लखनऊ: रेलवे में टीसी की नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले उत्कर्ष को स्पेशल टास्क फोर्स (Special Task Force) ने दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया है. मूल रूप से लखनऊ के मलिहाबाद का रहने वाला ठग उत्कर्ष फर्जी नियुक्ति पत्र देकर ठगी करता था. एसटीएफ ने उत्कर्ष को दिल्ली के तिलकनगर से गिरफ्तार किया है.
एसटीएफ के मुताबिक गिरफ्तार हुआ उत्कर्ष अपने शिकार को खुद दिल्ली में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन व महाप्रबंधक का करीबी बताया करता था. साथ ही अधिकारियों के स्पेशल कोटे से रेलवे में ग्रुप सी की नौकरी दिलाने की बात बताकर उन्हें फंसाता था. आरोपी ने लखनऊ के टूरिस्ट सर्विस का काम करने वाले सौरभ और उसके भाई अभिषेक सिंह को रेलवे में टीसी के पद पर स्पेशल कोटे से नौकरी दिलाने का वादा कर 25 लाख रुपये ठग उत्कर्ष और उसके एक अन्य साथी कौशल सिंह के खातों में जमा कराया था.
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दिया था रेलवे का फर्जी ज्वाइनिंग लेटर
गिरफ्तार हुए उत्कर्ष ने पीड़ित सौरभ और उसके भाई को नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे लखनऊ में ग्रुप सी में टीसी पद का ज्वाइनिंग लेटर व परिचय पत्र भी दिया था. इसके साथ ही उसने इसकी ट्रेनिंग लखनऊ में होने की बात कही थी. जॉइनिंग लेटर और परिचय पत्र की मूल कॉपी वापस लेकर पोस्ट के माध्यम से भेजने की बात कह उसकी फोटो कॉपी पीड़ित सौरभ और अभिषेक को दे दी थी.
ज्वाइनिंग लेटर नहीं आया तो शिकायत करने रेलवे पहुंचे पीड़ित
पीड़ित अभिषेक और सौरभ को कई दिन बीत जाने के बाद भी ज्वाइनिंग लेटर पोस्ट के माध्यम से नहीं मिला तो दोनों को रेलवे लखनऊ से पता करने पर पता चला कि ग्रुप सी में कोई नियुक्ति नहीं हुई है और न ही कोई ट्रेनिंग होनी है. जिसके बाद ठग उत्कर्ष से पैसे वापस मांगने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी जाने लगी. ठग की एफआईआर दोनों ने थाना चिनहट में दर्ज करवाई है.
बेरोजगारों को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगता है गिरोह
गिरफ्तार होने के बाद उत्कर्ष ने एसटीएफ को बताया कि उसके गिरोह में उसके अलावा ऋतु कौर और कौशल सिंह यादव काम करते हैं, जो सरकारी विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगारों से मोटी रकम लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र थमा देते हैं. ठगे हुए पैसों को आपस में बांट कर ऐशो आराम की जिंदगी जीते हैं.
इतना ही नहीं गिरफ्तार हुए उत्कर्ष के खिलाफ लखनऊ के मलिहाबाद और विकासनगर थाने में कई मुकदमे दर्ज है. मुकदमा दर्ज होने के बाद भी बेखौफ होकर वो ठगी कर रहा था. पैसा खत्म होने के बाद वे फिर से नई शिकार की तलाश में जुट जाते हैं अगर किसी मामलें में एफआईआर दर्ज होती थी तो वे बचने में कामयाब हो जाते थे.
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