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कोरोना से जीत रहे जंग, 'सुपर इंफेक्शन' से हारे

यूपी में कोविड 19 के साथ-साथ संक्रमितों में सेकेंड्री इंफेक्शन के भी मामले सामने आए हैं. केजीएमयू की माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. शीतल वर्मा इसे 'सुपर इंफेक्शन' बता रही हैं...देखें ये खास रिपोर्ट-

डॉ. शीतल वर्मा
डॉ. शीतल वर्मा
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Published : May 11, 2021, 2:24 PM IST

लखनऊ : इंदिरानगर के मानस इन्क्लेव निवासी 48 वर्षीय व्यक्ति को कोरोना हो गया. उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने पर केजीएमयू में भर्ती कराया गया. 14 दिन में उनका कोरोना निगेटिव हो गया. इसी बीच वेंटीलेटर पर भर्ती मरीज में बैक्टीरिया ने हमला बोल दिया. शरीर में संक्रमण बढ़ने से अंगों का कार्य करना बाधित हो गया, जिससे मरीज की मौत हो गई.

एक और मामला हरदोई जिले से है. यहां 38 वर्षीय व्यक्ति को कोरोना हुआ. स्थानीय कोविड अस्पताल में 12 दिन इलाज के बाद चार दिन पहले केजीएमयू रेफर किया गया. यहां वेंटीलेटर पर इलाज चला. इस दौरान मरीज की कोविड की रिपोर्ट निगेटिव आ गई. मगर, हालत में सुधार नहीं हुआ. ब्लड की जांच में मार्कर बढ़े हुए पाए गए. शरीर के ब्लड में इन्फेक्शन फैल गया और सोमवार की रात मरीज की मौत हो गई.

मरीजों में सेकेंड्री इंफेक्शन के मामले

यूपी के ये दो मामले तो मात्र उदाहरण भर हैं. केजीएमयू, एसजीपीजीआई, लोहिया संस्थान समेत कोविड आईसीयू में भर्ती मरीजों में सेकेंड्री इंफेक्शन के तमाम मामले आ रहे हैं. यानी वायरस से जूझ रहे मरीज एकाएक बैक्टीरिया-फंगस की गिरफ्त में आ रहे हैं. यह अंदर ही अंदर पूरे शरीर को संक्रमण की जद में ला देता है. ऐसे में कम प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों के लिए यह जानलेवा साबित हो जाता है. केजीएमयू की माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. शीतल वर्मा ने इसे 'सुपर इंफेक्शन' बताया. साथ ही जानलेवा भी कहा है. उन्होंने कहा कि सुपर इंफेक्शन की वजह से मरीज शॉक में जाने के साथ-साथ मल्टी ऑर्गन फेल्योर भी हो रहे हैं. ऐसे में आईसीयू में भर्ती मरीजों की समय-समय ब्लड मार्कर व कल्चर टेस्ट आवश्यक है.


सेप्टिसीमिया को लेकर रहें अलर्ट

डॉ. शीतल वर्मा के मुताबिक, कोरोना वायरस मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है. ऐसे में आइसीयू में भर्ती मरीजों में बैक्टीरिया-फंगस का हमला करना आसान हो जाता है. लिहाजा, सुपर इंफेक्शन की चपेट में आए मरीजों में सेप्टिसीमिया (Septicemia) हो जाता है. यह जान पर भारी पड़ जाता है.

ये बैक्टीरिया-फंगस बन रहे घातक

डॉ. शीतल वर्मा बताती हैं कि गंभीर मरीजों में ई-कोलाई, क्लेबसिएला, स्टेफाइलोकोकस, स्युडोमोनाज, ए सिनेटो बैक्टर बैक्टीरिया घातक बन रहे हैं. इसके साथ ही केंडिडा फंगस भी जानलेवा बन रहा है. इनसे मरीज का शरीर सेप्टिसीमिया का शिकार हो रहा है. ऐसे में जहां मरीज भर्ती हैं, वह हॉस्पिटल, डिवाइस, उपकरण, हेल्थ वर्कर और मरीज में हाईजीन को बनाए रखना बेहद आवश्यक है. इसके अलावा मरीज की समय-समय पर कल्चर जांच कराएं. उसका ब्लड शुगर कंट्रोल रहे. जरूरत पड़ने पर तत्काल आवश्यक एंटीबायोटिक दी जाएं.

सेप्टिसीमिया के लक्षण
तेज सांस लेना, धड़कन बढ़ना, त्वचा पर चकत्ते, कमजोरी या मांसपेशियों में दर्द, पेशाब रुकना, अधिक गर्मी या ठंड लगना, कपकपी, उलझन महसूस होना ये सभी सेप्टिसीमिया के लक्षण हैं.


