लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़े की जांच 2018 से स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा की जा रही है. इस जांच की दिशा में अब एसटीएफ ने विभाग से 3 वर्षों में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले शिक्षकों की सूची मांगी है. एसटीएफ को जानकारी मिली है कि वीआरएस लेने वालो में से कुछ फर्जी शिक्षक हैं. वहीं जांच शुरू होने के बाद 300 से ज्यादा फर्जी शिक्षक गिरफ्तार भी हो चुके हैं, जिन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. इससे पहले भी एसटीएफ ने बेसिक शिक्षा विभाग को 76 संदिग्ध शिक्षकों की सूची सौंपी थी.
वीआरएस लेने वाले शिक्षकों की जांच में जुटी एसटीएफ
उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स को बेसिक शिक्षा विभाग में हुए बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े की जांच 2018 में सौंपी गई थी. 3 वर्षों के भीतर वीआरएस लेने वाले शिक्षकों की अब एसटीएफ जांच कर रही है. एसटीएफ को ऐसी आशंका है कि कुछ फर्जी शिक्षकों ने विभाग की मिलीभगत से वीआरएस ले लिया है. एसटीएफ ने विभाग से 3 सालों के भीतर वीआरएस लेने वाले शिक्षकों की सूची मांगी है.
300 से अधिक फर्जी शिक्षक गिरफ्तार
3 सालों के भीतर फर्जी शिक्षकों की जांच के दौरान अब तक 300 से ज्यादा शिक्षकों को गिरफ्तार किया जा चुका है. गिरफ्तार शिक्षकों की सेवाएं भी समाप्त हो चुकी हैं. कई ऐसे शिक्षकों को भी पकड़ा गया है, जो दूसरे के शैक्षणिक दस्तावेज के जरिए नौकरी कर रहे थे. एसटीएफ ने 2018 में मथुरा में फर्जी अंक पत्रों के जरिए शिक्षक भर्ती में करोड़ों रुपए के लेनदेन का भी खुलासा किया था, जिसमें 13 शिक्षक सहित दो कंप्यूटर ऑपरेटर को गिरफ्तार किया गया था.