लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को एक अलग बाजार और सर्टिफिकेट दिया जाएगा. कृषि विभाग के जरिए सुनिश्चित किया जाएगा कि अगर नुकसान होगा तो सरकार आपके साथ खड़ी होगी. उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती में जहां एक एकड़ का खर्च 15 हजार रुपये है वह घटकर एक हजार रुपए हो जाएगा. शनिवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित राज्य स्तरीय गो-आधारित प्राकृतिक खेती की कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि सीएम योगी ने यह बयान दिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वास्तव में यह कार्यक्रम भारत की आस्था को बचाने का कार्यक्रम है. भारत एक कृषि प्रधान देश है. भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार भारतीय गोवंश रहा है. आधुनिक तकनीकी के आने से पहले पुरातन पद्धति बेहतर थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि जब देश गुलामी की ओर गया तो भारत की खेती पर भी प्रहार हुआ. वहीं से पराभाव भी हुआ. उन्होंने कहा कि मेरे पास जनता दर्शन में गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए आर्थिक मदद मांगी जाती है. कहीं न कहीं इन बीमारियों के पीछे खान-पान शामिल है. यह हम सबकी चिंता का विषय है. आज हम खाद्यन्न में आत्मनिर्भर हुए मगर बीमारियां भी मिलीं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोवंश को बचाना है और गो-आधारित खेती हमको बचाएगा. यह वर्तमान और भविष्य को बचाने का संकल्प है. प्रधानमंत्री ने 2021 में यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी में इसको शुरू किया था. हमने बुंदेलखंड में काम शुरू किया था. शुरुआत में 27 जिलों में करीब 63 हजार हेक्टेयर भूमि को इसके लिए चुना है. अब यह एक लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है. अब बेहतर मार्केट उपलब्ध कराएं जाएंगे. आस्था के साथ साथ धरती को बचाना है और युवाओं को बीमारियों से बचाना है.
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गुजरात के राजयपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि मुझे खुशी है कि उत्तर प्रदेश में इस तरह के कार्यक्रम हुए हैं. रासायनिक खेती की जगह प्राकृतिक खेती पर काम करना है. यूपी में इस पर बहुत काम हुआ है. यह जो अत्यधिक बारिश हुई है वह सब ग्लोबल वार्मिंग के संकेत हैं. बाढ़, सूखा और बर्फबारी की अति बता रही है कि प्रकृति से बहुत छेड़छाड़ की गई है. मगर अब प्राकृतिक खेती हमको बचाएगी. देसी गाय अब सड़कों पर नहीं रहेगी. यह सारा मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देन है. हमें जहरीली मिट्टी से बचना होगा. इस कार्यक्रम को चलना है.
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि 68 फीसदी लोगों की आजीविका कृषि पर आधारित है. कृषि क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है. प्राकृतिक खेती छोड़ने के नुकसान हुए हैं. लेकिन अब नई तकनीक की प्राकृतिक कृषि बहुत बदलाव लाएगी. बुंदेलखंड में प्राकृतिक खेती के 23 हजार क्लस्टर बनाए गए हैं. 85,710 हेक्टेयर गो-आधारित खेती की जा रही है. 10 हजार से ज्यादा किसान गो-आधारित प्राकृतिक खेती पर काम कर रहे हैं. 89 कृषि विज्ञान केंद्रों पर भी यह काम किया जा रहा है. इसके लिए सतत प्रशिक्षण का काम चल रहा है.
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