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महंगाई ने पशुपालकों की तोड़ी कमर, 235 रुपये खर्च करने पर मात्र 25 रुपये का हो रहा फायदा - Rising inflation in the country

इंसान हो या जानवर, सभी पर लगातार बढ़ रही महंगाई का असर हुआ है. देश में लगातार बढ़ रही महंगाई का व्यापक असर गरीब तबके के लोगों पर देखने को मिला है. किसान और पशुपालकों पर महंगाई की मार इस कदर पड़ी है, कि उनका पशुपालन से मोह भंग हो रहा है.

महंगाई ने पशुपालकों की तोड़ी कमर
महंगाई ने पशुपालकों की तोड़ी कमर
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Published : May 29, 2022, 5:43 PM IST

Updated : May 30, 2022, 11:31 AM IST

लखनऊ : देश में महंगाई ने हर वर्ग की कमर तोड़ कर रख दी है. महंगाई की मार से अमीर-गरीब सभी परेशान हैं. महंगाई ने सिर्फ इंसानों के खाने की थाली ही नहीं, बल्कि पशुओं का आहार महंगा का दिया है. दिनोंदिन महंगी हो रही पशुओं की खुराक से पशुपालक परेशान हैं. इस बात से पशुपालन करने वाले किसानों का मोह भंग होने लगा है. बढ़ती महंगाई के कारण महंगी हो रही पशुओं की खुराक के विषय में ईटीवी भारत की टीम ने पशुपालन करने वाले कुछ लोगों से खास बातचीत की.

जानकारी देते पशुपालक लक्ष्मी नारायण और राम खिलावन

बातचीत के दौरान लखनऊ के जबरौली गांव में रहने वाले 60 वर्षीय लक्ष्मी नारायण बताते हैं कि पशुओं को खिलाने वाला चोकर व भूसा महंगा हो गया है. दूध का दाम अभी भी पुराना है, पानी के लिए तालाब सूख चुके हैं. जानवरों के चारे के लिए खेत में वह जो फसल उगाते हैं, उसे छुट्टा जानवर उसे बर्बाद कर देते हैं. ऐसी विपरीत परिस्थितियों में जानवर पालना बड़ा ही मुश्किल काम है. लक्ष्मी नारायण के पास 6 गाय और 3 भैंस हैं. लक्ष्मी नारायण बताते है कि हाल हीं में उन्होंने 52 हजार रुपये में एक भैंस खरीदी थी. भैस का आहार ज्यादा है और दूध का दाम पुराना है. इसलिए दूध के बल पर भैंस पालना घाटे का सौदा साबित हो रहा है. बढ़ती महंगाई की इन परिस्थियों के कारण लक्ष्मी नारायण अपने परिवार को लोगों को पशुपालन न करने की सलाह दे रहे हैं.

एक अन्य पशुपालक राम खिलावन ने बताया कि दूध के भावों में बढ़ोत्तरी नहीं हुई, तो पशुओं को रखना मुश्किल होगा. राम खिलावन कहते है कि पशुओं को घर लाने से पहले यह सोचना होता है कि उनके खाने का इंतजाम कैसे होगा. उन्होंने बताया कि जानवरों के लिए खेत में उगाई गई चरी को छुट्टा जानवर खा जाते हैं. इसके अलावा भूसा और चोकर भी महंगा है.

राम खिलावन कहते है कि पिछले कुछ सालों में दूध का दाम बढ़ कर 35 रुपये प्रति लीटर तक हो गया है. जिसमें महज 5 रुपये की ही बढ़ोतरी हुई है. वहीं चोकर 24 रुपये किलों मिल रहा है. गेंहू की कटाई के समय भूसा 10 रुपये किलो बिकता है. वहीं, बारिश के बाद भूसे के दाम बढ़कर 20 रुपये प्रति किलो पहुंच जाते हैं. पशुओं को खिलाया जाने वाले चुनी 30 रुपये प्रति किलों, मसूर 28 रुपये, टीसी खली 90 रुपये, सरसो खली 40 रुपये, केसरी 35 रुपये व पशु आहार 32 रुपये किलो मिल रहा है.

राम खिलावन कहते हैं कि मौजूदा समय में पशुपालक किसी डेयरी फर्म को दूध बेंचता है, तो उससे 30 से 35 रुपये प्रति लीटर के दाम मिलते हैं. जबकि डेयरी फर्म उपभोक्ताओं को यही दूध 52 रुपये से अधिक दाम में बेंचते है. आंकड़े की बात करें, तो मौजूदा समय में एक गाय को प्रतिदिन खिलाने में 206 रुपये खर्च होते है. गाय के दूध को डेयरी में बेंचकर 225 रुपये की अधिकतम कमाई होती है. इस आंकड़े के मुताबिक, एक पशु को रखने पर प्रतिदिन महज 19 रुपये का लाभ हो रहा है. वहीं भैंस को खिलाने में 210 रुपये का प्रतिदिन खर्च होता है और दूध से कमाई से 235 रुपये मिलते हैं. मतलब एक भैंस पालने से प्रतिदिन सिर्फ 25 रुपये की कमाई हो रही है.

