ETV Bharat / state

कोरोना से बचावः घर पर रहकर कई बार लें भाप - कोरोना के खिलाफ भाप है कारगर

कोरोना की दूसरी लहर जहां चिंता को बढ़ा रही है, वहीं भाप को लेकर हुए शोध ने इस महामारी से बचाव का रास्ता दिखाया है.

भाप
भाप
author img

By

Published : Apr 19, 2021, 4:40 PM IST

लखनऊः कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर दिन-ब-दिन खतरनाक होती जा रही है. अचानक से बढ़े संक्रमण की वजह से कई परिवारों ने अपनों को खो दिया. देश के तमाम डॉक्टर और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार कोरोना का वायरस सीधे फेफड़ों पर वार कर रहा है. ऐसे में युवाओं को भी आक्सीजन और वेंटिलेटर देने की जरूरत पड़ रही है. इसके बावजूद रोजाना तमाम लोग जिंदगी की जंग हार रहे हैं.

शोध ने दिखाया बचाव का रास्ता
चिंता के इस दौर में जर्नल ऑफ लाइफ साइंस के शोध ने नया रास्ता दिखाया है. थर्मल इनएक्टीवेशन ऑफ सॉर्स कोविड वायरस पर किया गया शोध कोरोना संक्रमितों व नॉन कोविड मरीजों के लिए उम्मीद की किरण जगाने वाला है. इस शोध में भाप को कोरोना वायरस को निष्क्रिय करने का कारगर उपचार माना गया है. इस शोध और अपने अनुभव के आधार पर किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) और संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) के विशेषज्ञों ने भी भाप को कोरोना के खिलाफ फेफड़ों का सैनिटाइजर करार दिया है. विशेषज्ञों के अनुसार रोजाना दो से तीन बार, पांच मिनट तक भाप लेने से वायरस से लड़ने में मदद मिलती है.

फेफड़ों में पहुंचे वायरस को भाप से करें दूर
केजीएमयू (किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज) में रेस्पिरेट्री मेडिसिन के विभागाध्यक्ष और आइएमए-एएमएस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी कहते हैं कि कोरोना वायरस पहले मुंह, नाक व गले में कई दिन रुकने के बाद फेफड़ों में पहुंचता था. इस दौरान गरम पानी व गॉर्गल से इसकी सक्रियता काफी कम हो जाती थी. अब यह नाक के पैरानासल साइनस के आंतरिक लेयर से होकर सीधे फेफड़ों में पहुंच रहा है. भाप में इतनी क्षमता है कि वह पैरानासल साइनस में छुपे वायरस को निष्क्रिय करने के साथ फेफड़ों में वायरस के जमाव को रोक सकती है. कई अध्ययन में यह माना गया है कि 50 डिग्री सेल्सियस पर भाप से वायरस पैरालाइज हो सकता है, जबकि 60 डिग्री पर वह इतना कमजोर हो सकता है कि अंदर की इम्युनिटी ही उसे मात दे सके. वहीं यदि यह 70 डिग्री सेल्सियस पर भाप लें तो वायरस पूरी तरह मर सकता है. वायरस के प्रसार की गति भी कम हो सकती है.

अपनाइए ये तरीका
सादे पानी के साथ या उसमें विक्स, संतरे व नींबू के छिलके, लहसुन, टी ट्री आयल, अदरक, नीम की पत्तियां इत्यादि में से कुछ भी मिलाकर भाप लें. यह सभी चीजें एंटीमाइक्रोबियल होती हैं, जो वायरस को निष्क्रिय करने में मदद करती हैं.

शोध में दिखे सुखद परिणाम
विभिन्न वैज्ञानिकों के शोध के बाद यह पाया गया कि सिर्फ नॉन कोविड लोगों के बचाव में ही नहीं, बल्कि कोविड पॉजिटिव मरीजों के इलाज में भी यह तरीका असरदार साबित हुआ. वैज्ञानिकों ने पांच मिनट तक जब संक्रमितों को भाप देकर देखा तो वायरस के प्रसार में काफी हद तक कमी पाई गई. साथ ही कफ पर भी शिकंजा कसा.

इसे भी पढ़ेंः कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए भारतीय रेल ने की ये तैयारियां...

तुरंत दे सांस लेने में राहत
एसीजीपीजीआई (संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस) में माइक्रोबायोलॉजी की विभागाध्यक्ष डॉ. उज्जवला घोषाल कहती हैं कि भाप के इस्तेमाल से खांसी, बंद नाक में भी राहत मिलती है. यह जमा बलगम को भी पिघला देती है. भाप श्वांस नलियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है. साथ ही नाक और गले में जमा म्यूकस को पतला कर देती है. इससे सांस लेने में आसानी महसूस होती है. पर्याप्त आक्सीजन फेफड़ों तक पहुंचने से वह स्वस्थ रहते हैं.

