कि इन वर्षों में ऐसे माफिया व अपराधियों पर मुकदमे दर्ज नहीं हुए लेकिन ये सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहे.

हालांकि यूपी में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही उसी पुलिस ने इन अपराधियों और माफिया गैंग पर कार्रवाई शुरू की. गुर्गों को जेल भेजा जाना शुरू किया और अपराधियों माफिया के खिलाफ दर्ज मुकदमों में पैरवी शुरू की. नतीजन राज्य में कुख्यात अपराधियों की लिस्ट में शुमार अधिकांश अपराधी जेल में है या फिर एनकाउंटर में ढेर किए जा चुके है. इतना ही नहीं काले साम्राज्य से अर्जित की गई संपत्तियों को भी सरकार ने जब्त कर लिया.

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यूपी में कानून व्यवस्था की आगामी योजना. (ETV Bharat Gfx)

आतंकियों के खिलाफ कार्रवाईः यूपी में सिर्फ अपराधी और माफिया ही नहीं आतंकियों की भी यूपी पुलिस ने कमर तोड़ कर रख दी. उत्तर प्रदेश एंट्री टेररिस्ट स्क्वॉड ने बीते कुछ वर्षों में अन्य किसी भी राज्य की तुलना में सबसे अधिक आतंकियों और घुसपैठियों पर कार्रवाई की है. हाल ही के कुछ वर्षों में यूपी एटीएस की मजबूती का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि 2003 से 2014 तक यूपी में अत्यधिक आतंक गतिविधियों के होने पर भी सिर्फ 12 आतंकी व स्लीपर मॉड्यूल्स को गिरफ्तार किया जा सका. जबकि वर्ष 2017 से 2024 तक 124 आतंकियों व घुसपैठियों को गिरफ्तार किया गया. इसमें हिजबुल मुजाहिद्दीन के 3, ISIS के 4 और ISI के तीन एजेंट गिरफ्तार किए गए हैं.

7.5 साल में 218 अपराधी एनकाउंटर में ढेर.
7.5 साल में 218 अपराधी एनकाउंटर में ढेर. (ETV Bharat Gfx)

आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए उठाए गए कदमः पूर्व पुलिस अधिकारी श्याम शुक्ला कहते है कि शुरुआती दौर में आतंकी संगठनों से मोर्चा लेने के लिए केंद्रीय एजेंसियां, सेना और अर्धसैनिक बलों की ही मदद ली जाती थी. जो सिर्फ उन्हीं मौकों पर एक्टिव होते थे. जब किसी स्थान पर आतंकियों के मौजूद होने की सूचना मिलती या फिर आतंकी कोई घटना को कारित करने जाते थे. हालांकि 2007 को यूपी एटीएस का गठन किया गया और फिर यह यूनिट अलग से सिर्फ आतंकी संगठनों और उससे जुड़े लोगों पर नजर रखने, जांच करने और कार्रवाई करने लगी थी.

लेकिन यूपी में योगी सरकार ने यूपी एटीएस का स्तर बढ़ाया और उसे टैक्टिकल यूनिट के तौर पर अपग्रेड किया. जो न सिर्फ आतंकियों पर अपनी नजर रखती है बल्कि किसी भी हिंसात्मक घटनाओं को रोकने, उनसे संबंधित लोगों को गिरफ्तार करने, किसी भी इलाके की सघन तलाशी करने, सशस्त्र व्यक्ति को गिरफ्तार करने के मिशन पर भी कार्य करती है. इतना ही नहीं यूपी एटीएस को मजबूती प्रदान करने के लिए हर तरह के आधुनिक उपकरणों से भी लैश किया गया है.

योगी सरकार में कितने अपराधियों को मिली सजा.
योगी सरकार में कितने अपराधियों को मिली सजा. (ETV Bharat Gfx)
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संगठित अपराधों में आई कमी, लेकिन अपराध बढ़ेः नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) के लेटेस्ट आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2022 में अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश का देश में 18वां स्थान था. भारत के क्राइम रेट 258.1 के सापेक्ष यूपी का क्राइम रेट 171.6 है. हत्या के मामलों में यूपी 28वें, फिरौती के लिये अपहरण में 17वां, रेप में 24वां, बलवा में 24वें, लूट में 27वें स्थान पर है.

