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सुपरमून देखने के लिए हो जाइए तैयार, 26 मई को दिखेगा सुंदर नजारा

अप्रैल 2021 को दुनियाभर में पिंक सुपरमून देखा गया था. अब 26 मई को दूसरा सुपरमून दिखाई देगा जो पहले से भी ज्यादा खास है. इस बार पूर्णिमा, चंद्र ग्रहण और सुपरमून की घटना एक साथ हो रही है. इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होगा और लाल रंग में दिखाई देगा.

सुपर ब्लड मून.
सुपर ब्लड मून.
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Published : May 22, 2021, 2:34 AM IST

लखनऊः सुपर फ्लावर मून 26 मई को दिखाई देगा. 26 मई को वर्ष 2021 में चंद्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा नजदीक होगा. जिससे इस वर्ष का सबसे आकर्षक, चमकीला और सबसे बड़ा चंद्रमा देखने को मिलेगा. इसे सुपरमून या सुपर फ्लावर मून के नाम से भी जाना जाएगा. यह एक संयोग है कि इस बार पूर्णिमा, ग्रहण और सुपर मून तीनों एक साथ पड़ रहे हैं.

सुपर मून देखने के लिए करना होगा सूर्यास्त का इंतजार

इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला के वैज्ञानिक सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि 26 मई को 1:53 बजे चंद्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब होगा. इस समय चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी मात्र 357309 किलोमीटर रह जाएगी. चंद्रमा की ये स्थिति पेरिगी की स्थिति कहलाती है. इस स्थिति से चन्द्रमा हमें काफी बड़ा दिखना शुरू हो जाएगा. मगर सुपरमून देखने के लिए हमे सूर्यास्त का इंतजार करना होगा. चंद्रमा के उगने का समय लगभग शाम 5.35 है. सूर्यास्त के साथ ही हम सब इस सुपरमून के अद्भुद नजारे को पूरी रात देख सकेगें. शाम होते ही चंद्रमा सभी के छतों पर होगा. जिसे देखना बेहद आसान होगा.

इसे भी पढ़ें- सहारनपुर से दिखा हिमालय का खूबसूरत नजारा, वीडियो देखकर आप भी कहेंगे मजा आ गया

वर्ष में 12 पूर्णिमा होती है

वैज्ञानिक सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि सामान्य रूप से पृथ्वी की चंद्रमा से दूरी 3,84,400 किलोमीटर मानी जाती है. चन्द्रमा की पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होने पर ये दूरी लगभग 4,05,696 किलोमीटर मानी जाती है. इस स्थिति को अपोगी (Apogee) की स्थिति कहते हैं. इसके ठीक विपरीत चंद्रमा के पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब होने की स्थिति को पेरिगी की स्थिति कहते हैं. जिसमें पृथ्वी और चंद्रमा की बीच की दूरी लगभग 3,57,000 किलोमीटर रह जाती है. अगर चन्द्रमा के पेरीगी की स्तिथि में पूर्णिमा पड़ जाए, तो हमें सुपरमून दिखाई देता है. वर्ष में न्यूनतम 12 पूर्णिमा पड़ती है या कभी-कभी 13 पूर्णिमा भी दिखाई देती है. मगर ऐसा कम ही होता है कि पेरिगी की स्थिति में पूर्णिमा भी पड़े. इसे एक अद्भुत घटना ही कहेगें.

सुपर फ्लावर मून या सुपर मिल्क मून

सुमित श्रीवास्तव ने कहा कि वर्ष 2021 में इससे ज्यादा करीब चंद्रमा पृथ्वी के अब नहीं होगा. पूरे वर्ष में यह चंद्रमा की पृथ्वी से निकटतम दूरी होगी. इस साल का अंतिम सबसे चमकदार और सबसे बड़ा फुलमून, सबसे ज्यादा आकर्षक होगा. पारंपरिक रूप से मई माह में पूर्णिमा को दूधिया चंद्रमा यानी मिल्क मून या फ्लावर मून या सुपर कॉर्न प्लांटिंग मून भी कहा जाता है. इसी कारण से यह पूर्णिमा को सुपर फ्लावर मून या सुपर मिल्क मून कहा जाएगा. क्योंकि ये मई माह की पूर्णिमा के दिन दिखाई देने वाला सुपरमून होगा.

साल में चार बार दिखाई देते हैं सुपर मून

उन्होंने बताया कि बीते 27 अप्रैल 2021 में आखिरी सुपरमून दिखाई दिया था. लोकप्रिय रूप से अप्रैल के सुपरमून को सुपर पिंक मून भी कहा गया था. 2021 में दिखाई देने वाले दोनों सुपर मून्स में से यह अंतिम सुपरमून होगा. किसी भी वर्ष में अधिकतम चार सुपरमूंस दिखाई दे सकते हैं. सुपरमून की स्तिथि में चन्द्रमा माइक्रो मून से 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चमकदार नजर आएगा. सामान्य चंद्रमा से लगभग 7 प्रतिशत बड़ा और 16 प्रतिशत ज्यादा चमकदार नजर आएगा. बीते 11 मई 2021 को चन्द्रमा पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर था.

