ETV Bharat / state

इस वजह से सपा छोड़कर जा रहे हैं पार्टी के कद्दावर नेता

शिवपाल यादव, नरेश अग्रवाल और सपा तमाम नेता पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं. इसके बाद भी सपा में सियासी भगदड़ रुकने का नाम नहीं ले रही है. सपा के इस संकट के वजहों के बारे में ईटीवी रिपोर्टर ने राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी से बात की. आइए जानते हैं क्या है इस सियासी भगदड़ की वजह...

सपा में सियासी भगदड़ रुकने का नाम नहीं ले रही है.
author img

By

Published : Jul 28, 2019, 3:38 AM IST

लखनऊ: समाजवादी पार्टी से बड़े-बड़े नेताओं का बाहर जाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी छोड़ दी और नई पार्टी बनाई. पार्टी के कद्दावर नेता रहे नरेश अग्रवाल, विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह, बुक्कल नवाब, पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी जैसे नेताओं से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर तक समाजवादी विचारधारा से टूटकर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम रहे हैं.

सपा में सियासी भगदड़ रुकने का नाम नहीं ले रही है.

इस सियासी भगदड़ को देखकर सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह है कि सपा से या समाजवाद से इन नेताओं का दुराव होता जा रहा है. कहीं ऐसा तो नहीं कि समाजवादी पार्टी के नेतृत्व में बदलाव की वजह से ऐसा हो रहा है. वहीं जब मुलायम सिंह पार्टी की कमान संभालते थे तो यह पूरा समाजवादी कुनबा एक परिवार की तरह बंधा हुआ था.

समाजवादी पार्टी 2017 के पहले ही लड़खड़ा गयी थी. सपा मुलायम सिंह यादव के परिवार की पार्टी है. सपा जबतक उनके हाथों में थी, ठीक थी. मुलायम सिंह साल 2012 में अपने पुत्र को सीएम बना कर पार्टी की सत्ता अघोषित तौर अखिलेश यादव के हाथों सौंप दी थी. पार्टी में सत्ता हमेशा संगठन पर हावी रहा. वहीं सपा के साथ भी हुआ. सीएम बनने के बाद अखिलेश का प्रभाव पार्टी पर बढ़ता गया. आपसी कलह से शिवपाल यादव पार्टी से बाहर हुए, फिर यह सिलसिला चलता रहा. सपा लगातार दो चुनाव हारी. पार्टी के लोग देख रहे हैं कि सपा की स्थिति सुधरने वाली नहीं है. कुछ लोग टिकट नहीं पाए इसलिए नाराज थे. कुछ सत्ता की लालच में भाजपा में शामिल हुए. इसमें सबसे बड़ा कारण सपा की आंतरिक कलह है.

-पीएन द्विवेदी, राजनीतिक विश्लेषक

लखनऊ: समाजवादी पार्टी से बड़े-बड़े नेताओं का बाहर जाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी छोड़ दी और नई पार्टी बनाई. पार्टी के कद्दावर नेता रहे नरेश अग्रवाल, विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह, बुक्कल नवाब, पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी जैसे नेताओं से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर तक समाजवादी विचारधारा से टूटकर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम रहे हैं.

सपा में सियासी भगदड़ रुकने का नाम नहीं ले रही है.

इस सियासी भगदड़ को देखकर सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह है कि सपा से या समाजवाद से इन नेताओं का दुराव होता जा रहा है. कहीं ऐसा तो नहीं कि समाजवादी पार्टी के नेतृत्व में बदलाव की वजह से ऐसा हो रहा है. वहीं जब मुलायम सिंह पार्टी की कमान संभालते थे तो यह पूरा समाजवादी कुनबा एक परिवार की तरह बंधा हुआ था.

समाजवादी पार्टी 2017 के पहले ही लड़खड़ा गयी थी. सपा मुलायम सिंह यादव के परिवार की पार्टी है. सपा जबतक उनके हाथों में थी, ठीक थी. मुलायम सिंह साल 2012 में अपने पुत्र को सीएम बना कर पार्टी की सत्ता अघोषित तौर अखिलेश यादव के हाथों सौंप दी थी. पार्टी में सत्ता हमेशा संगठन पर हावी रहा. वहीं सपा के साथ भी हुआ. सीएम बनने के बाद अखिलेश का प्रभाव पार्टी पर बढ़ता गया. आपसी कलह से शिवपाल यादव पार्टी से बाहर हुए, फिर यह सिलसिला चलता रहा. सपा लगातार दो चुनाव हारी. पार्टी के लोग देख रहे हैं कि सपा की स्थिति सुधरने वाली नहीं है. कुछ लोग टिकट नहीं पाए इसलिए नाराज थे. कुछ सत्ता की लालच में भाजपा में शामिल हुए. इसमें सबसे बड़ा कारण सपा की आंतरिक कलह है.

-पीएन द्विवेदी, राजनीतिक विश्लेषक

Intro:लखनऊ। समाजवादी पार्टी से बड़े-बड़े नेताओं का बाहर जाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी छोड़ दी और उन्होंने एक नई पार्टी बनाई। पार्टी के कद्दावर नेता रहे नरेश अग्रवाल, विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह, बुक्कल नवाब, पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी जैसे नेताओं से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर तक समाजवादी विचारधारा से टूटकर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम रहे हैं। सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह है जो समाजवादी पार्टी से या समाजवाद से इन नेताओं का दुराव होता जा रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कि समाजवादी पार्टी के नेतृत्व कर्ता में बदलाव की वजह से ऐसा हो रहा है। क्योंकि जब मुलायम सिंह पार्टी की कमान संभालते थे तो यह पूरा समाजवादी कुनबा एक परिवार की तरह बंधा हुआ था।


Body:बाईट-राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी का कहना है कि समाज वादी पार्टी वर्ष 2017 के पहले ही लड़खड़ा गयी थी। सपा मुलायम सिंह यादव के परिवार की पार्टी है। सपा जबतक उनके हाथों में थी, ठीक थी। उन्होंने 2012 में अपने पुत्र को सीएम बना कर पार्टी की सत्ता अघोषित तौर अखिलेश यादव के हाथों सौंप दी थी। सत्ता और संगठन की बात की जाए तो सत्ता हमेशा संगठन पर हावी रहा। वही सपा के साथ भी हुआ। सीएम बनने के बाद अखिलेश का प्रभाव पार्टी पर बढ़ता गया। आपसी कलह से शिवपाल यादव पार्टी से बाहर हुए। फिर यह सिलसिला चलता रहा।

द्विवेदी कहते हैं सपा लगातार दो चुनाव हारी। पार्टी के लोग देखे कि सपा की स्थिति सुधरने वाली नहीं है। कुछ टिकट नहीं पाए इसलिए नाराज थे। कुछ सत्ता की लालच में भाजपा में शामिल हुए। इसमे सबसे बड़ा कारण सपा की आंतरिक कलह है।


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.