लखनऊः उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इतिहास रचते हुए 37 साल बाद बैक टू बैक सरकार बनाने जा रही है. बीजेपी के सहारे उनके सहयोगी दलों का भी इस चुनाव में शानदार प्रदर्शन देखने को मिला है. वहीं समाजवादी पार्टी ने भी इस चुनाव में 2017 की अपेक्षा प्रदर्शन अच्छा किया है. हालांकि 150 का आंकड़ा नहीं पार कर सकी है. लेकिन इस बीच ओम प्रकाश राजभर की पार्टी पिछले हर चुनाव में अपना प्रदर्शन अच्छा कर रही है. सुभासपा ने 18 सीट पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. जिसमें 6 ने जीत हासिल की है.
साल 2012 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा अकेले 52 सीटों पर लड़ी थी. इस चुनाव में उसे एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी. इसमें उसका कुल वोट का 0.63 प्रतिशत वोट शेयर रहा था. 2017 में बीजेपी के साथ मिलकर 8 सीटों पर चुनाव लड़ा तो 4 सीट में उसके विधायक चुने गये और वोट शेयर बढ़कर 0.70 हो गया था.
2022 के इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर 18 सीटों में अपने प्रत्याशी उतारे और 6 सीट पर जीत मिली. यानी कि राजनीतिक रूप से सुभासपा के लिए ये चुनाव फायदे का ही रहा है.
सोनेलाल की पार्टी अपना दल राज्य के कुर्मी वोटर्स की सबसे बड़ी पार्टी मानी जाती थी. यही वजह है कि बीजेपी ने कुर्मी वोटर को साधने के लिए उसे अपने साथ लाने की कोशिश की थी और 2014 के लोक सभा चुनाव में उसके साथ चुनाव लड़ा था. लेकिन अपना दल में आपसी कलह के चलते पार्टी दो फाड़ में हुई तो कुर्मी वोटर अनुप्रिया पटेल की अपना दल (सोनेलाल) के साथ शिफ्ट हो गया था.
इसी कुर्मी वोट बैंक को खींचने के लिए अखिलेश यादव ने इस चुनाव में कृष्णा पटेल (कमेरावादी) के साथ गठबंधन किया और 7 सीटें भी दी. लेकिन पार्टी की अध्यक्ष कृष्णा पटेल समेत उसके सभी प्रत्याशी हार गये. हालांकि कृष्णा पटेल की बेटी पल्लवी पटेल ने सपा के सिंबल से लड़ते हुए सिराथु सीट पर केशव प्रसाद मौर्य को पटखनी दे दी और जीत दर्ज की है.
यूपी में यादव के बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी ओबीसी में कुर्मी समाज की है. कुर्मी समजा के वोटों को साधने के लिए बीजेपी अनुप्रिया को साथ लेकर चली तो सपा अनुप्रिया की मां कृष्णा पटेल को अपने साथ ले आई. सूबे में कुर्मी सैथवार समाज का वोट करीब 6 फीसदी है, जिन्हें पटेल, गंगवार, सचान, कटियार, निरंजन, चौधरी और वर्मा जैसे उपनाम से जाना जाता है. इन्ही जातियों ने एक सिरे से अनुप्रिया पटेल को 2014 के लोकसभा चुनाव में ही अपना नेता मान लिया था.
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ऐसे में संभावना कम थी कि 2022 के लोकसभा चुनाव में ये कुर्मी वोट बैंक अनुप्रिया की पार्टी से हटकर कृष्णा पटेल की पार्टी में शिफ्ट हो जाये. लेकिन उसके बावजूद अखिलेश यादव ने ज्यादा भरोसा जताते हुए अपना दल (कमेरावादी) को 7 सीटें दे दीं. जिसका कोई भी पायदा उन्हें नहीं मिला और अनुप्रिया वाले अपना दल (सोनेलाल) के साथ ही कुर्मी वोटर रहा और उसे राज्य की तीसरी बड़ी पार्टी बना दिया.
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