लखनऊः राजधानी के सभी स्कूल व काॅलेज खुल गए हैं. प्राईमरी और प्री प्राइमरी स्कूलों में भी बच्चे पहुंच रहे है. लेकिन, अभी तक बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) को पूरी तरह से खोला नहीं गया है. बीते दिनों विश्वविद्यालय प्रशासन ने दो मार्च से प्रथम वर्ष के छात्रों को बुलाने का फैसला लिया था. लेकिन, बाद में उसे वापस ले लिया.
विश्वविद्यालय प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ अब छात्रों ने विरोध करना शुरू कर दिया है. अम्बेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट्स यूनियन की तरफ से विश्वविद्यालय प्रशासन को ज्ञापन देकर जल्द से जल्द फैसला लेने की मांग की गई है.
छात्रों का कहना है कि UGC के नोटिस के आदेशानुसार JNU, DU, BHU, AU , DU और गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय आदि समस्त केंद्रीय विश्वविद्यालय, राज्य विश्वविद्यालयों को संपूर्ण छात्रों के लिए ऑफलाइन कक्षाओं के लिए परिसर खोल दिए गए हैं. समस्त यूनिवर्सिटी में छात्रों के लिए हॉस्टल भी आवंटित कर दिए गए हैं. वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार के आदेशानुसार राज्यविश्वविद्यालय, महाविद्यालय, काॅलेज से लेकर प्राथमिक विद्यालय में फरवरी के प्रथम सप्ताह से ही ऑफलाइन कक्षाएं शुरू कर दी गईं हैं. जबकि बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय को पूरी तरह नहीं खोला गया है.
बता दें, विश्वविद्यालय प्रशासन ने विगत 10 फरवरी को बैठक करके 21 फरवरी से अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए और 2 मार्च को संपूर्ण छात्रों के लिए विश्वविद्यालय परिसर खोलने का फैसला लिया गया था. उसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन अपने फैसले से पलट गया है.
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छात्रों ने लगाए आरोप
- 18 दिन के बावजूद भी विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू प्रोफेसर वीर सिंह भदौरिया की उदासीनता के चलते अभी तक छात्रों के लिए हॉस्टल आवंटन नहीं किए जा सके. डीएसडब्ल्यू की घोर लापरवाही के चलते विश्वविद्यालय का अपना फैसला बदलना पड़ा है. अंतिम वर्ष के छात्रों के अलावा बाकी के छात्रों के लिए 2 मार्च 2022 को संपूर्ण विश्वविद्यालय नहीं खुलेगा.
- इसका सीधा-सीधा खामियाजा व भारी नुकसान समस्त हजारों मासूम छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. क्योंकि सिर्फ और सिर्फ हॉस्टल आवंटन ना होने के कारण विश्वविद्यालय को संपूर्ण छात्रों के लिए खोलने में विलंब किया गया.
- जहां एक तरफ डीएसडब्ल्यू की घोर लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन कुलपति ने डीएसडब्ल्यू पर कार्रवाई करने की बजाय विश्वविद्यालय को विलंब से खोलने पर हजारों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.
- विश्वविद्यालय की प्रवक्ता डॉ. रचना गंगवार ने बताया कि फर्स्ट सेमेस्टर को छोड़कर सभी अन्य की ऑफलाइन कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है. कोविड प्रोटोकॉल और यूजीसी के निर्देशों के हिसाब से छात्रावास के एक कमरे में सिर्फ एक छात्र को रखा जा सकता है. ऐसे में संसाधनों की कमी के चलते प्रथम सेमेस्टर के छात्रों की कक्षाएं ऑनलाइन ही संचालित की जा रही हैं.
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