म्यूकरमायकोसिस नई आफत, आने लगे मरीज

डॉ. शीतल वर्मा के मुताबिक, अनियंत्रित डायबिटीज और ज्यादा समय आइसीयू में रहने वाले कोरोना संक्रमितों में म्यूकरमायकोसिस फंगस का इंफेक्शन होने लगा है. यह वातावरण में पहले से था. मगर, मरीजों में नहीं दिखता था. अब केजीएमयू में इसके मरीज आने लगे हैं. फंगस के बढ़ते खतरे को लेकर केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी की है. संस्थान में दो और अन्य अस्पतालों में भी ऐसे मरीजों के इलाज चल रहा हैं.

सुपर इंफेक्शन क्या है जानिए-

जनलेवा बन सकता म्यूकरमायकोसिस

डॉ. शीतल वर्मा के मुताबिक, अनदेखी करने से म्यूकरमायकोसिस इंफेक्शन जानलेवा हो सकता है. इसलिए बचाव के कदम उठाना जरूरी है. स्वास्थ्य मंत्रालय और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने इसकी स्क्रीनिंग, डायग्नोसिस और मैनेजमेंट को लेकर एडवाइजरी जारी की है. इसके कारण अनियंत्रित डायबिटीज, स्टेरॉयड के कारण इम्यूनोसप्रेशन (Immunosuppression) हो जाता है. वहीं ज्यादा समय तक आईसीयू में भर्ती रहने वालों को भी दिक्कत हो रही है.

ऐसे रखें ध्यान

धूल भरी जगह और बाहर निकलते वक्त मास्क लगाकर रहें. मिट्टी और खाद का काम करते समय जूते, ग्लव्स पहने. अपने आसपास स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें. डायबिटीज नियंत्रित रखें. स्टेरॉयड लेते हैं, तो मात्रा कम करें और जल्द ही इस्तेमाल रोक दें. इम्यूनोमॉड्यूलेटरी दवाओं का इस्तेमाल रोक दें. चिकित्सक से संपर्क करें.

इसे भी पढ़ें- रक्षामंत्री राजनाथ सिंह पहुंचे लखनऊ, दो कोविड अस्पतालों का करेंगे निरीक्षण



लक्षण:-

  • नाक जाम होना
  • नाक से काला या लाल स्राव होना
  • गाल की हड्डी दर्द करना
  • चेहरे पर एक तरफ दर्द होना या सूजन आना
  • दांत दर्द, दांत टूटना
  • जबड़े में दर्द, आंख के नीचे हड्डी में दर्द
  • दर्द के साथ धुंधला या दोहरा दिखाई देना
  • सीने में दर्द और सांस में परेशानी

लखनऊ : इंदिरानगर के मानस इन्क्लेव निवासी 48 वर्षीय व्यक्ति को कोरोना हो गया. उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने पर केजीएमयू में भर्ती कराया गया. 14 दिन में उनका कोरोना निगेटिव हो गया. इसी बीच वेंटीलेटर पर भर्ती मरीज में बैक्टीरिया ने हमला बोल दिया. शरीर में संक्रमण बढ़ने से अंगों का कार्य करना बाधित हो गया, जिससे मरीज की मौत हो गई.

एक और मामला हरदोई जिले से है. यहां 38 वर्षीय व्यक्ति को कोरोना हुआ. स्थानीय कोविड अस्पताल में 12 दिन इलाज के बाद चार दिन पहले केजीएमयू रेफर किया गया. यहां वेंटीलेटर पर इलाज चला. इस दौरान मरीज की कोविड की रिपोर्ट निगेटिव आ गई. मगर, हालत में सुधार नहीं हुआ. ब्लड की जांच में मार्कर बढ़े हुए पाए गए. शरीर के ब्लड में इन्फेक्शन फैल गया और सोमवार की रात मरीज की मौत हो गई.

मरीजों में सेकेंड्री इंफेक्शन के मामले

यूपी के ये दो मामले तो मात्र उदाहरण भर हैं. केजीएमयू, एसजीपीजीआई, लोहिया संस्थान समेत कोविड आईसीयू में भर्ती मरीजों में सेकेंड्री इंफेक्शन के तमाम मामले आ रहे हैं. यानी वायरस से जूझ रहे मरीज एकाएक बैक्टीरिया-फंगस की गिरफ्त में आ रहे हैं. यह अंदर ही अंदर पूरे शरीर को संक्रमण की जद में ला देता है. ऐसे में कम प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों के लिए यह जानलेवा साबित हो जाता है. केजीएमयू की माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. शीतल वर्मा ने इसे 'सुपर इंफेक्शन' बताया. साथ ही जानलेवा भी कहा है. उन्होंने कहा कि सुपर इंफेक्शन की वजह से मरीज शॉक में जाने के साथ-साथ मल्टी ऑर्गन फेल्योर भी हो रहे हैं. ऐसे में आईसीयू में भर्ती मरीजों की समय-समय ब्लड मार्कर व कल्चर टेस्ट आवश्यक है.


