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राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अगले सत्र से यूपी के विश्वविद्यालयों में नया पाठ्यक्रम - restructuring of courses in universities

डिप्टी सीएम ने बताया कि प्रथम फेज में स्नातक स्तर के कला एवं मानविकी के 16, भाषा के 04, विज्ञान के 09, वाणिज्य, बीएड एवं प्रबन्धन के सभी विषयों के साथ-साथ 06 अनिवार्य विषयों के पाठ्यक्रम भी वेबसाइट पर उपलब्ध कर दिये गये हैं. अभी तक 200 से अधिक फीडबैक प्राप्त हुए हैं. उनपर विषय विशेषज्ञ समूहों द्वारा विचार किया जा रहा है. स्नातक कार्यक्रमों की समेकित संरचना के लिए कला, विज्ञान, वाणिज्य, प्रबंधन, कानून और कृषि के संकायों की समस्त उपाधियां (डिग्रियां) इस संरचना में सम्मिलित हैं.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अगले सत्र से नया पाठ्यक्रम
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अगले सत्र से नया पाठ्यक्रम
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Published : Feb 12, 2021, 9:21 AM IST

लखनऊः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत प्रदेश के विश्वविद्यालयों और उससे संबंद्ध महाविद्यालयों में नया पाठ्यक्रम लागू कर दिया जाएगा. राज्य सरकार की तरफ से गठित कमेटी ने पाठ्यक्रम तय करके वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है. इस पर आपत्तियां मांगी गई हैं. अभी तक 200 से अधिक आपत्तियां आई हैं. जिसे इस माह के अंत तक विश्वविद्यालयों को भेजना है. इसके बाद आगामी जुलाई तक इसे लागू कर दिया जाएगा.

200 से अधिक वर्चुअल बैठकें हुईं

उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में प्रदेश के विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय में क्रेडिट हस्तांतरण की सुविधा अनुमन्य करने के उद्देश्य से उच्च शिक्षा विभाग ने बीते अक्टूबर में पाठ्यक्रमों की पुनर्संरचना का कार्य प्रारम्भ किया. उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय पाठ्यक्रम समिति का गठन किया गया है. साथ ही, कला, वाणिज्य, विज्ञान, भाषा, शिक्षा एवं प्रबंधन (दर) संकायों के लिए अलग-अलग सुपरवाइजरी समितियां गठित की गई हैं. इनके द्वारा विषयवार विशेषज्ञ समूह गठित करके पाठ्यक्रमों की पुनर्संरचना के लिए कार्यवाही की गई.

इसके क्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के उद्देश्यों के अनुरूप लगभग 150 विषय विशेषज्ञों की राज्य स्तरीय समिति गठित की गयी. राज्य संकायवार सुपरवाजइरी समितियों के साथ 200 से अधिक वर्चुअल बैठकें हुईं. इसके माध्यम से चर्चा कर पाठ्यक्रमों को तैयार कर लिया गया है. सभी की राय जानने के लिए इसे उच्च शिक्षा परिषद की वेबसाइट पर जनवरी में ही उपलब्ध कराया गया है.

एक जुलाई 2021 से नया पाठ्यक्रम

उचित फीडबैक एवं सुझाव को शामिल करते हुए अन्तिम पाठ्यक्रम इस माह के अन्त तक विश्वविद्यालयों को भेजना है. ताकि विद्या परिषद, कार्यपरिषद इस पर विचार करे. इसमें आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर आगामी सत्र (1 जुलाई, 2021) से प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में नये पाठ्यक्रमों का संचालन कर सकें.

पाठ्यक्रम वेबसाइट पर उपलब्ध

डिप्टी सीएम ने बताया कि प्रथम फेज में स्नातक स्तर के कला एवं मानविकी के 16, भाषा के 04, विज्ञान के 09, वाणिज्य, बीएड एवं प्रबन्धन के सभी विषयों के साथ-साथ 06 अनिवार्य विषयों के पाठ्यक्रम भी वेबसाइट पर उपलब्ध कर दिये गये हैं. अभी तक 200 से अधिक फीडबैक प्राप्त हुए हैं. उनपर विषय विशेषज्ञ समूहों द्वारा विचार किया जा रहा है. स्नातक कार्यक्रमों की समेकित संरचना के लिए कला, विज्ञान, वाणिज्य, प्रबंधन, कानून और कृषि के संकायों की समस्त उपाधियां (डिग्रियां) इस संरचना में सम्मिलित हैं.

इस संरचना में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, दंत चिकित्सा और अन्य राज्य/राष्ट्रीय नियामक निकायों द्वारा विनियमित अन्य तकनीकी विषयों को शामिल नहीं किया गया है. छात्रों का लक्षित आयु समूह 18-23 वर्ष है, लेकिन यह जीवन में किसी भी आयु में किसी भी आग्रही व्यक्ति को समान अवसर प्रदान करती है. 12वीं कक्षा के बाद उच्च शिक्षा कार्यक्रम के पहले वर्ष में प्रवेश लेने के लिए इच्छुक छात्र को प्रथम वर्ष के लिए दो मुख्य विषयों के साथ एक संकाय का चुनाव करना होगा.

