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UP STF Good Work : कोऑपरेटिव बैंक से 146 करोड़ रुपये फ्राॅड आरटीजीएस करने वाले तीन साइबर क्रमिनल गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड मुख्यालय लखनऊ का सर्वर हैक करके 146 करोड़ रुपये आरटीजीएस करने वाले तीन साइबर अपराधियों को यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है. तीनों इनामी आरोपियों में एक महिला भी शामिल है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 18, 2023, 9:49 PM IST

लखनऊ : एसटीएफ ने उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड मुख्यालय लखनऊ के सर्वर को हैक कर 146 करोड़ के फ्राड आरटीजीएस करने वाले साइबर अपराधियों के संगठित गिरोह के तीन आरोपी को गिरफ्तार किया है. आरोपियों वकार आलम, वाहिदुर्हमान और महिला अरमाना पर 25 -25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित था. एसटीएफ ने कानपुर, लखनऊ व गोंडा से तीनों को गिरफ्तार किया है. बीते साल 16 अक्टूबर को अजय कुमार त्रिपाठी, सहायक महा प्रबन्धक, कोआपरेटिव बैंक मुख्यालय ने एफआईआर दर्ज कराई थी.

जानकारी के अनुसार आरोपियों ने कोऑपरेटिव बैंक के लखनऊ स्थित मुख्यालय से कर्मचारियों की मिलीभगत से 146 करोड़ रुपये उड़ा दिए थे. यह रकम पूर्व बैंक प्रबंधक आरएस दुबे ने अपने एक साथी की मदद से प्रबंधक व कैशियर की यूजर आईडी व पासवर्ड हासिल कर ट्रांसफर की थी. इस मामले में महाप्रबंधक समेत 10 अफसरों व कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जा चुका है. मुख्य आरोपी आरएस दुबे, सुरक्षा गार्ड शैलेंद्र कुमार को हिरासत में लिया गया है. पूरी रकम को फ्रीज कर दिया गया है.

पुलिस के अनुसार जिला सहकारी बैंकों के 7 खातों से 8 लेन-देन के माध्यम से विकास पाण्डेय, सहायक कैशियर, मेवालाल प्रबन्धक की आईडी से अनाधिकृत तरीके से अन्य बैंक आईसीआईसीआई एवं एचडीएफसी के खातों में 146 करोड़ आरटीजीएस के माध्यम से ट्रान्सफर किए गए थे. इसमें से 72 करोड़ रुपये आईसीआईसीआई और एचडीएफसी बैंक लखनऊ के खातों में आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर किए गए. 16 अक्तूबर को साइबर क्राइम थाने में इस मामले की एफआईआर दर्ज कराई गई. साइबर थाने और साइबर मुख्यालय की टीम की पड़ताल में मामला खुल गया. डीआईजी साइबर क्राइम मुख्यालय एन कोलांची ने बैंक का निरीक्षण कर अफसरों व कर्मचारियों से पूछताछ की. दोपहर बाद कई संदिग्धों और कर्मचारियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई.

महाप्रबंधक ने बताया कि मामले की विभागीय जांच शुरू हो गई है. सुरक्षा एजेंसी मेसर्स स्टैंडर्ड-वे इंटेलीजेंस सिक्योरिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को काली सूची में डालने की कार्रवाई की जा रही है. बैंक की आईटी सेल के प्रभारी अतुल कुमार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि रकम बैंक कर्मचारी विकास पांडेय और प्रबंधक मेवालाल की आईडी से ट्रांसफर किया गया. हालांकि इन लोगों ने इस तरह से पैसे के लेन-देन से इनकार किया है. कोआपरेटिव बैंक से 146 करोड़ रुपये उड़ाने के मामले में विभागीय जांच पूरी हो गई है. कोऑपरेटिव बैंक की जांच कमेटी ने सुरक्षा एजेंसी स्टैंडर्ड वे इंटेलिजेंस सिक्योरिटी सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा. इसकी संस्तुति जांच रिपोर्ट में की गई है.

यह भी पढ़ें : कोऑपरेटिव बैंक से 146 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी, दो आरोपी गिरफ्तार

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लखनऊ : एसटीएफ ने उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड मुख्यालय लखनऊ के सर्वर को हैक कर 146 करोड़ के फ्राड आरटीजीएस करने वाले साइबर अपराधियों के संगठित गिरोह के तीन आरोपी को गिरफ्तार किया है. आरोपियों वकार आलम, वाहिदुर्हमान और महिला अरमाना पर 25 -25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित था. एसटीएफ ने कानपुर, लखनऊ व गोंडा से तीनों को गिरफ्तार किया है. बीते साल 16 अक्टूबर को अजय कुमार त्रिपाठी, सहायक महा प्रबन्धक, कोआपरेटिव बैंक मुख्यालय ने एफआईआर दर्ज कराई थी.

जानकारी के अनुसार आरोपियों ने कोऑपरेटिव बैंक के लखनऊ स्थित मुख्यालय से कर्मचारियों की मिलीभगत से 146 करोड़ रुपये उड़ा दिए थे. यह रकम पूर्व बैंक प्रबंधक आरएस दुबे ने अपने एक साथी की मदद से प्रबंधक व कैशियर की यूजर आईडी व पासवर्ड हासिल कर ट्रांसफर की थी. इस मामले में महाप्रबंधक समेत 10 अफसरों व कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जा चुका है. मुख्य आरोपी आरएस दुबे, सुरक्षा गार्ड शैलेंद्र कुमार को हिरासत में लिया गया है. पूरी रकम को फ्रीज कर दिया गया है.

पुलिस के अनुसार जिला सहकारी बैंकों के 7 खातों से 8 लेन-देन के माध्यम से विकास पाण्डेय, सहायक कैशियर, मेवालाल प्रबन्धक की आईडी से अनाधिकृत तरीके से अन्य बैंक आईसीआईसीआई एवं एचडीएफसी के खातों में 146 करोड़ आरटीजीएस के माध्यम से ट्रान्सफर किए गए थे. इसमें से 72 करोड़ रुपये आईसीआईसीआई और एचडीएफसी बैंक लखनऊ के खातों में आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर किए गए. 16 अक्तूबर को साइबर क्राइम थाने में इस मामले की एफआईआर दर्ज कराई गई. साइबर थाने और साइबर मुख्यालय की टीम की पड़ताल में मामला खुल गया. डीआईजी साइबर क्राइम मुख्यालय एन कोलांची ने बैंक का निरीक्षण कर अफसरों व कर्मचारियों से पूछताछ की. दोपहर बाद कई संदिग्धों और कर्मचारियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई.

महाप्रबंधक ने बताया कि मामले की विभागीय जांच शुरू हो गई है. सुरक्षा एजेंसी मेसर्स स्टैंडर्ड-वे इंटेलीजेंस सिक्योरिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को काली सूची में डालने की कार्रवाई की जा रही है. बैंक की आईटी सेल के प्रभारी अतुल कुमार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि रकम बैंक कर्मचारी विकास पांडेय और प्रबंधक मेवालाल की आईडी से ट्रांसफर किया गया. हालांकि इन लोगों ने इस तरह से पैसे के लेन-देन से इनकार किया है. कोआपरेटिव बैंक से 146 करोड़ रुपये उड़ाने के मामले में विभागीय जांच पूरी हो गई है. कोऑपरेटिव बैंक की जांच कमेटी ने सुरक्षा एजेंसी स्टैंडर्ड वे इंटेलिजेंस सिक्योरिटी सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा. इसकी संस्तुति जांच रिपोर्ट में की गई है.

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