हालांकि पिछली सरकार के दौरान के 2016-17 में अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश का देश में 26वां स्थान था, जबकि भारत के क्राइम रेट 233.6 के सापेक्ष यूपी का क्राइम रेट 128.7 था. हालांकि इस वर्ष के दौरान संगठित अपराधों बढ़ोतरी थी. फिरौती के लिए अपहरण के मामले में यूपी 16वें स्थान पर था, हत्या में 20वें और रेप में 25वां स्थान था.

इस सरकार में मामले दर्ज हो रहे तो दिख रही बड़ी संख्या: पूर्व आईपीएस सूर्य कुमार शुक्ला कहते है कि NCRB के आंकड़ों में जो संख्या दिखाई जाती है, वह वो मामले होते है जो दर्ज किए जाते हैं. निःसंदेह पिछली सरकारों में मुकदमा दर्ज करवाना ही एक बड़ी चुनौती थी. उस दौरान कानून व्यवस्था ग्राउंड जीरो पर नहीं बल्कि कागजों में कम करने में जोर आजमाइश की जाती थी.

वर्तमान सरकार में पीड़ित अलग-अलग माध्यमों जैसे थाने, कोर्ट और ऑनलाइन मुकदमे दर्ज करवा रहा है. पुलिस इन मामलों को दर्ज भी कर रही है. लिहाजा संख्या बड़ी दिखने के पीछे अधिक संख्या में पीड़ितों की सुनवाई होना कारण है.

महिलाओं के प्रति अपराधों में कमी लाने के लिए पुलिस कर रही काम: IPS रवीना त्यागी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने और हर वक्त उनकी मदद के लिए तैयार रहने के लिए 5 नवम्बर 2012 को वूमेन पावर लाइन 1090 की शुरुआत की गई. महिला किसी भी समय कोई समस्या होने पर 1090 कॉल कर मदद मांग सकती थी.

यह राज्य में पहला ऐसा बड़ा कदम था, जब महिला सुरक्षा को लेकर एक डेडीकेटेड व्यवस्था की गई थी. पूर्व की सरकार की ही तरह योगी आदित्यनाथ की सरकार में महिलाओं की सुरक्षा के लिए पिंक बूथ बनाए गए, जो सिर्फ महिलाओं की शिकायत सुनने के लिए स्थापित किए गए थे. वहीं सरकार ने महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन बनाया, जो यूपी पुलिस की यूनिट है. यह संगठन राज्य में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध और दर्ज मुकदमों की मॉनिटरिंग करती है.

अपराधियों पर नजर रखने के लिए 6 लाख लगवाए कैमरे: इसके अलावा अपराधी पर नजर रखने, लोगों को सुरक्षित माहौल देने और घटना होने के बाद तत्काल अपराधियों को पकड़ने के लिए यूपी पुलिस ने जुलाई 2023 को ऑपरेशन त्रिनेत्र की शुरुआत की. जिसके तहत राज्य में करीब दो लाख स्थानों पर 6 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाए गए. नवम्बर 2019 को यूपी पुलिस के जवानों के पास मौजूद थ्री नॉट थ्री रायफल को रिटायर कर दिया, इसके स्थान पर जवानों को इंसास दी गई. ये शुरुआत थी यूपी पुलिस को आधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस करने की.

डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि यूपी में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा आयोजन के दौरान यूपी पुलिस ने आधुनिक तकनीकों का इस्तमाल किया है. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सीसीटीवी कैमरे, जो फेस रिकॉनाइजर तकनीकी पर चलता है. इसके अलावा लोगों पर नजर रखने के लिए AI ड्रोन और एंटी ड्रोन सिस्टम की मदद से रेड और येलो ज़ोन को सुरक्षित किया गया है, जिससे 5 किमी की रेडियस में उड़ने वाले किसी भी ड्रोन को लोकेट कर निष्क्रिय किया जा सकता था. यह पहली बार था जब हमने वृहद स्तर पर आधुनिक तकनीकी का इस्तमाल किया. डीजीपी ने बताया कि, इस बार प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ में पूर्व रूप से AI टेक्नोलॉजी का इस्तमाल किया है.