इस चुनाव के लिए संकाय विशेष के सन्दर्भ में पूर्व पात्रता की आवश्यकता होगी. दो प्रमुख विषयों के अलावा उन्हें प्रत्येक सेमेस्टर में किसी भी अन्य संकाय के एक और मुख्य (डंरवत) विषय का चुनाव करना होगा. इसके साथ ही एक गौण विषय किसी अन्य संकाय से, एक व्यावसायिक पाठ्यक्रम (अपनी अभिरूचि के अनुसार) तथा एक अनिवार्य सह-शैक्षणिक पाठ्यक्रम का चयन करना होगा.

लखनऊः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत प्रदेश के विश्वविद्यालयों और उससे संबंद्ध महाविद्यालयों में नया पाठ्यक्रम लागू कर दिया जाएगा. राज्य सरकार की तरफ से गठित कमेटी ने पाठ्यक्रम तय करके वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है. इस पर आपत्तियां मांगी गई हैं. अभी तक 200 से अधिक आपत्तियां आई हैं. जिसे इस माह के अंत तक विश्वविद्यालयों को भेजना है. इसके बाद आगामी जुलाई तक इसे लागू कर दिया जाएगा.

200 से अधिक वर्चुअल बैठकें हुईं

उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में प्रदेश के विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय में क्रेडिट हस्तांतरण की सुविधा अनुमन्य करने के उद्देश्य से उच्च शिक्षा विभाग ने बीते अक्टूबर में पाठ्यक्रमों की पुनर्संरचना का कार्य प्रारम्भ किया. उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय पाठ्यक्रम समिति का गठन किया गया है. साथ ही, कला, वाणिज्य, विज्ञान, भाषा, शिक्षा एवं प्रबंधन (दर) संकायों के लिए अलग-अलग सुपरवाइजरी समितियां गठित की गई हैं. इनके द्वारा विषयवार विशेषज्ञ समूह गठित करके पाठ्यक्रमों की पुनर्संरचना के लिए कार्यवाही की गई.

इसके क्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के उद्देश्यों के अनुरूप लगभग 150 विषय विशेषज्ञों की राज्य स्तरीय समिति गठित की गयी. राज्य संकायवार सुपरवाजइरी समितियों के साथ 200 से अधिक वर्चुअल बैठकें हुईं. इसके माध्यम से चर्चा कर पाठ्यक्रमों को तैयार कर लिया गया है. सभी की राय जानने के लिए इसे उच्च शिक्षा परिषद की वेबसाइट पर जनवरी में ही उपलब्ध कराया गया है.

एक जुलाई 2021 से नया पाठ्यक्रम

उचित फीडबैक एवं सुझाव को शामिल करते हुए अन्तिम पाठ्यक्रम इस माह के अन्त तक विश्वविद्यालयों को भेजना है. ताकि विद्या परिषद, कार्यपरिषद इस पर विचार करे. इसमें आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर आगामी सत्र (1 जुलाई, 2021) से प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में नये पाठ्यक्रमों का संचालन कर सकें.

पाठ्यक्रम वेबसाइट पर उपलब्ध

डिप्टी सीएम ने बताया कि प्रथम फेज में स्नातक स्तर के कला एवं मानविकी के 16, भाषा के 04, विज्ञान के 09, वाणिज्य, बीएड एवं प्रबन्धन के सभी विषयों के साथ-साथ 06 अनिवार्य विषयों के पाठ्यक्रम भी वेबसाइट पर उपलब्ध कर दिये गये हैं. अभी तक 200 से अधिक फीडबैक प्राप्त हुए हैं. उनपर विषय विशेषज्ञ समूहों द्वारा विचार किया जा रहा है. स्नातक कार्यक्रमों की समेकित संरचना के लिए कला, विज्ञान, वाणिज्य, प्रबंधन, कानून और कृषि के संकायों की समस्त उपाधियां (डिग्रियां) इस संरचना में सम्मिलित हैं.

इस संरचना में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, दंत चिकित्सा और अन्य राज्य/राष्ट्रीय नियामक निकायों द्वारा विनियमित अन्य तकनीकी विषयों को शामिल नहीं किया गया है. छात्रों का लक्षित आयु समूह 18-23 वर्ष है, लेकिन यह जीवन में किसी भी आयु में किसी भी आग्रही व्यक्ति को समान अवसर प्रदान करती है. 12वीं कक्षा के बाद उच्च शिक्षा कार्यक्रम के पहले वर्ष में प्रवेश लेने के लिए इच्छुक छात्र को प्रथम वर्ष के लिए दो मुख्य विषयों के साथ एक संकाय का चुनाव करना होगा.

इस चुनाव के लिए संकाय विशेष के सन्दर्भ में पूर्व पात्रता की आवश्यकता होगी. दो प्रमुख विषयों के अलावा उन्हें प्रत्येक सेमेस्टर में किसी भी अन्य संकाय के एक और मुख्य (डंरवत) विषय का चुनाव करना होगा. इसके साथ ही एक गौण विषय किसी अन्य संकाय से, एक व्यावसायिक पाठ्यक्रम (अपनी अभिरूचि के अनुसार) तथा एक अनिवार्य सह-शैक्षणिक पाठ्यक्रम का चयन करना होगा.

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