लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी बढ़ती जा रही है. पिछले तीन साल में योगी सरकार स्कूल शिक्षकों की भर्ती करने में भी नाकाम रही है. नए शिक्षण सत्र में भी शिक्षकों की कमी पूरी होने के आसार नहीं हैं, लेकिन प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए खुद की पीठ थपथपा रही है.
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में है शिक्षकों की कमी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में नौकरी योग्य युवाओं में योग्यता की कमी को लेकर सवाल खड़े कर चुके हैं. केंद्र सरकार में मंत्री संतोष गंगवार ने भी सरकारी और निजी क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के युवाओं को नौकरियों के उचित अवसर नहीं मिलने की वजह योग्यता की कमी ही बताया है. ऐसे में शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों को बड़ी उम्मीद थी कि योगी सरकार शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव के लिए कार्य करेगी. उपमुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा व माध्यमिक शिक्षा मंत्री डॉ. दिनेश शर्मा के शिक्षक होने का लाभ शिक्षा जगत को मिलने की आशा थी, लेकिन पिछले तीन साल में शिक्षक भर्ती की गाड़ी को ढर्रे पर नहीं ला सकी.
1,04,000 के मुकाबले 37,000 शिक्षक जगा रहे शिक्षा की अलख
हाल यह है कि उत्तर प्रदेश के ज्यादातर सरकारी और अनुदानित विद्यालयों में शिक्षक नहीं हैं. गणित जैसे विषयों की शिक्षा कला विषय के शिक्षकों के भरोसे है. विधान परिषद सदस्य और शिक्षक नेता संजय मिश्र बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के अनुदानित विद्यालयों में 1,04,000 के मुकाबले 37,000 शिक्षकों से काम चलाना पड़ रहा है. लगभग आधे राजकीय विद्यालयों में प्रधानाचार्य के पद रिक्त पड़े हुए हैं. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्रदेश में 331 महाविद्यालय संचालित किया जा रहे हैं, जिनमें 311 डिग्री कॉलेज में प्राचार्य की तैनाती नहीं की जा सकी है. 3,224 प्रवक्ता के पद रिक्त हैं.
कंप्यूटर शिक्षा के लिए सरकार ने विद्यालयों को मान्यता दी, लेकिन आज तक शिक्षकों की तैनाती नहीं की गई. इसी तरह का हाल अन्य विद्यालयों में सामान्य विषयों के पठन-पाठन का भी है. जब स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं तो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और योग्य युवा कल्पना कैसे संभव है.
डॉ. आरपी मिश्रा, प्रदेश मंत्री, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