लखनऊ : सरकारी अस्पतालों (government hospitals) में तमाम ऐसी व्यवस्थाएं हैं, जिनका लाभ मरीज जानकारी के अभाव में नहीं उठा पाते हैं. सरकारी अस्पताल में बहुत सारी ऐसी जांचें होती हैं जिनका दाम शून्य रुपये है. वहीं कुछ जांच के लिए सरकार ने दाम निर्धारित किए हैं. वही इन जांच के लिए निजी अस्पताल मरीजों से जमकर पैसा वसूल करते हैं. अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एलएफटी, शुगर और थायराइड जैसी अनेकों जांच होती हैं. आम जनता को यह जानना बेहद जरूरी है कि सरकारी अस्पताल में उन्हें कौन-कौन सी जांचें निशुल्क होती हैं.
सिविल अस्पताल के निदेशक डॉ. आनंद ओझा (Director of Civil Hospital Dr. Anand Ojha) ने बताया कि मरीजों के लिए जितनी भी जांचें जिला अस्पताल में होती है वह सभी निशुल्क होती हैं. चाहे सिटी स्कैन हो या फिर अल्ट्रासाउंड हो मरीज को यहां पर किसी तरह का कोई भी शुल्क नहीं जमा करना पड़ता है. मात्र एक रुपये का पर्चा बनवा कर मरीज ओपीडी में दिखा सकता है. डॉक्टर के द्वारा अगर लिखा जाता है कि मरीज का सिटी स्कैन, एक्स-रे या अल्ट्रासाउंड होना है उस हिसाब से मरीज की जांचें होती है.
डॉ. ओझा ने बताया कि बहुत सारे लोग इसका गलत फायदा भी उठाते हैं. वह दिखाते प्राइवेट अस्पताल में हैं, लेकिन जब जांच की बारी आती है तो वह सरकारी अस्पताल का रूरुख ले लेते हैं. सारी जांच यहां पर निशुल्क करा कर प्राइवेट अस्पताल में दिखाने के लिए ले जाते हैं. ऐसे में अस्पतालों पर भी मरीजों का लोड़ बढ़ता है. साथ ही गरीब गंभीर मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है. ऐसे में अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा जब पर्चा पर लिखा जाता है कि मरीज के इलाज की के लिए इस जांच की आवश्यकता है. उसी समय मरीज की यह जांच कराई जाती है. क्योंकि यह सभी जांचें अगर कोई व्यक्ति निजी पैथोलॉजी में करवाता है तो उसके लिए उन्हें 1,000 से 50 हजार तक का शुल्क जमा करना पड़ता है. ऐसे में बहुत सारे लोग यहां सरकारी अस्पताल का नाजायज फायदा उठाते हैं.
बलरामपुर जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ जीपी गुप्ता (CMS Dr GP Gupta of Balrampur District Hospital) ने बताया कि बलरामपुर अस्पताल में जितने भी जांचें होती हैं वह सभी उपलब्ध हैं. कुछ जांच ऐसी है जिनके लिए अस्पताल में लैब टेक्नीशियन विशेषज्ञ डॉक्टर या कर्मचारी नहीं हैं तो वह जांच नहीं हो पा रही है. हालांकि जरूरत के जितने भी जाचें होती हैं, वह सभी हमारे यहां उपलब्ध हैं. हाल ही में हमारे यहां पर माइक्रोबायोलॉजी जांचें भी शुरू हुई हैं अब मरीज को हमारी अस्पताल से दूसरे अस्पताल में जांच के लिए भेजने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. सभी जांचें मरीज के अस्पताल में ही होंगी.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. मनोज अग्रवाल (Chief Medical Officer (CMO) Dr. Manoj Agarwal) ने कहा कि प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में एक समान सुविधाएं उपलब्ध होती हैं. फिर चाहे वह जांच की हो या फिर दवाओं की हो. एक जिला अस्पताल में जो सुविधा होगी वही सुविधा दूसरे जिला अस्पताल में होगी, लेकिन कई बार होता है कि किसी अस्पताल की कोई मशीन खराब हो जाती है या कोई टेक्नीशियन नहीं होता है तो इसकी वजह से कुछ परेशानी हो जाती है. वरना सभी जिला अस्पताल में एक समान व्यवस्थाएं होती हैं.
सरकारी जिला अस्पतालों में सुविधाएं : हेमेटोलॉजी में ब्लड ग्रुप, सीबीसी, एचबी, टीएलसी, डीएलसी, ईएसआर, बीटी, सीटी, एईसी, प्लेटलेट्स काउंट और इत्यादि जांचें होती हैं. क्लीनिकल में यूरीन फॉर प्रेगनेंसी, यूरिन टेस्ट, स्टूल टेस्ट, सीमेन टेस्ट इत्यादि. बायोकेमेस्ट्री में यूरिक एसिड, आयरन, ग्लूकोस, सिरम बिलुरुबिन, कैल्शियम, कोलेस्ट्रोल इत्यादि. हारमोंस एंड विटामिंस में थायराइड प्रोफाइल, इंसुलिन, विटामिन बी12 , विटामिन डी इत्यादि. माइक्रोबायोलॉजी में ब्लड कल्चर (खून से संबंधित सभी जांचें), सर्जिकल में डेंगू एनएस1, डेंगू एनएस1, आईजीएम, आईजीजी, एचबीएसएजी, एचआईवी, विडाल इत्यादि. एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, ईसीजी और सिटी स्कैन निशुल्क जांचें होती हैं. अगर कोई मरीज प्राइवेट वार्ड में भर्ती होता है फिर उसके बाद अगर उसे यह जांच करानी होती है तो सरकार के द्वारा शुल्क जमा करना होता है. सीधे शब्दों में हम कह सकते हैं कि प्राइवेट वार्ड में भर्ती मरीजों को निशुल्क सुविधा का लाभ नहीं मिलता है.
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