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दारोगा भर्ती 2016: खाकी वर्दी में पूरी की ट्रेनिंग, नहीं मिला नियुक्ति पत्र - यूपी दारोगा भर्ती ट्रेनिंग

उत्तर प्रदेश में प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके दारोगाओं को अभी तक नियुक्ति पत्र नहीं मिला है. ट्रेनिंग प्राप्त कर चुके इन दारोगाओं का आरोप है कि सरकार ने सही तरीके से भर्ती की पैरवी नहीं की, जिसकी वजह से दो सालों से मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके दारोगाओं को अभी तक नियुक्ति पत्र नहीं मिला
प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके दारोगाओं को अभी तक नियुक्ति पत्र नहीं मिला
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Published : Jun 17, 2021, 1:06 PM IST

लखनऊ: यूपी दारोगा भर्ती को लेकर युवाओं का भरोसा टूटने लगा है. ये दारोगा ट्रेनिंग करने के बाद भी घरों में बैठे हुए हैं. इन सभी को इंतज़ार है कि कब इनके पास नियुक्ति का पत्र आए और ये भी वर्दी पहन कर अपनी ड्यूटी का निर्वाहन करें. खाकी वर्दी में ट्रेनिंग कंप्लीट करने के बाद भी नौकरी नहीं मिली. हालात यह है कि ट्रेनिंग कर चुके दारोगा अवसाद में डूब गए हैं. इसके बाद उत्तर प्रदेश के लगभग 2500 ट्रेनिंग प्राप्त कर चुके दारोगाओं ने सुप्रीम कोर्ट से न्याय की अपील की है. ट्रेनिंग प्राप्त कर चुके इन दारोगाओं का आरोप है कि सरकार ने सही तरीके से भर्ती की पैरवी नहीं की, जिसकी वजह से दो सालों से मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

इसकी एक वजह कानूनी दांव पेच भी है. सपा की अखिलेश सरकार में वर्ष 2016 में 3,307 पदों पर यूपी में दारोगा भर्ती निकली थी. इन पदों के लिए लाखों की संख्या में अभ्यर्थियों ने फार्म भरा था. जुलाई 2017 में परीक्षा होनी थी, लेकिन पेपर आउट होने की वजह से परीक्षा कैंसिल हो गई. दिसंबर 2017 में परीक्षा हुई, लेकिन परिणाम आते ही बोर्ड के मूल्यांकन के खिलाफ कुछ अभ्यर्थी हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट चले गए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चयनित 2,486 अभ्यर्थियों की ट्रेनिंग जून 2019 से जून 2020 तक चली, लेकिन अब तक जॉइनिंग नहीं मिली है. परीक्षा पास करने वाले इन 2486 दारोगाओं में से 800 ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर आये थे. लिहाजा, अधर में लटकी जॉइनिंग से परेशान युवा अवसाद में हैं.


अभ्यर्थियों भर्ती का जब नोटिफिकेशन आया था तब नॉर्मलाइजेशन का जिक्र नहीं किया गया था न ही इसे लेकर कोई बात कही गई थी. परीक्षा के कुछ दिन पहले बोर्ड ने इसका नोटिफिकेशन जारी किया था, लेकिन उसमें भी यह साफ नहीं था कि नॉर्मलाइजेशन हर स्टेप पर होगा या पूरे परीक्षा परिणाम पर. परिणाम आने पर 400 से ज्यादा लोगों को नॉर्मलाइजेशन की वजह से ज्यादा अंक मिले. लेकिन कई के अंक प्राप्तांक से घट गए. इस बात पर आक्रोशित अभ्यर्थियों ने कोर्ट में अर्जी देकर शासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. इसी को लेकर कोर्ट में विवाद चल रहा है. 5 फरवरी 2021 को न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित के बैंच से फैसला सुनाया जाना था, लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं आया है.


ट्रेनिंग प्राप्त कर चुके इन दारोगाओं ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है. आरोप है कि सरकार ने गंभीरता से पैरवी नहीं की है. कई अवसरों पर वकील सुनवाई में उपस्थित ही नहीं हुए. इसकी वजह से मामला अभी तक लंबित है. अगर मामले की सही तरीके से पैरवी की गई होती तो मामला जल्द निपट जाता.

लखनऊ: यूपी दारोगा भर्ती को लेकर युवाओं का भरोसा टूटने लगा है. ये दारोगा ट्रेनिंग करने के बाद भी घरों में बैठे हुए हैं. इन सभी को इंतज़ार है कि कब इनके पास नियुक्ति का पत्र आए और ये भी वर्दी पहन कर अपनी ड्यूटी का निर्वाहन करें. खाकी वर्दी में ट्रेनिंग कंप्लीट करने के बाद भी नौकरी नहीं मिली. हालात यह है कि ट्रेनिंग कर चुके दारोगा अवसाद में डूब गए हैं. इसके बाद उत्तर प्रदेश के लगभग 2500 ट्रेनिंग प्राप्त कर चुके दारोगाओं ने सुप्रीम कोर्ट से न्याय की अपील की है. ट्रेनिंग प्राप्त कर चुके इन दारोगाओं का आरोप है कि सरकार ने सही तरीके से भर्ती की पैरवी नहीं की, जिसकी वजह से दो सालों से मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

इसकी एक वजह कानूनी दांव पेच भी है. सपा की अखिलेश सरकार में वर्ष 2016 में 3,307 पदों पर यूपी में दारोगा भर्ती निकली थी. इन पदों के लिए लाखों की संख्या में अभ्यर्थियों ने फार्म भरा था. जुलाई 2017 में परीक्षा होनी थी, लेकिन पेपर आउट होने की वजह से परीक्षा कैंसिल हो गई. दिसंबर 2017 में परीक्षा हुई, लेकिन परिणाम आते ही बोर्ड के मूल्यांकन के खिलाफ कुछ अभ्यर्थी हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट चले गए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चयनित 2,486 अभ्यर्थियों की ट्रेनिंग जून 2019 से जून 2020 तक चली, लेकिन अब तक जॉइनिंग नहीं मिली है. परीक्षा पास करने वाले इन 2486 दारोगाओं में से 800 ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर आये थे. लिहाजा, अधर में लटकी जॉइनिंग से परेशान युवा अवसाद में हैं.


अभ्यर्थियों भर्ती का जब नोटिफिकेशन आया था तब नॉर्मलाइजेशन का जिक्र नहीं किया गया था न ही इसे लेकर कोई बात कही गई थी. परीक्षा के कुछ दिन पहले बोर्ड ने इसका नोटिफिकेशन जारी किया था, लेकिन उसमें भी यह साफ नहीं था कि नॉर्मलाइजेशन हर स्टेप पर होगा या पूरे परीक्षा परिणाम पर. परिणाम आने पर 400 से ज्यादा लोगों को नॉर्मलाइजेशन की वजह से ज्यादा अंक मिले. लेकिन कई के अंक प्राप्तांक से घट गए. इस बात पर आक्रोशित अभ्यर्थियों ने कोर्ट में अर्जी देकर शासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. इसी को लेकर कोर्ट में विवाद चल रहा है. 5 फरवरी 2021 को न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित के बैंच से फैसला सुनाया जाना था, लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं आया है.


ट्रेनिंग प्राप्त कर चुके इन दारोगाओं ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है. आरोप है कि सरकार ने गंभीरता से पैरवी नहीं की है. कई अवसरों पर वकील सुनवाई में उपस्थित ही नहीं हुए. इसकी वजह से मामला अभी तक लंबित है. अगर मामले की सही तरीके से पैरवी की गई होती तो मामला जल्द निपट जाता.

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