लखनऊः कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर दिन-ब-दिन खतरनाक होती जा रही है. अचानक से बढ़े संक्रमण की वजह से कई परिवारों ने अपनों को खो दिया. देश के तमाम डॉक्टर और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार कोरोना का वायरस सीधे फेफड़ों पर वार कर रहा है. ऐसे में युवाओं को भी आक्सीजन और वेंटिलेटर देने की जरूरत पड़ रही है. इसके बावजूद रोजाना तमाम लोग जिंदगी की जंग हार रहे हैं.

शोध ने दिखाया बचाव का रास्ता
चिंता के इस दौर में जर्नल ऑफ लाइफ साइंस के शोध ने नया रास्ता दिखाया है. थर्मल इनएक्टीवेशन ऑफ सॉर्स कोविड वायरस पर किया गया शोध कोरोना संक्रमितों व नॉन कोविड मरीजों के लिए उम्मीद की किरण जगाने वाला है. इस शोध में भाप को कोरोना वायरस को निष्क्रिय करने का कारगर उपचार माना गया है. इस शोध और अपने अनुभव के आधार पर किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) और संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) के विशेषज्ञों ने भी भाप को कोरोना के खिलाफ फेफड़ों का सैनिटाइजर करार दिया है. विशेषज्ञों के अनुसार रोजाना दो से तीन बार, पांच मिनट तक भाप लेने से वायरस से लड़ने में मदद मिलती है.

फेफड़ों में पहुंचे वायरस को भाप से करें दूर
केजीएमयू (किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज) में रेस्पिरेट्री मेडिसिन के विभागाध्यक्ष और आइएमए-एएमएस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी कहते हैं कि कोरोना वायरस पहले मुंह, नाक व गले में कई दिन रुकने के बाद फेफड़ों में पहुंचता था. इस दौरान गरम पानी व गॉर्गल से इसकी सक्रियता काफी कम हो जाती थी. अब यह नाक के पैरानासल साइनस के आंतरिक लेयर से होकर सीधे फेफड़ों में पहुंच रहा है. भाप में इतनी क्षमता है कि वह पैरानासल साइनस में छुपे वायरस को निष्क्रिय करने के साथ फेफड़ों में वायरस के जमाव को रोक सकती है. कई अध्ययन में यह माना गया है कि 50 डिग्री सेल्सियस पर भाप से वायरस पैरालाइज हो सकता है, जबकि 60 डिग्री पर वह इतना कमजोर हो सकता है कि अंदर की इम्युनिटी ही उसे मात दे सके. वहीं यदि यह 70 डिग्री सेल्सियस पर भाप लें तो वायरस पूरी तरह मर सकता है. वायरस के प्रसार की गति भी कम हो सकती है.

अपनाइए ये तरीका
सादे पानी के साथ या उसमें विक्स, संतरे व नींबू के छिलके, लहसुन, टी ट्री आयल, अदरक, नीम की पत्तियां इत्यादि में से कुछ भी मिलाकर भाप लें. यह सभी चीजें एंटीमाइक्रोबियल होती हैं, जो वायरस को निष्क्रिय करने में मदद करती हैं.

शोध में दिखे सुखद परिणाम
विभिन्न वैज्ञानिकों के शोध के बाद यह पाया गया कि सिर्फ नॉन कोविड लोगों के बचाव में ही नहीं, बल्कि कोविड पॉजिटिव मरीजों के इलाज में भी यह तरीका असरदार साबित हुआ. वैज्ञानिकों ने पांच मिनट तक जब संक्रमितों को भाप देकर देखा तो वायरस के प्रसार में काफी हद तक कमी पाई गई. साथ ही कफ पर भी शिकंजा कसा.

इसे भी पढ़ेंः कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए भारतीय रेल ने की ये तैयारियां...

तुरंत दे सांस लेने में राहत
एसीजीपीजीआई (संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस) में माइक्रोबायोलॉजी की विभागाध्यक्ष डॉ. उज्जवला घोषाल कहती हैं कि भाप के इस्तेमाल से खांसी, बंद नाक में भी राहत मिलती है. यह जमा बलगम को भी पिघला देती है. भाप श्वांस नलियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है. साथ ही नाक और गले में जमा म्यूकस को पतला कर देती है. इससे सांस लेने में आसानी महसूस होती है. पर्याप्त आक्सीजन फेफड़ों तक पहुंचने से वह स्वस्थ रहते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.