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राज्यपाल का आदेश- छात्रों को निशुल्क वितरित की जाएं विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में वर्षों से लंबित पड़ी डिग्रियां

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में लंबित पुरानी डिग्रियों को छात्रों को वितरित करने का निर्देश दिया है. छात्रों को सीघ्र डिग्रियां उपलब्ध कराने के लिए एक कमेटी गठित की गई है.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल
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Published : Sep 29, 2021, 10:37 PM IST

लखनऊ : यूपी की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में लंबित पड़ी पुरानी डिग्रियों को छात्रों को वितरित करने का निर्देश दिया है. अपर मुख्य सचिव राज्यपाल महेश कुमार गुप्ता ने बताया कि राज्य विश्वविद्यालयों से प्राप्त विवरण के मुताबिक विभिन्न विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में कई वर्षों से छात्रों की डिग्रियों का वितरण नहीं होने की बात राज्यपाल के संज्ञान में आई है. इनमें से कई डिग्रियां 10-12 वर्ष या उससे भी अधिक पुरानी हैं. राज्यपाल ने कहा है, कि इसके लिए ऐसी व्यवस्था बनाई जाए, जिससे लंबित डिग्रियों का शीघ्र वितरण हो सके और भविष्य में दीक्षान्त के बाद सभी छात्रों को उनकी डिग्रियां तत्काल वितरित हो जाएं.

राज्यपाल ने कहा, कि बहुत पुरानी डिग्री प्राप्त करने में छात्रों में रूचि का भी अभाव है. पुरानी डिग्रियों को सुरक्षित रखने का कार्य भी विश्वविद्यालयों द्वारा किया जा रहा है, इसलिए पुरानी डिग्रियों के वितरण में अनावश्यक नियमों को शिथिल करके छात्रों को उनकी डिग्री प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए.

अपर मुख्य सचिव राज्यपाल ने बताया कि राज्यपाल की मंशा के अनुरूप इस संदर्भ में कमेटी गठित की गई है. जिसमें यह निर्णय लिया गया है, कि लंबित डिग्रियों को वितरित करने के लिए उपाधि शुल्क लेने की बाध्यता को समाप्त कर दिया जाए और यह सभी डिग्रियां निशुल्क वितरित की जाएं. पुराने छात्रों को अंतिम अंकपत्र पर प्रोविजनल डिग्री सर्टिफिकेट निर्गत किए गए होंगे, इसलिए उनके डिग्री वितरण में अब अदेयता प्रमाण-पत्र की आवश्यकता शिथिल किए जाने का निर्णय लिया गया है.

उन्होंने बताया कमेटी में निर्णय लिया गया है कि डिग्री भेजने के लिए इन छात्रों से कोई आवेदन पत्र नहीं लिया जाएगा. इसके अलावा अभियान चलाकर छात्रों को डिग्री उपलब्ध कराई जाए. अपर मुख्य सचिव राज्यपाल ने बताया, कि कमेटी द्वारा छात्रों को अविलम्ब डिग्री वितरण के लिए 5 बिन्दुओं पर व्यवस्था निर्धारित कराने के निर्णय लिए गए हैं.

जिसमें सभी विश्वविद्यालयों द्वारा अनिवार्य रूप से डिजी लॉकर में डिग्री उपलब्ध कराना, छात्रों से उपाधि शुल्क शिक्षा सत्र के अंतिम वर्ष या अंतिम सेमेस्टर की फीस के साथ जमा करा लिया जाना, छात्रों को अंतिम अंकपत्र या प्रोविजनल डिग्री सर्टिफिकेट देने से पूर्व उनसे अदेयता प्रमाण-पत्र प्राप्त कर लेना, छात्र को डाक से डिग्री भेजने के विकल्प हेतु उसका पता प्राप्त कर लेना शामिल है. इसके साथ ही डिग्री भेजने के लिए छात्रों से कोई आवेदन पत्र न लेने का बिन्दु भी शामिल है.

इसे पढ़ें- Up Assembly Election 2022: शिवपाल यादव से मिले ओवैसी, राजभर और चंद्रशेखर, अलग मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ने की कवायद तेज

लखनऊ : यूपी की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में लंबित पड़ी पुरानी डिग्रियों को छात्रों को वितरित करने का निर्देश दिया है. अपर मुख्य सचिव राज्यपाल महेश कुमार गुप्ता ने बताया कि राज्य विश्वविद्यालयों से प्राप्त विवरण के मुताबिक विभिन्न विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में कई वर्षों से छात्रों की डिग्रियों का वितरण नहीं होने की बात राज्यपाल के संज्ञान में आई है. इनमें से कई डिग्रियां 10-12 वर्ष या उससे भी अधिक पुरानी हैं. राज्यपाल ने कहा है, कि इसके लिए ऐसी व्यवस्था बनाई जाए, जिससे लंबित डिग्रियों का शीघ्र वितरण हो सके और भविष्य में दीक्षान्त के बाद सभी छात्रों को उनकी डिग्रियां तत्काल वितरित हो जाएं.

राज्यपाल ने कहा, कि बहुत पुरानी डिग्री प्राप्त करने में छात्रों में रूचि का भी अभाव है. पुरानी डिग्रियों को सुरक्षित रखने का कार्य भी विश्वविद्यालयों द्वारा किया जा रहा है, इसलिए पुरानी डिग्रियों के वितरण में अनावश्यक नियमों को शिथिल करके छात्रों को उनकी डिग्री प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए.

अपर मुख्य सचिव राज्यपाल ने बताया कि राज्यपाल की मंशा के अनुरूप इस संदर्भ में कमेटी गठित की गई है. जिसमें यह निर्णय लिया गया है, कि लंबित डिग्रियों को वितरित करने के लिए उपाधि शुल्क लेने की बाध्यता को समाप्त कर दिया जाए और यह सभी डिग्रियां निशुल्क वितरित की जाएं. पुराने छात्रों को अंतिम अंकपत्र पर प्रोविजनल डिग्री सर्टिफिकेट निर्गत किए गए होंगे, इसलिए उनके डिग्री वितरण में अब अदेयता प्रमाण-पत्र की आवश्यकता शिथिल किए जाने का निर्णय लिया गया है.

उन्होंने बताया कमेटी में निर्णय लिया गया है कि डिग्री भेजने के लिए इन छात्रों से कोई आवेदन पत्र नहीं लिया जाएगा. इसके अलावा अभियान चलाकर छात्रों को डिग्री उपलब्ध कराई जाए. अपर मुख्य सचिव राज्यपाल ने बताया, कि कमेटी द्वारा छात्रों को अविलम्ब डिग्री वितरण के लिए 5 बिन्दुओं पर व्यवस्था निर्धारित कराने के निर्णय लिए गए हैं.

जिसमें सभी विश्वविद्यालयों द्वारा अनिवार्य रूप से डिजी लॉकर में डिग्री उपलब्ध कराना, छात्रों से उपाधि शुल्क शिक्षा सत्र के अंतिम वर्ष या अंतिम सेमेस्टर की फीस के साथ जमा करा लिया जाना, छात्रों को अंतिम अंकपत्र या प्रोविजनल डिग्री सर्टिफिकेट देने से पूर्व उनसे अदेयता प्रमाण-पत्र प्राप्त कर लेना, छात्र को डाक से डिग्री भेजने के विकल्प हेतु उसका पता प्राप्त कर लेना शामिल है. इसके साथ ही डिग्री भेजने के लिए छात्रों से कोई आवेदन पत्र न लेने का बिन्दु भी शामिल है.

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