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लखनऊ: अपनी आखों से करते हैं प्यार तो स्क्रीन टाइम का रखें ध्यान

उत्तर प्रदेश के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ अरुण कुमार शर्मा ने स्क्रीन टाइम का ध्यान रखने की बात कही. उन्होंने बताया कि यदि आपकी स्क्रीन का टाइम 1 घंटे से अधिक है तो 15-20 मिनट के बाद आंखें 2 मिनट के लिए बंद कर देनी चाहिए. यदि हम ऐसा नहीं करेंगे तो आंखों की टियर फिल्म पर असर पड़ सकता है.

केजीएमयू मेडिकल कॉलेज
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Published : May 21, 2020, 3:43 PM IST

लखनऊ: लॉकडाउन के समय में ज्यादातर लोग घरों में बैठे हुए हैं और उनका अधिकतर समय टीवी, मोबाइल और कंप्यूटर स्क्रीन के सामने गुजर रहा है. ऐसे में आंखों का विशेष ख्याल रखने के बारे में ईटीवी भारत से नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण कुमार शर्मा ने खास बातचीत की.

स्क्रीन टाइम का रखें ध्यान

आंखों का बेहतर खयाल रखने के बारे में केजीएमयू के नेत्र रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अरुण कुमार शर्मा कहते हैं कि लॉकडाउन में हर कोई अपना ज्यादातर वक्त मोबाइल, टीवी या कंप्यूटर पर बिता रहा है. बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज भी और बड़ों का वर्क फ्रॉम होम भी डिजिटल स्क्रीन पर हो रहा है. ऐसे में आंखों का बेहतर खयाल रखना बेहद जरूरी है.

डॉ. शर्मा कहते हैं कि हमारा कंप्यूटर का इस्तेमाल बढ़ गया है. इसके अलावा मोबाइल का इस्तेमाल दिन भर होने लगा है. 18 वर्ष तक की उम्र से कम के बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज चल रही है. 18 वर्ष से अधिक आयु वाले लोग वर्क फ्रॉम होम के चलते कंप्यूटर पर अपना समय बिता रहे हैं, जिनके पास कोई काम नहीं है वह टीवी स्क्रीन पर अधिकतर समय व्यतीत कर रहे हैं.

कंप्यूटर स्क्रीन पर एक व्यक्ति का आदर्श समय 1 घंटा होता है, लेकिन लॉकडाउन के दौरान यह समय 1 घंटे से कहीं ज्यादा बढ़कर 8 घंटे या इससे भी अधिक हो गया है. कई लोग लगातार 1 से 2 दिन तक टीवी या कंप्यूटर या मोबाइल चला रहे होते हैं जो उनकी आंखों की रोशनी पर तो प्रभाव डालता ही है पर साथ ही मानसिक तौर पर भी उन्हें प्रभावित कर सकता है.

डॉ. शर्मा ने बताया कि 18 वर्ष की कम उम्र के लोगों में जो लोग चश्मा नहीं पहन रहे हैं उन्हें गैजेट्स का इस्तेमाल करते समय अपने शरीर के पॉश्चर पर विशेष ध्यान रखना चाहिए, जब वह कंप्यूटर स्क्रीन पर पढ़ाई कर रहे हों तो उनके शरीर और मेज जिस पर लैपटॉप या कंप्यूटर रखकर वह पढ़ रहे हैं वह 90 डिग्री का पॉश्चर बनाता हुआ होना चाहिए और रोशनी पीछे से आनी चाहिए. यदि 1 घंटे से कम का समय स्क्रीन पर बिता रहे हैं तो कुछ सेकंड के लिए पलक झपकाई जानी चाहिए. इसके अलावा जो लोग चश्मा पहन रहे हैं उन्हें अपने चश्मे का नंबर जरूर चेक करवाना चाहिए, वरना ज्यादा देर तक स्क्रीन के सामने बैठने पर उनके चश्मे का नंबर अधिक बढ़ सकता है.

