लखनऊः पॉक्सो के विशेष जज महेश चन्द्र वर्मा ने पीड़ित द्वारा गैंगरेप का बयान दर्ज कराने के बाद भी सिर्फ एक ही अभियुक्त के खिलाफ पॉक्सो की अपेक्षाकृत हल्की धाराओं में चार्जशीट दाखिल करने पर कड़ा रवैया अपनाया है. कोर्ट ने इस मामले के विवेचक उप-निरीक्षक प्रेम प्रकाश और थाना चिनहट के तत्कालीन निरीक्षक मनोज कुमार सिंह के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया है.
कोर्ट ने इस सदंर्भ में प्रदेश के डीजीपी को पत्र भी जारी किया है. कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अवैधानिक कृत्यों के लिए विवेचकों के खिलाफ कार्रवाई कर उसकी रिपोर्ट एक महीने में प्रेषित की जाए. कोर्ट ने इसके साथ ही अभियुक्त वाल्टर की जमानत अर्जी भी खारिज कर दी है. अदालत के समक्ष अभियोजन की ओर से अभियुक्त वाल्टर की जमानत अर्जी का विरोध किया गया.
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विशेष लोक अभियोजक अशोक श्रीवास्तव का कहना था कि इस मामले की एफआईआर थाना चिनहट में नाबालिग पीड़ित के पिता ने दर्ज कराई थी. उन्होंने जमानत अर्जी पर बहस के दौरान अदालत को इस तथ्य से अवगत कराया कि इस मामले में पीड़ित ने अभियुक्त और उसके साथियों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत अपना बयान दर्ज कराया था. लेकिन अभियुक्तों को बचाने के इरादे से जान-बूझकर उसका फिर से बयान दर्ज कराया गया. फिर इसी आधार पर पॉक्सो की कम दंडनीय धाराओं में सिर्फ एक अभियुक्त वाल्टर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दिया गया.
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