उत्तर प्रदेश पुलिस बल की संख्या: उत्तर प्रदेश पुलिस देश की सबसे बड़ी पुलिस बल है. जिसमें करीब 3.10 लाख पुलिसकर्मी है. जल्द ही करीब 65 हजार पुलिसकर्मी और शामिल हो जाएंगे. हालांकि यह अभी भी राज्य की जनसंख्या के हिसाब से कम ही है. दरअसल, जनवरी 2016 में राज्य पुलिस बलों में 24% रिक्ति थी. यदि जनसंख्या के हिसाब से पुलिस बल की संख्या का अनुपात पर नजर डाले तो अनुमत पुलिस क्षमता प्रति लाख लोगों पर 181 पुलिसकर्मी होना चाहिए, लेकिन इनकी वास्तविक संख्या 137 ही है. अंतराष्ट्रीय स्तर पर देखे तो यूनाइटेड नेशन ने प्रति लाख जनसंख्या पर 222 पुलिसकर्मियों की अनुशंसा की है.

पुलिस बल के सुधार प्रयास के लिए कैसे उठाएं कदमः पुलिस बल सुधार के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि पुलिसकर्मियों का मनोबल और मानसिक स्थिति दोनों ही बढ़ा रहे. लेकिन कर्मचारियों की कमी के चलते पुलिसकर्मियों पर काम का अत्यधिक बोझ बढ़ता है, जो उनकी दक्षता को कम करने के साथ ही मानसिक स्थिति पर भी समस्या पैदा होती है. इसके अलावा पुलिस बल पर राजनीतिक दबाव भी कम कर सुधार किया जा सकता है.

वर्ष 2007 में प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) ने अपने शोध में पाया था कि राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा राजनीतिक या व्यक्तिगत कारणों से पुलिसकर्मियों को अनुचित रूप से प्रभावित किया जाता है. इसके अलावा पुराने वर्ष 1861 पुलिस एक्ट के तहत अब भी पुलिस बल कार्य कर रहा है. देश के 78 वर्ष बीतने के साथ अब जनसंख्या की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं के अनुरूप नहीं रह गया है.

क्यों ज़रूरी है पुलिस सुधार?
प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC ) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में पुलिस और जनता के संबंध असंतोषजनक है. असल में जनता पुलिस को अक्षम, गैर जवाबदेह और भ्रष्ट समझते हैं. इतना ही नहीं आम लोग पुलिस से बात करने और संपर्क करने में डरते व संकोच करते हैं. वरिष्ठ पत्रकार हेमंत तिवारी कहते है कि आज का समाज फिल्मों में पुलिस सुधार होता देखता है, जो व्यवहारिक तौर पर सम्भव नहीं है. इसमें वक्त लगता है. किसी भी पुलिस अधिकारी व कर्मचारियों की प्रवृत्ति में रातों रात बदलाव नहीं लाया जा सकता है.

इसके पीछे पुलिस बल पर अतिरिक्त कार्य का बोझ, जल्दी जल्दी उनके तबादले होने जैसी विसंगतियों से परेशान होकर पुलिस बल के अफसर सुधार लाना ही नहीं चाहते हैं. हालांकि जड़ जमा चुकी इस विसंगति को बदलने के लिये पुलिस बल में सुधार तो करना आवश्यक ही है. हेमंत कहते हैं कि फिलहाल अभी तो उन्हें ऐसा कोई भी नया तरीका नहीं दिखता जिससे एक अपराधी को सभ्य ढंग से उसका अपराध कबूल करने के लिये प्रेरित किया जा सके और थर्ड डिग्री को पुलिस की डिक्शनरी से हटा ही दिया जाए.

अपराधियों को सजा दिलाने में आई तेजीः पुलिस बल का मनोबल बढ़ाने और राज्य से अपराध को कम करने में अभियोजन निदेशालय एक अहम भूमिका निभा सकता है. पुलिस जिस अपराधी को गिरफ्तार करती है, यदि उसे कोर्ट द्वारा सजा नहीं मिल पाती और वह जेल से छूट जाता है तो उस अफसर का मनोबल कम होगा. यही वजह है कि यूपी में बीते साढ़े सात वर्षों से ऑपरेशन कनविक्शन चलाया जा रहा है. अभियोजन निदेशालय के एडीजी दीपेश जुनेजा कहते हैं कि अभियोजन पक्ष बीते साढ़े सात वर्षों से उन अपराधियों और माफिया के खिलाफ कोर्ट में मजबूती से पक्ष रख रहा है, जिन्हें पहले कभी भी किसी मामले में सजा तक न हुई थी.

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Last Updated : Jan 4, 2025, 4:09 PM IST
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