लखनऊ. छत्रपति शाहू जी महाराज विवि कानपुर के कुलपति डा विनय पाठक के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में जांच कर रही एसटीएफ ने बुधवार को डा. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ (STF questioned officers in AKTU) जाकर जांच शुरू कर दी है. एसटीएफ की एक टीम ने एकेटीयू में कुलपति रहे विनय पाठक के द्वारा निजी कंपनियों को दिए गए ठेके को लेकर यूनिवर्सिटी के कई बड़े अफसरों से बंद कमरे में घंटों पूछताछ की है.
विनय कुमार पाठक अगस्त 2015 को एकेटीयू के तीन वर्ष के लिए कुलपति बने थे और एक बार फिर उन्हें अगस्त 2018 को दोबारा तीन साल के लिए कुलपति बना दिया गया था. इस दौरान एकेटीयू में हुई नियुक्तियों, करोड़ों की योजनाओं व ठेकों पर कई बार सवाल उठे थे. इसी के चलते एसटीएफ ने कुलसचिव, वित्त अधिकारी व कुछ अन्य अधिकारियों से एक-एक कर बंद कमरे में मुलाकात की और प्रो. पाठक के कार्यकाल के दौरान हुई नियुक्तियों, योजनाओं, खरीद आदि की जानकारी ली. एजेंसी दस्तावेज भी अपने साथ ले गई है.
एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक, पाठक के कार्यकाल में राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों के बहुमुखी इंफ्रास्ट्रक्चरल डेवलपमेंट के लिए शुरू की गई 200 करोड़ की दीनदयाल उपाध्याय गुणवत्ता सुधार योजना से हुए काम व किस-किस फर्म को काम दिया गया, किसे कितना भुगतान हुआ, इसके बारे में जानकारी ली. जांच एजेंसी ने प्रो. पाठक के कार्यकाल में किन-किन फर्मों से हुई खरीद, कितनी और क्या-क्या हुई है, उनके कार्यकाल में हुए निर्माण आदि से जुड़ी जानकारी भी ली.
दरअसल, आंबेडकर यूनिवर्सिटी में परीक्षा का काम करने वाली एजेंसी डिजिटेक्स टेक्नोलाॅजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर डेविड मारियो डेनिस ने रविवार को लखनऊ के इंदिरानगर थाने में FIR दर्ज कराई थी. उन्होंने प्रो. विनय पाठक के अलावा XLICT कंपनी के मालिक अजय मिश्रा को भी नामजद किया. आरोप था कि डा भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में कुलपति रहते हुए प्रो. विनय पाठक ने पीड़ित से 15 प्रतिशत कमिशन वसूला था. इस मामले में एसटीएफ अजय मिश्रा को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.
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