लखनऊ : छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विनय पाठक (Vice Chancellor Vinay Pathak) की गिरफ्तारी के लिए कमिशनखोरी मामले में यूपी एसटीएफ ने टीमें गठित कर दी हैं. सूत्रों के मुताबिक, एसटीएफ की दो टीम कानपुर व लखनऊ में विनय पाठक और उनके करीबियों के ठिकानों पर नजर बनाए हुए है, हालांकि विनय पाठक हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद से ही अपने सभी फोन नंबर बंद कर फरार हो गए हैं.
यूपी एसटीएफ के अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि विनय पाठक पर कमीशनखोरी के अलावा भी कई घोटाले करने के साक्ष्य मिले हैं. एसटीएफ के मुताबिक, एकेटीयू में फर्जी नियुक्तियों व अन्य विश्वविद्यालयों में टेंडर में विनय पाठक के द्वारा की गई अनियमितता के पर्याप्त सबूत मिले हैं. विनय पाठक की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित की गई है और जल्द ही गिरफ्तारी की जाएगी.
दरअसल, कमीशनखोरी के आरोप में प्रो. विनय कुमार पाठक को गिरफ्तारी करने और एफआईआर दर्ज होने के मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली थी. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विनय पाठक की याचिका को खारिज कर दिया था. मामले की सुनवाई जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस विवेक कुमार सिंह ने की थी. विनय पाठक ने अपनी गिरफ्तारी से राहत पाने के मकसद से हाईकोर्ट में 3 नवंबर को याचिका फाइल किया था.
बता दें लखनऊ के इंदिरानगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाने वाले डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी डेविड एम. डेनिस ने आरोप लगाया था कि उनकी कंपनी साल 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती रही है. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है. साल 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. इस बीच साल 2020 से 2022 तक कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपया बिल बकाया हो गया था. इसी दौरान जनवरी 2022 में अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज प्रो. विनय पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की थी. इस मामले में एसटीएफ ने अभी तक दो आरोपियों अजय मिश्रा, अजय जैन को गिरफ्तार किया है.
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