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हाईकोर्ट की फटकार के बाद जागी पुलिस, अपह्रत किशोरी को किया बरामद

हाईकोर्ट की सख्ती के बाद पुलिस ने अपह्रत किशोरी को किया बरामद. किशोरी को बरामद करने के बाद पुलिस ने कोर्ट में किया पेश.

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Published : Dec 23, 2021, 10:37 PM IST

हाईकोर्ट
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लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के सख्त रुख अपनाने के बाद लखनऊ की पुलिस ने अपह्रत हुई 15 साल की लड़की को बरामद कर लिया है. गुरुवार को पुलिस ने लड़की को न्यायालय के समक्ष पेश किया. जिसके बाद न्यायालय ने लड़की को उसकी मां को सुपुद्र करने का आदेश दिया. यह आदेश न्यायमूर्ति विकास कुंवर श्रीवास्तव की एकल पीठ ने सुनाया.

न्यायमूर्ति विकास कुंवर श्रीवास्तव ने किशोरी की मां द्वारा दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर पारित किया. याचिका में वारिस व फरीद नाम के दो व्यक्तियों पर अपहरण का आरोप लगाया गया था. याची ने अपनी बेटी को बरामद करके अदालत में पेश करने की मांग की थी.

गुरुवार को किशोरी को न्यायालय के समक्ष पेश करते हुए थानाध्यक्ष पारा ने बताया कि उसकी बरामदगी के लिए एसटीएफ की एक टीम का गठन किया गया था. जिसके बाद टीम ने रायबरेली जनपद से अभियुक्त वारिस के कब्जे से किशोरी को बरामद किया है.

नाबालिग ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया है कि उसकी सहमति से अभियुक्त ने उसके साथ शारिरीक संबंध बनाए थे. हालांकि न्यायालय ने कहा कि नाबालिग होने के कारण उसकी ऐसी सहमति का कोई अर्थ नहीं है.

वहीं दूसरी तरफ उसने अपनी मां के साथ ही जाने की इच्छा जताई. कोर्ट ने नाबालिग व उसकी मां को सुरक्षित घर तक पहुंचाने व आगे भी उनकी सुरक्षा का ध्यान रखने का आदेश दिया. ताकि अभियुक्त अथवा उसके परिवार के लोग मां-बेटी को परेशान न कर सकें. कोर्ट ने कहा कि पीड़ित मां-बेटी को परेशान को परेशान करने पर आरोपियों को बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.

बता दें कि इस मामले में किशोरी को बरामद न कर पाने पर कोर्ट ने पिछली सुनवाई में डीजीपी व लखनऊ पुलिस कमिश्नर को मामले को देखने व लड़की को बरामद करने के लिए कदम उठाने का आदेश दिया था.

इसे पढ़ें- BJP ले सकती है वरुण गांधी पर एक्शन! 'बयानों पर अनुशासन समिति की नजर'

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के सख्त रुख अपनाने के बाद लखनऊ की पुलिस ने अपह्रत हुई 15 साल की लड़की को बरामद कर लिया है. गुरुवार को पुलिस ने लड़की को न्यायालय के समक्ष पेश किया. जिसके बाद न्यायालय ने लड़की को उसकी मां को सुपुद्र करने का आदेश दिया. यह आदेश न्यायमूर्ति विकास कुंवर श्रीवास्तव की एकल पीठ ने सुनाया.

न्यायमूर्ति विकास कुंवर श्रीवास्तव ने किशोरी की मां द्वारा दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर पारित किया. याचिका में वारिस व फरीद नाम के दो व्यक्तियों पर अपहरण का आरोप लगाया गया था. याची ने अपनी बेटी को बरामद करके अदालत में पेश करने की मांग की थी.

गुरुवार को किशोरी को न्यायालय के समक्ष पेश करते हुए थानाध्यक्ष पारा ने बताया कि उसकी बरामदगी के लिए एसटीएफ की एक टीम का गठन किया गया था. जिसके बाद टीम ने रायबरेली जनपद से अभियुक्त वारिस के कब्जे से किशोरी को बरामद किया है.

नाबालिग ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया है कि उसकी सहमति से अभियुक्त ने उसके साथ शारिरीक संबंध बनाए थे. हालांकि न्यायालय ने कहा कि नाबालिग होने के कारण उसकी ऐसी सहमति का कोई अर्थ नहीं है.

वहीं दूसरी तरफ उसने अपनी मां के साथ ही जाने की इच्छा जताई. कोर्ट ने नाबालिग व उसकी मां को सुरक्षित घर तक पहुंचाने व आगे भी उनकी सुरक्षा का ध्यान रखने का आदेश दिया. ताकि अभियुक्त अथवा उसके परिवार के लोग मां-बेटी को परेशान न कर सकें. कोर्ट ने कहा कि पीड़ित मां-बेटी को परेशान को परेशान करने पर आरोपियों को बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.

बता दें कि इस मामले में किशोरी को बरामद न कर पाने पर कोर्ट ने पिछली सुनवाई में डीजीपी व लखनऊ पुलिस कमिश्नर को मामले को देखने व लड़की को बरामद करने के लिए कदम उठाने का आदेश दिया था.

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