लखनऊ : अल्पसंख्यक कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को निशाने पर लिया है. कांग्रेस ने कहा कि संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राहुल गांधी ने तो मोदी सरकार की सांप्रदायिक नीतियों के खिलाफ भाषण दिया, लेकिन अखिलेश यादव जान-बूझकर संसद से गायब रहे. अखिलेश यादव, मोदी के खिलाफ बोलकर अपने जातिगत वोटर्स को नाराज़ नहीं करना चाहते थे.
अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अखिलेश यादव के जातिगत वोटर्स जो सिर्फ़ पांच प्रतिशत हैं, उनका बड़ा हिस्सा 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों और 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा छोड़ कर भाग गया था. ढाई प्रतिशत सजातीय वोट अखिलेश यादव के पास बचा है. वो मुसलमानों को पसंद नहीं करता. इसीलिए इस सजातीय वोटर के दबाव में अखिलेश यादव ने मुस्लिम प्रत्याशी कम उतारे. यहां तक कि मुसलमानों को टिकट देने के बाद भी उनका टिकट काट कर अपनी जाति के प्रत्याशी को दे दिया.
शाहनवाज आलम ने कहा कि मुसलमान अब समझ चुका है कि ढाई फीसदी वोटों के नेता के पीछे अपनी 20 फीसदी आबादी को लगाना घाटे का सौदा है. इसीलिए मुसलमान अब कांग्रेस के साथ आ रहा है. शाहनवाज ने कहा कि अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह यादव के नक्शेकदम पर चलते हुए संसद में कभी भी मोदी के खिलाफ नहीं बोलते, क्योंकि उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने संसद में ही मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने की कामना की थी.
दावा करते हुए उन्होंने कहा कि मुसलमान इस चुनाव में फिर से अपने पुराने घर कांग्रेस में वापसी कर रहा है. मुसलमानों का कांग्रेस के साथ आने से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन बहुत बेहतर होगा.
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