18 वर्ष की अधिक आयु वाले लोगों के लिए डॉक्टर शर्मा कहते हैं कि यदि आपकी स्क्रीन का टाइम 1 घंटे से अधिक है तो 15-20 मिनट के बाद आंखें 2 मिनट के लिए बंद कर लेनी चाहिए. यदि हम ऐसा नहीं करेंगे तो आंखों की टियर फिल्म पर असर पड़ सकता है.
डॉ. शर्मा ने बताया कि कॉर्निया आंखों पर पड़ने वाली हर रोशनी को रिफ्लेक्ट करके चीजों पर फोकस करती है. यदि बहुत देर तक आंखें खुली रहती हैं और पलकें नहीं झपकती तो कॉर्निया के ऊपर की टियर फिल्म इवेपरेट होने लगती है और ऑक्सीजन कॉर्निया तक नहीं पहुंच पाती. इसकी वजह से आंखों का लाल होना, खुजली, जलन आदि की समस्या होने लगती है और बार-बार आंखों से पानी भी गिर सकता है.

डॉ. शर्मा कहते हैं कि कंप्यूटर स्क्रीन पर काम करने के लिए एहतियात के साथ अपनी जिंदगी में एक्सरसाइज को शामिल करना बेहद जरूरी है. शरीर में की गई एक्सरसाइज आंखों की रोशनी पर काफी सकारात्मक प्रभाव डालती है. रोज मसलन 15 से 20 मिनट के लिए ही आप घर में ही योगा एस्केपिंग वाकिंग या घर के अंदर ही पैदल चलकर 20 से 25 राउंड ले सकते हैं.

इन सब के साथ-साथ खाने में संतुलित आहार को शामिल रखना आपकी आंखों की बेहतरी के लिए बेहद जरूरी है. डॉ. शर्मा बताते हैं कि एक व्यक्ति की थाली में खाने के हर रंग जरूर शामिल होने चाहिए. इसके साथ ही भोजन करने के बाद तुरंत सोना या तुरंत लेट जाना सही नहीं है. खाना खाने के बाद कुछ समय का वॉक या टहलना आपकी नियमित दिनचर्या में जरूर होना चाहिए.

इसे भी पढ़ें:-यूपी में खाद्य विभाग ने बनाए रिकॉर्ड, लॉकडाउन में बनाए गए 7.88 लाख नए राशन कार्ड

आंखे शरीर की सबसे सेंसिटिव हिस्सा होती हैं. यदि किसी भी तरह की आंखों से जुड़ी कोई भी परेशानी हो तो नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास समय से पहुंचना चाहिए.
डॉ.अरुण शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, नेत्र रोग विभाग, केजीएमयू

लखनऊ: लॉकडाउन के समय में ज्यादातर लोग घरों में बैठे हुए हैं और उनका अधिकतर समय टीवी, मोबाइल और कंप्यूटर स्क्रीन के सामने गुजर रहा है. ऐसे में आंखों का विशेष ख्याल रखने के बारे में ईटीवी भारत से नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण कुमार शर्मा ने खास बातचीत की.

स्क्रीन टाइम का रखें ध्यान

आंखों का बेहतर खयाल रखने के बारे में केजीएमयू के नेत्र रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अरुण कुमार शर्मा कहते हैं कि लॉकडाउन में हर कोई अपना ज्यादातर वक्त मोबाइल, टीवी या कंप्यूटर पर बिता रहा है. बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज भी और बड़ों का वर्क फ्रॉम होम भी डिजिटल स्क्रीन पर हो रहा है. ऐसे में आंखों का बेहतर खयाल रखना बेहद जरूरी है.

डॉ. शर्मा कहते हैं कि हमारा कंप्यूटर का इस्तेमाल बढ़ गया है. इसके अलावा मोबाइल का इस्तेमाल दिन भर होने लगा है. 18 वर्ष तक की उम्र से कम के बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज चल रही है. 18 वर्ष से अधिक आयु वाले लोग वर्क फ्रॉम होम के चलते कंप्यूटर पर अपना समय बिता रहे हैं, जिनके पास कोई काम नहीं है वह टीवी स्क्रीन पर अधिकतर समय व्यतीत कर रहे हैं.