इसे पढ़ें- भाजपा सांसद वरुण गांधी ने फिर साधा केंद्र सरकार पर निशाना, कहा- रेलवे में पद समाप्‍त करना निजीकरण की तरफ बढ़ता कदम

लखनऊ : देश में महंगाई ने हर वर्ग की कमर तोड़ कर रख दी है. महंगाई की मार से अमीर-गरीब सभी परेशान हैं. महंगाई ने सिर्फ इंसानों के खाने की थाली ही नहीं, बल्कि पशुओं का आहार महंगा का दिया है. दिनोंदिन महंगी हो रही पशुओं की खुराक से पशुपालक परेशान हैं. इस बात से पशुपालन करने वाले किसानों का मोह भंग होने लगा है. बढ़ती महंगाई के कारण महंगी हो रही पशुओं की खुराक के विषय में ईटीवी भारत की टीम ने पशुपालन करने वाले कुछ लोगों से खास बातचीत की.

जानकारी देते पशुपालक लक्ष्मी नारायण और राम खिलावन

बातचीत के दौरान लखनऊ के जबरौली गांव में रहने वाले 60 वर्षीय लक्ष्मी नारायण बताते हैं कि पशुओं को खिलाने वाला चोकर व भूसा महंगा हो गया है. दूध का दाम अभी भी पुराना है, पानी के लिए तालाब सूख चुके हैं. जानवरों के चारे के लिए खेत में वह जो फसल उगाते हैं, उसे छुट्टा जानवर उसे बर्बाद कर देते हैं. ऐसी विपरीत परिस्थितियों में जानवर पालना बड़ा ही मुश्किल काम है. लक्ष्मी नारायण के पास 6 गाय और 3 भैंस हैं. लक्ष्मी नारायण बताते है कि हाल हीं में उन्होंने 52 हजार रुपये में एक भैंस खरीदी थी. भैस का आहार ज्यादा है और दूध का दाम पुराना है. इसलिए दूध के बल पर भैंस पालना घाटे का सौदा साबित हो रहा है. बढ़ती महंगाई की इन परिस्थियों के कारण लक्ष्मी नारायण अपने परिवार को लोगों को पशुपालन न करने की सलाह दे रहे हैं.

एक अन्य पशुपालक राम खिलावन ने बताया कि दूध के भावों में बढ़ोत्तरी नहीं हुई, तो पशुओं को रखना मुश्किल होगा. राम खिलावन कहते है कि पशुओं को घर लाने से पहले यह सोचना होता है कि उनके खाने का इंतजाम कैसे होगा. उन्होंने बताया कि जानवरों के लिए खेत में उगाई गई चरी को छुट्टा जानवर खा जाते हैं. इसके अलावा भूसा और चोकर भी महंगा है.

राम खिलावन कहते है कि पिछले कुछ सालों में दूध का दाम बढ़ कर 35 रुपये प्रति लीटर तक हो गया है. जिसमें महज 5 रुपये की ही बढ़ोतरी हुई है. वहीं चोकर 24 रुपये किलों मिल रहा है. गेंहू की कटाई के समय भूसा 10 रुपये किलो बिकता है. वहीं, बारिश के बाद भूसे के दाम बढ़कर 20 रुपये प्रति किलो पहुंच जाते हैं. पशुओं को खिलाया जाने वाले चुनी 30 रुपये प्रति किलों, मसूर 28 रुपये, टीसी खली 90 रुपये, सरसो खली 40 रुपये, केसरी 35 रुपये व पशु आहार 32 रुपये किलो मिल रहा है.

राम खिलावन कहते हैं कि मौजूदा समय में पशुपालक किसी डेयरी फर्म को दूध बेंचता है, तो उससे 30 से 35 रुपये प्रति लीटर के दाम मिलते हैं. जबकि डेयरी फर्म उपभोक्ताओं को यही दूध 52 रुपये से अधिक दाम में बेंचते है. आंकड़े की बात करें, तो मौजूदा समय में एक गाय को प्रतिदिन खिलाने में 206 रुपये खर्च होते है. गाय के दूध को डेयरी में बेंचकर 225 रुपये की अधिकतम कमाई होती है. इस आंकड़े के मुताबिक, एक पशु को रखने पर प्रतिदिन महज 19 रुपये का लाभ हो रहा है. वहीं भैंस को खिलाने में 210 रुपये का प्रतिदिन खर्च होता है और दूध से कमाई से 235 रुपये मिलते हैं. मतलब एक भैंस पालने से प्रतिदिन सिर्फ 25 रुपये की कमाई हो रही है.

इसे पढ़ें- भाजपा सांसद वरुण गांधी ने फिर साधा केंद्र सरकार पर निशाना, कहा- रेलवे में पद समाप्‍त करना निजीकरण की तरफ बढ़ता कदम

Last Updated : May 30, 2022, 11:31 AM IST
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