लखनऊ : रजिस्ट्री विभाग में उर्दू-फारसी भाषा की अनिवार्यता समाप्त करने के लिए स्टांप एवं पंजीयन विभाग के स्तर पर कैबिनेट से फैसला कराया जाएगा. सब रजिस्ट्रार के लिए उर्दू और फारसी भाषा की परीक्षा पास करनी अनिवार्य होती है और रजिस्ट्री में उर्दू फारसी के शब्दों का उपयोग होता है. अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है यह कानून अब भी स्टांप एवं पंजीयन विभाग में चल रहा है. जिसे अब योगी आदित्यनाथ सरकार समाप्त करने की तैयारी कर रही है. रजिस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले कठिन शब्दों की जगह आसान शब्द लिखे जाने की व्यवस्था शुरू हो सकेगी. इससे लाखों लोगों को राहत मिलेगी. साथ ही अंग्रेजों के समय के कानून को भी समाप्त किया जा सकेगा.
![रजिस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले कठिन शब्द.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11-12-2023/20237043_registr1.jpg)
दरअसल स्टांप एवं पंजीयन विभाग वर्ष 1908 में बने रजिस्ट्रेशन एक्ट के अधीन चलता है. अंग्रेजों के जमाने का यह कानून आज भी चल रहा है. उस समय हिंदी के साथ साथ उर्दू-फारसी भाषा भी बोलचाल का हिस्सा थी. जिसको देखते हुए अंग्रेजों ने उर्दू फारसी को सरकारी दस्तावेजों में बढ़ावा देने के लिए रजिस्ट्री विभाग में इसके उपयोग करने की शुरुआत की थी. तब से रजिस्ट्री की भाषा में उर्दू-फारसी शब्दों का इस्तेमाल लगातार हो रहा है. लोक सेवा आयोग से चयनित अधिकारियों को सब रजिस्ट्रार पद पर तैनाती से पहले उर्दू इमला की परीक्षा पास करनी अनिवार्य है. इसमें उर्दू के शब्दों को सही तरह से अनुवाद, सही व्याकरण के साथ लिखना व समझाना होता है.
स्टाम्प एवं पंजीयन विभाग के शासन में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विभाग में करीब 115 वर्ष पुराने नियम के अनुसार ही कामकाज हो रहा है. इससे तमाम तरह की परेशानी भी हो रही है. फिलहाल विसंगति है कि रजिस्ट्री विभाग में उर्दू फारसी की कठिन और जटिल भाषानक अंतर्गत रजिस्ट्री स्वामित्व को लेकर विभाग में तैनात होने वाले अधिकारियों को इस भाषा की परीक्षा भी पास करनी पड़ती है. इस विसंगति को दूर करने के बारे में निर्णय लिया गया है. उर्दू-फ़ारसी की कठिन भाषा के स्थान पर हिन्दी की आसान भाषा का उपयोग किया जाएगा.
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