लखनऊः सुपर फ्लावर मून 26 मई को दिखाई देगा. 26 मई को वर्ष 2021 में चंद्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा नजदीक होगा. जिससे इस वर्ष का सबसे आकर्षक, चमकीला और सबसे बड़ा चंद्रमा देखने को मिलेगा. इसे सुपरमून या सुपर फ्लावर मून के नाम से भी जाना जाएगा. यह एक संयोग है कि इस बार पूर्णिमा, ग्रहण और सुपर मून तीनों एक साथ पड़ रहे हैं.

सुपर मून देखने के लिए करना होगा सूर्यास्त का इंतजार

इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला के वैज्ञानिक सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि 26 मई को 1:53 बजे चंद्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब होगा. इस समय चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी मात्र 357309 किलोमीटर रह जाएगी. चंद्रमा की ये स्थिति पेरिगी की स्थिति कहलाती है. इस स्थिति से चन्द्रमा हमें काफी बड़ा दिखना शुरू हो जाएगा. मगर सुपरमून देखने के लिए हमे सूर्यास्त का इंतजार करना होगा. चंद्रमा के उगने का समय लगभग शाम 5.35 है. सूर्यास्त के साथ ही हम सब इस सुपरमून के अद्भुद नजारे को पूरी रात देख सकेगें. शाम होते ही चंद्रमा सभी के छतों पर होगा. जिसे देखना बेहद आसान होगा.

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वर्ष में 12 पूर्णिमा होती है

वैज्ञानिक सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि सामान्य रूप से पृथ्वी की चंद्रमा से दूरी 3,84,400 किलोमीटर मानी जाती है. चन्द्रमा की पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होने पर ये दूरी लगभग 4,05,696 किलोमीटर मानी जाती है. इस स्थिति को अपोगी (Apogee) की स्थिति कहते हैं. इसके ठीक विपरीत चंद्रमा के पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब होने की स्थिति को पेरिगी की स्थिति कहते हैं. जिसमें पृथ्वी और चंद्रमा की बीच की दूरी लगभग 3,57,000 किलोमीटर रह जाती है. अगर चन्द्रमा के पेरीगी की स्तिथि में पूर्णिमा पड़ जाए, तो हमें सुपरमून दिखाई देता है. वर्ष में न्यूनतम 12 पूर्णिमा पड़ती है या कभी-कभी 13 पूर्णिमा भी दिखाई देती है. मगर ऐसा कम ही होता है कि पेरिगी की स्थिति में पूर्णिमा भी पड़े. इसे एक अद्भुत घटना ही कहेगें.

सुपर फ्लावर मून या सुपर मिल्क मून

सुमित श्रीवास्तव ने कहा कि वर्ष 2021 में इससे ज्यादा करीब चंद्रमा पृथ्वी के अब नहीं होगा. पूरे वर्ष में यह चंद्रमा की पृथ्वी से निकटतम दूरी होगी. इस साल का अंतिम सबसे चमकदार और सबसे बड़ा फुलमून, सबसे ज्यादा आकर्षक होगा. पारंपरिक रूप से मई माह में पूर्णिमा को दूधिया चंद्रमा यानी मिल्क मून या फ्लावर मून या सुपर कॉर्न प्लांटिंग मून भी कहा जाता है. इसी कारण से यह पूर्णिमा को सुपर फ्लावर मून या सुपर मिल्क मून कहा जाएगा. क्योंकि ये मई माह की पूर्णिमा के दिन दिखाई देने वाला सुपरमून होगा.

साल में चार बार दिखाई देते हैं सुपर मून

उन्होंने बताया कि बीते 27 अप्रैल 2021 में आखिरी सुपरमून दिखाई दिया था. लोकप्रिय रूप से अप्रैल के सुपरमून को सुपर पिंक मून भी कहा गया था. 2021 में दिखाई देने वाले दोनों सुपर मून्स में से यह अंतिम सुपरमून होगा. किसी भी वर्ष में अधिकतम चार सुपरमूंस दिखाई दे सकते हैं. सुपरमून की स्तिथि में चन्द्रमा माइक्रो मून से 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चमकदार नजर आएगा. सामान्य चंद्रमा से लगभग 7 प्रतिशत बड़ा और 16 प्रतिशत ज्यादा चमकदार नजर आएगा. बीते 11 मई 2021 को चन्द्रमा पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर था.

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