लखनऊ: समाजवादी पार्टी से बड़े-बड़े नेताओं का बाहर जाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी छोड़ दी और नई पार्टी बनाई. पार्टी के कद्दावर नेता रहे नरेश अग्रवाल, विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह, बुक्कल नवाब, पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी जैसे नेताओं से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर तक समाजवादी विचारधारा से टूटकर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम रहे हैं.
इस सियासी भगदड़ को देखकर सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह है कि सपा से या समाजवाद से इन नेताओं का दुराव होता जा रहा है. कहीं ऐसा तो नहीं कि समाजवादी पार्टी के नेतृत्व में बदलाव की वजह से ऐसा हो रहा है. वहीं जब मुलायम सिंह पार्टी की कमान संभालते थे तो यह पूरा समाजवादी कुनबा एक परिवार की तरह बंधा हुआ था.
समाजवादी पार्टी 2017 के पहले ही लड़खड़ा गयी थी. सपा मुलायम सिंह यादव के परिवार की पार्टी है. सपा जबतक उनके हाथों में थी, ठीक थी. मुलायम सिंह साल 2012 में अपने पुत्र को सीएम बना कर पार्टी की सत्ता अघोषित तौर अखिलेश यादव के हाथों सौंप दी थी. पार्टी में सत्ता हमेशा संगठन पर हावी रहा. वहीं सपा के साथ भी हुआ. सीएम बनने के बाद अखिलेश का प्रभाव पार्टी पर बढ़ता गया. आपसी कलह से शिवपाल यादव पार्टी से बाहर हुए, फिर यह सिलसिला चलता रहा. सपा लगातार दो चुनाव हारी. पार्टी के लोग देख रहे हैं कि सपा की स्थिति सुधरने वाली नहीं है. कुछ लोग टिकट नहीं पाए इसलिए नाराज थे. कुछ सत्ता की लालच में भाजपा में शामिल हुए. इसमें सबसे बड़ा कारण सपा की आंतरिक कलह है.
-पीएन द्विवेदी, राजनीतिक विश्लेषक