लखनऊः यूपी का खेल विभाग इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश की अवहेलना कर रहा है. अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि खेल विभाग द्वारा नौकरी से निकाले गए 450 प्रशिक्षकों को दोबारा से नौकरी में रखा जाए और उनके मानदेय का भुगतान किया जाए. इस मामले में जब डायरेक्टर आर पी सिंह से बात करनी चाही तो उन्होंने बात का जवाब नहीं दिया.
कोच एसोसिएशन के सचिव विकास यादव ने बताया कि बीते साल मार्च महीने में नौकरी से निकालने से सैकड़ों प्रशिक्षक महीनों से बेरोजगार है. जिसकी वजह से उनकी आर्थिक परिस्थितियां काफी बुरी हो चुकी हैं. लंबे संघर्ष और भागमभाग के बाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद उनमें नौकरी मिलने की आस जगी थी, मगर खेल विभाग हाईकोर्ट के आदेश को मानने को तैयार नहीं है. जिसकी वजह से प्रशिक्षकों को काफी समस्याएं उठानी पड़ रही हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों से लक्ष्मण अवार्ड से सम्मानित किए गए शनीस मणि मिश्रा ने बताया कि बीते कई महीनों से नौकरी नहीं होने से उनके सामने तमाम आर्थिक परेशानियां है. उन्होंने बताया कि अनलॉक एक के बाद भी री-ज्वानिंग नहीं दी गई. अपनी इस समस्या को लेकर उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, खेल मंत्री और कई कैबिनेट मंत्री से भी गुहार लगाई है. उन्होंने बताया कि नौकरी से निकाले जाने के बाद उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या द्वारा उन्हें ₹51,000 की आर्थिक मदद दी गई थी. मगर अभी तक नौकरी न मिल पाने से हालात काफी खराब हो चुके हैं.
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कई हफ्ता बीत जाने के बाद भी उत्तर प्रदेश का खेल विभाग हाईकोर्ट के आदेश की लगातार अवहेलना कर रहा है. खेल विभाग की तरफ से बीते साल मार्च महीने में उत्तर प्रदेश के कई शहरों के खेल स्टेडियम के संविदा पर काम करने वाले प्रशिक्षकों को हटा दिया गया था. जिसके बाद लखनऊ हाईकोर्ट में एसोसिएशन द्वारा रिट दाखिल की गई थी. जिस पर संज्ञान लेते हुए लखनऊ हाईकोर्ट ने सभी प्रशिक्षकों को पुनः री-ज्वाइनिंग कराने और उनका बकाया भुगतान अदा करने के लिए यूपी के खेल विभाग को आदेश दिए थे. मगर कई हफ्ता बीत जाने के बाद भी खेल विभाग की तरफ से हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया. इस मामले में जब खेल डायरेक्टर आरपी सिंह से बात करनी चाहिए थी उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की.