लखनऊ: राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने सरकार की तरफ से सितंबर में आयोजित होने वाली जेईई व नीट की मेन परीक्षाओं के सम्बन्ध में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी और लगभग एक तिहाई प्रदेश में फैली बाढ़ विभीषिका को देखते हुए इन परीक्षाओं का आयोजन किसी भी दशा में छात्रों और समाज के हित में नहीं है. इसे स्थगित करके सरकार को संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए, क्योंकि लाखों परीक्षार्थियों के आवागमन से महामारी संक्रमण का खतरा है.
रालोद प्रवक्ता अनिल दुबे के मुताबिक, दोनों परीक्षाओं में लगभग 23 लाख परीक्षार्थी हैं और सभी के पास आवागमन के निजी संसाधन नहीं हैं. लगभग 66 जनपदों में परीक्षा केन्द्र बनाये गए हैं. ऐसी स्थिति में छात्रों को 150 से 200 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ सकती है. सभी शहरों में टैक्सियों की भी व्यवस्था नहीं है. इसलिए कोरोना के साथ-साथ आर्थिक तंगी झेल रहे गरीब छात्रों पर आर्थिक बोझ के साथ महामारी संक्रमण का खतरा और अधिक बढ़ जाता है. क्योंकि सोशल डिस्टेंसिंग के अतिरिक्त सैनिटाइजेशन का पूरी तरह अभाव रहेगा. उन्होंने कहा कि केवल इतना ही नहीं बल्कि बहुत से छात्र कोरोना के कॉन्टेनमेन्ट जोन से भी हो सकते हैं, जिनके लिए परीक्षा देना मजबूरी बन जायेगा.
रालोद प्रवक्ता ने कहा कि यह सरकार की हठधर्मिता ही कही जाएगी क्योंकि प्रदेश की परिस्थितियों के साथ-साथ उसके द्वारा जनहित की भी अनदेखी की जा रही है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि इन परीक्षाओं को तत्काल स्थगित करके लाखों छात्रों की ऊहापोह की स्थिति को समाप्त किया जाए. बता दें कि राष्ट्रीय लोकदल के अलावा प्रदेश के ज्यादातर राजनीतिक दल इस परीक्षा को लेकर लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि कोरोना के कारण इस परीक्षा को निरस्त किया जाए. हालांकि अभी तक सरकार ने इस पर कोई भी फैसला नहीं लिया है. राजधानी लखनऊ सहित पूरे उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो कोरोना के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. हर रोज हजारों की संख्या में नए मरीज सामने आ रहे हैं।