लखनऊः लखनऊ विश्वविद्यालय में अब किसी भी छात्र की मार्कशीट या अन्य दस्तावेज में छेड़छाड़ संभव ही नहीं हो पाएगी. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अब इस तकनीकी के इस्तेमाल से सुरक्षित करने की पहल की जा रही है. प्रशासन का दावा है कि इस तकनीकी के इस्तेमाल से डिजिटल फार्मेट में एक बार जो सूचना अंकित होगी, उसमें किसी भी तरह का परिवर्तन नहीं किया जा सकेगा. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि ब्लॉक चैन तकनीकी के इस्तेमाल से डाटा को सुरक्षित किया जाएगा. वर्तमान में यह तकनीकी बिटकॉइन में इस्तेमाल की जाती है. दावा है कि लखनऊ विश्वविद्यालय इस तकनीकी का इस्तेमाल करने वाला देश का पहला राज्य विश्वविद्यालय होगा. उन्होंने बताया कि इस डेटा में किसी भी स्तर पर छेड़छाड़ संभव ही नहीं हो पाएगी.
फर्जी मार्कशीट की आती रही हैं शिकायतें
लखनऊ विश्वविद्यालय ही नहीं, बल्कि प्रदेश के कई राज्य विश्वविद्यालयों की फर्जी मार्कशीट जारी किए जाने की शिकायतें आती रही हैं. बीते दिनों फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गैंग की भी गिरफ्तारी हुई. कई बार यह जालसाज विश्वविद्यालय के दस्तावेजों तक अपनी पहुंच बना लेते थे. प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि इस नई तकनीकी के कारण यह डेटा पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा.
उन्होंने बताया कि अभी तक देश के किसी भी विश्वविद्यालय में इस तरह की तकनीकी का इस्तेमाल नहीं हो रहा है. छात्रों की इन सूचनाओं को सीधे डीजी लॉकर से जोड़ दिया जाएगा. लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि इसमें शैक्षिक प्रमाणपत्रों के लिए एक लाइसेंस प्राप्त ब्लॉकचैन समाधान सुपरसर्ट विकसित किया गया है.
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