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हाईकोर्ट ने कहा, एक पेड़ काटें तो दो लगाएं, अधिकारी पेड़ों की वृद्धि भी सुनिश्चित करें - याचिका को निस्तारित

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of the High Court) ने जल शक्ति मिशन के तहत बोरवेल और ओवर हेड टैंक के निर्माण के लिए पेड़ काटे जाने की आवश्यकता पर आदेश दिया है कि जहां एक पेड़ काटा जाना हो, वहां अधिकारी दो पेड़ लगाएं और उसकी वृद्धि भी सुनिशाचित करें. न्यायालय ने कहा कि कोई भी पेड़ वन विभाग की अनुमति के बाद ही काटा जाए.

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Published : Nov 23, 2022, 9:14 PM IST

लखनऊ. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of the High Court) ने जल शक्ति मिशन के तहत बोरवेल और ओवर हेड टैंक के निर्माण के लिए पेड़ काटे जाने की आवश्यकता पर आदेश दिया है कि जहां एक पेड़ काटा जाना हो, वहां अधिकारी दो पेड़ लगाएं और उसकी वृद्धि भी सुनिशाचित करें. न्यायालय ने कहा कि कोई भी पेड़ वन विभाग की अनुमति के बाद ही काटा जाए.


यह आदेश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव (Justice Devendra Kumar Upadhyay and Justice Saurabh Srivastava) की खंडपीठ ने अनिल कुमार की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर पारित किया. याचिका में उस प्रस्ताव को चुनौती दी गई थी जिसके तहत सीतापुर जनपद के बरगवां गांव में जल शक्ति मिशन के तहत बोरवेल और ओवर हेड टैंक के निर्माण के लिए एक जमीन को चिन्हित किया गया है.

याची (petitioner) की ओर से दलील (plea) दी गई थी कि उक्त जमीन पर काफी मात्रा में पेड़ लगे हुए हैं जिन्हें बोरवेल और ओवर हेड टैंक के निर्माण के लिए काट दिया जाएगा. हालांकि याचिका पर राज्य सरकार की ओर से जवाब दिया गया कि उक्त जमीन से अब तक एक नीम, तीन चिलवल और एक बड़हल का पेड़ हटाया गया है जो लगभग दो साल पुराने थे. कहा गया कि इसके अलावा अब तक कोई पेड़ नहीं गिराया गया है और न ही निर्माण कार्य के लिए कोई अन्य पेड़ गिराए जाने की आवश्यकता है. न्यायाले ने इस जवाब के बाद याचिका को निस्तारित (dispose of the petition) करते हुए आदेश दिया कि यदि किसी पेड़ को हटाना हो तो एक के बदले दो पेड़ लगाए जाएं. साथ ही अधिकारी उक्त पेड़ों की वृद्धि सुनिश्चित करें.

यह भी पढ़ें : दुष्कर्म के अभियुक्त को 14 वर्ष का सश्रम कारावास, पुलिस ने दर्ज की थी एनसीआर

लखनऊ. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of the High Court) ने जल शक्ति मिशन के तहत बोरवेल और ओवर हेड टैंक के निर्माण के लिए पेड़ काटे जाने की आवश्यकता पर आदेश दिया है कि जहां एक पेड़ काटा जाना हो, वहां अधिकारी दो पेड़ लगाएं और उसकी वृद्धि भी सुनिशाचित करें. न्यायालय ने कहा कि कोई भी पेड़ वन विभाग की अनुमति के बाद ही काटा जाए.


यह आदेश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव (Justice Devendra Kumar Upadhyay and Justice Saurabh Srivastava) की खंडपीठ ने अनिल कुमार की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर पारित किया. याचिका में उस प्रस्ताव को चुनौती दी गई थी जिसके तहत सीतापुर जनपद के बरगवां गांव में जल शक्ति मिशन के तहत बोरवेल और ओवर हेड टैंक के निर्माण के लिए एक जमीन को चिन्हित किया गया है.

याची (petitioner) की ओर से दलील (plea) दी गई थी कि उक्त जमीन पर काफी मात्रा में पेड़ लगे हुए हैं जिन्हें बोरवेल और ओवर हेड टैंक के निर्माण के लिए काट दिया जाएगा. हालांकि याचिका पर राज्य सरकार की ओर से जवाब दिया गया कि उक्त जमीन से अब तक एक नीम, तीन चिलवल और एक बड़हल का पेड़ हटाया गया है जो लगभग दो साल पुराने थे. कहा गया कि इसके अलावा अब तक कोई पेड़ नहीं गिराया गया है और न ही निर्माण कार्य के लिए कोई अन्य पेड़ गिराए जाने की आवश्यकता है. न्यायाले ने इस जवाब के बाद याचिका को निस्तारित (dispose of the petition) करते हुए आदेश दिया कि यदि किसी पेड़ को हटाना हो तो एक के बदले दो पेड़ लगाए जाएं. साथ ही अधिकारी उक्त पेड़ों की वृद्धि सुनिश्चित करें.

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