कंप्यूटर स्क्रीन पर एक व्यक्ति का आदर्श समय 1 घंटा होता है, लेकिन लॉकडाउन के दौरान यह समय 1 घंटे से कहीं ज्यादा बढ़कर 8 घंटे या इससे भी अधिक हो गया है. कई लोग लगातार 1 से 2 दिन तक टीवी या कंप्यूटर या मोबाइल चला रहे होते हैं जो उनकी आंखों की रोशनी पर तो प्रभाव डालता ही है पर साथ ही मानसिक तौर पर भी उन्हें प्रभावित कर सकता है.

डॉ. शर्मा ने बताया कि 18 वर्ष की कम उम्र के लोगों में जो लोग चश्मा नहीं पहन रहे हैं उन्हें गैजेट्स का इस्तेमाल करते समय अपने शरीर के पॉश्चर पर विशेष ध्यान रखना चाहिए, जब वह कंप्यूटर स्क्रीन पर पढ़ाई कर रहे हों तो उनके शरीर और मेज जिस पर लैपटॉप या कंप्यूटर रखकर वह पढ़ रहे हैं वह 90 डिग्री का पॉश्चर बनाता हुआ होना चाहिए और रोशनी पीछे से आनी चाहिए. यदि 1 घंटे से कम का समय स्क्रीन पर बिता रहे हैं तो कुछ सेकंड के लिए पलक झपकाई जानी चाहिए. इसके अलावा जो लोग चश्मा पहन रहे हैं उन्हें अपने चश्मे का नंबर जरूर चेक करवाना चाहिए, वरना ज्यादा देर तक स्क्रीन के सामने बैठने पर उनके चश्मे का नंबर अधिक बढ़ सकता है.

18 वर्ष की अधिक आयु वाले लोगों के लिए डॉक्टर शर्मा कहते हैं कि यदि आपकी स्क्रीन का टाइम 1 घंटे से अधिक है तो 15-20 मिनट के बाद आंखें 2 मिनट के लिए बंद कर लेनी चाहिए. यदि हम ऐसा नहीं करेंगे तो आंखों की टियर फिल्म पर असर पड़ सकता है.
डॉ. शर्मा ने बताया कि कॉर्निया आंखों पर पड़ने वाली हर रोशनी को रिफ्लेक्ट करके चीजों पर फोकस करती है. यदि बहुत देर तक आंखें खुली रहती हैं और पलकें नहीं झपकती तो कॉर्निया के ऊपर की टियर फिल्म इवेपरेट होने लगती है और ऑक्सीजन कॉर्निया तक नहीं पहुंच पाती. इसकी वजह से आंखों का लाल होना, खुजली, जलन आदि की समस्या होने लगती है और बार-बार आंखों से पानी भी गिर सकता है.

डॉ. शर्मा कहते हैं कि कंप्यूटर स्क्रीन पर काम करने के लिए एहतियात के साथ अपनी जिंदगी में एक्सरसाइज को शामिल करना बेहद जरूरी है. शरीर में की गई एक्सरसाइज आंखों की रोशनी पर काफी सकारात्मक प्रभाव डालती है. रोज मसलन 15 से 20 मिनट के लिए ही आप घर में ही योगा एस्केपिंग वाकिंग या घर के अंदर ही पैदल चलकर 20 से 25 राउंड ले सकते हैं.

इन सब के साथ-साथ खाने में संतुलित आहार को शामिल रखना आपकी आंखों की बेहतरी के लिए बेहद जरूरी है. डॉ. शर्मा बताते हैं कि एक व्यक्ति की थाली में खाने के हर रंग जरूर शामिल होने चाहिए. इसके साथ ही भोजन करने के बाद तुरंत सोना या तुरंत लेट जाना सही नहीं है. खाना खाने के बाद कुछ समय का वॉक या टहलना आपकी नियमित दिनचर्या में जरूर होना चाहिए.

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आंखे शरीर की सबसे सेंसिटिव हिस्सा होती हैं. यदि किसी भी तरह की आंखों से जुड़ी कोई भी परेशानी हो तो नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास समय से पहुंचना चाहिए.
डॉ.अरुण शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, नेत्र रोग विभाग, केजीएमयू

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