लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को लेकर पिछले काफी समय से भारतीय जनता पार्टी के अंदर पार्टी विधायकों, नेताओं और कार्यकर्ताओं की तरफ से तमाम तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि सरकार में पार्टी नेताओं और विधायकों की सुनवाई नहीं हो रही है. कोई बात कही जाती है तो उस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. दूसरी तरफ उत्पीड़न की शिकायतें भी पिछले काफी समय से पार्टी नेताओं और विधायकों के स्तर पर उठाई जाती रही हैं.
जब बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर के समर्थन में 170 से अधिक विधायकों ने विधानसभा में विरोध प्रदर्शन किया, तब बीजेपी को होश आया है. वे अब डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं. पार्टी के लोग चिंतित हैं कि यह स्थिति कैसे उत्पन्न हो गई. इसे लेकर लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया.
कहां क्या हुई चूक
अब राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल विधायकों से बात कर रहे हैं. उन्हें समझाने-बुझाने का प्रयास कर रहे हैं. साथ ही इस बात का भी विश्लेषण किया जा रहा है कि कहां चूक हुई, जो इतनी बड़ी स्थिति पैदा हो गई.
संकट मोचक की भूमिका में सुनील बंसल
बीजेपी के प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल संकटमोचक की भूमिका में नजर आए. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ पार्टी के तमाम असंतुष्ट विधायकों के साथ बैठक की. मुख्यमंत्री कार्यालय में पार्टी विधायकों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने बातचीत की और उनकी समस्याएं जानने की कोशिश की.
...तो इस वजह से धरने पर बैठे विधायक
वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की सुनवाई नहीं हो रही है. विधायकों को लग रहा है कि उनकी सुनवाई अपनी ही सरकार में नहीं हो रही है. विधायकों का अपमान हो रहा है और इसी बात को लेकर विधानसभा के सदन में विधायक धरने पर बैठे. उन्होंने उन अधिकारियों को सदन में बुलाने की मांग की.
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'करो या मरो' की स्थिति
उन्होंने कहा कि विधायकों के लिए अब 'करो या मरो' की स्थिति बन चुकी है. एक तरफ विधायक सदन में धरना दे रहे थे. उसी दिन गाजियाबाद प्रशासन की तरफ से संबंधित विधायक की हिस्ट्रीशीट जारी कर दी जाती है. ये अपने आप में चौकाने वाली बात है. भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों को अब इस स्थिति से निपटने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे.
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भारतीय जनता पार्टी के सूत्र बताते हैं कि पार्टी के अंदर असंतोष और नाराजगी पिछले काफी समय से नेताओं और विधायकों के बीच पनप रही थी. अब एक विधायक का उत्पीड़न हुआ. उसके खिलाफ एफआईआर हुई. पार्टी ने भी कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. इसके बाद सभी विधायक एकजुट होकर सदन में धरने पर बैठ गए और अपनी सरकार को घेरने का काम किया. इस स्थिति ने भारतीय जनता पार्टी के अंदर के असंतोष और नाराजगी को उजागर कर दिया.