सेप्टिसीमिया को लेकर रहें अलर्ट

डॉ. शीतल वर्मा के मुताबिक, कोरोना वायरस मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है. ऐसे में आइसीयू में भर्ती मरीजों में बैक्टीरिया-फंगस का हमला करना आसान हो जाता है. लिहाजा, सुपर इंफेक्शन की चपेट में आए मरीजों में सेप्टिसीमिया (Septicemia) हो जाता है. यह जान पर भारी पड़ जाता है.

ये बैक्टीरिया-फंगस बन रहे घातक

डॉ. शीतल वर्मा बताती हैं कि गंभीर मरीजों में ई-कोलाई, क्लेबसिएला, स्टेफाइलोकोकस, स्युडोमोनाज, ए सिनेटो बैक्टर बैक्टीरिया घातक बन रहे हैं. इसके साथ ही केंडिडा फंगस भी जानलेवा बन रहा है. इनसे मरीज का शरीर सेप्टिसीमिया का शिकार हो रहा है. ऐसे में जहां मरीज भर्ती हैं, वह हॉस्पिटल, डिवाइस, उपकरण, हेल्थ वर्कर और मरीज में हाईजीन को बनाए रखना बेहद आवश्यक है. इसके अलावा मरीज की समय-समय पर कल्चर जांच कराएं. उसका ब्लड शुगर कंट्रोल रहे. जरूरत पड़ने पर तत्काल आवश्यक एंटीबायोटिक दी जाएं.

सेप्टिसीमिया के लक्षण
तेज सांस लेना, धड़कन बढ़ना, त्वचा पर चकत्ते, कमजोरी या मांसपेशियों में दर्द, पेशाब रुकना, अधिक गर्मी या ठंड लगना, कपकपी, उलझन महसूस होना ये सभी सेप्टिसीमिया के लक्षण हैं.


म्यूकरमायकोसिस नई आफत, आने लगे मरीज

डॉ. शीतल वर्मा के मुताबिक, अनियंत्रित डायबिटीज और ज्यादा समय आइसीयू में रहने वाले कोरोना संक्रमितों में म्यूकरमायकोसिस फंगस का इंफेक्शन होने लगा है. यह वातावरण में पहले से था. मगर, मरीजों में नहीं दिखता था. अब केजीएमयू में इसके मरीज आने लगे हैं. फंगस के बढ़ते खतरे को लेकर केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी की है. संस्थान में दो और अन्य अस्पतालों में भी ऐसे मरीजों के इलाज चल रहा हैं.

सुपर इंफेक्शन क्या है जानिए-

जनलेवा बन सकता म्यूकरमायकोसिस

डॉ. शीतल वर्मा के मुताबिक, अनदेखी करने से म्यूकरमायकोसिस इंफेक्शन जानलेवा हो सकता है. इसलिए बचाव के कदम उठाना जरूरी है. स्वास्थ्य मंत्रालय और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने इसकी स्क्रीनिंग, डायग्नोसिस और मैनेजमेंट को लेकर एडवाइजरी जारी की है. इसके कारण अनियंत्रित डायबिटीज, स्टेरॉयड के कारण इम्यूनोसप्रेशन (Immunosuppression) हो जाता है. वहीं ज्यादा समय तक आईसीयू में भर्ती रहने वालों को भी दिक्कत हो रही है.

ऐसे रखें ध्यान

धूल भरी जगह और बाहर निकलते वक्त मास्क लगाकर रहें. मिट्टी और खाद का काम करते समय जूते, ग्लव्स पहने. अपने आसपास स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें. डायबिटीज नियंत्रित रखें. स्टेरॉयड लेते हैं, तो मात्रा कम करें और जल्द ही इस्तेमाल रोक दें. इम्यूनोमॉड्यूलेटरी दवाओं का इस्तेमाल रोक दें. चिकित्सक से संपर्क करें.

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लक्षण:-

  • नाक जाम होना
  • नाक से काला या लाल स्राव होना
  • गाल की हड्डी दर्द करना
  • चेहरे पर एक तरफ दर्द होना या सूजन आना
  • दांत दर्द, दांत टूटना
  • जबड़े में दर्द, आंख के नीचे हड्डी में दर्द
  • दर्द के साथ धुंधला या दोहरा दिखाई देना
  • सीने में दर्द और सांस में परेशानी
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