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सपा के वरिष्ठ नेता का सुझाव माना गया तो खतरे में आ जाएगा अखिलेश का राजनीतिक करियर - sp leader narendra verma wrote letter to pm modi

उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति को लेकर राजनीतिक मुद्दा गरम है. हालांकि कोई भी पार्टी इसके विरोध में भी खुलकर नहीं बोल रही है. समाजवादी पार्टी की बात की जाए तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखे हैं. लेकिन सपा के वरिष्ठ नेता व विधानसभा में मुख्य सचेतक नरेंद्र कुमार वर्मा ने जो पीएम मोदी को पत्र लिखकर, जनसंख्या नीति में कुछ महत्वपूर्ण सुझावों को जोड़ने की बात की है, अगर उन सुझावों को शामिल कर लिया जाता है, तो सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव का राजनीतिक करियर ही दांव पर लग जाएगा. स्पेशल रिपोर्ट में आगे पढ़िए, सपा नेता द्वारा पीएम मोदी को लिखे पत्र में दिए गए वो सुझाव...

अखिलेश व नरेंद्र सिंह वर्मा
अखिलेश व नरेंद्र सिंह वर्मा
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Published : Jul 22, 2021, 4:10 PM IST

Updated : Jul 22, 2021, 4:31 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बड़ा कदम उठाया और जनसंख्या नीति का मसौदा जारी किया था. इस जनसंख्या नीति को लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुप्पी साध रखी है, जिसके अपने राजनीतिक मायने हैं. इसे लोग समाजवादी पार्टी के वोटबैंक से जोड़कर देख रहे हैं।

सपा नेता नरेंद्र वर्मा ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखा है पत्र

समाजवादी पार्टी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे और वरिष्ठ नेता विधानसभा में मुख्य सचेतक नरेंद्र कुमार वर्मा ने जनसंख्या नीति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजा है. इसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं. इनमें से एक महत्वपूर्ण सुझाव यह है कि जिनके भी दो से अधिक संतान हैं, उन्हें विधानसभा या लोकसभा के चुनावी राजनीति से दूर किया जाए.

स्पेशल स्टोरी

सुझाव माना गया तो राजनीतिक करियर होगा दांव पर

ऐसे में समाजवादी पार्टी के अंदर से ही इस प्रकार की बात निकल रही है तो तमाम तरह के सवाल भी उठ रहे हैं. भले अखिलेश यादव जनसंख्या नीति को लेकर कुछ ना बोल रहे हों, लेकिन उनकी पार्टी के अंदर से इस प्रकार के सुझाव आ रहे हैं और सपा के वरिष्ठ नेता नरेंद्र वर्मा ने जो सुझाव दिया है, उस पर अमल किया जाता है, तो समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव का ही राजनीतिक कैरियर दांव पर नजर आएगा.

अखिलेश यादव की हैं तीन संतान, दो बेटी एक बेटा

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के तीन संतान हैं. उनकी दो बेटियां व एक बेटा है. जिनके नाम अदिति, टीना व अर्जुन हैं. ऐसे में जो दो से अधिक संतान होने पर चुनावी राजनीति से दूर होने या अन्य तमाम तरह की सुविधाओं से वंचित करने की बात है, तो इसके दायरे में अखिलेश यादव भी आएंगे. राजनीतिक विश्लेषक इस घटनाक्रम को राष्ट्रीय हित का विमर्श बताते हैं और कहते कि समाजवादी पार्टी के नेता ने हिम्मतवाला काम किया है और इसकी सराहना होनी चाहिए. जनसंख्या नियंत्रण एक बड़ी समस्या है. इस पर समाजवादी पार्टी के नेता ने इस प्रकार की बात कही है तो इसका स्वागत होना चाहिए.

सपा नेता के ये हैं सुझाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता वह विधानसभा में मुख्य सचेतक नरेंद्र सिंह वर्मा ने जो पत्र लिखा है, उसमें इस प्रकार के सुझाव शामिल हैं. उन्होंने लिखा है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण के लिए जो जनसंख्या नीति कानून लाया जा रहा है इस कानून में निम्न बिंदुओं को भी शामिल किया जाए, ताकि जनसंख्या वृद्धि पर रोक और भी प्रभावशाली हो सके.

  • जिन माता पिता को दो से ज्यादा संतानें हैं उन्हें लोकसभा व विधानसभा चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए.
  • राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल, उप राज्यपाल व विभिन्न आयोगों एवं परिषदों में अध्यक्ष व सदस्य नियुक्त न किया जाए.
  • राज्य सभा, विधान परिषद और इस तरह की अन्य संस्थाओं में निर्वाचित और मनोनीत होने से भी रोका जाना चाहिए.
  • ऐसे लोग राजनीतिक दल ना बना सके या पार्टी पदाधिकारी ना बन सके. ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए.
  • ज्यादा बच्चों वाले परिवार कोई संस्था एनजीओ यूनियन या कोऑपरेटिव सोसाइटी नहीं बना सकें, ऐसी भी व्यवस्था होनी चाहिए.
  • 2 से अधिक बच्चों के माता-पिता को ठेका, राशन की दुकान, शस्त्र विभिन्न विभागों में निर्माण कार्य के लिए लाइसेंस नहीं दिया जाना चाहिए.
  • ऐसे लोगों को व्यापारिक औद्योगिक एवं कंपनियों में लाइसेंस नहीं दिया जाना चाहिए.
  • धार्मिक यात्राओं पर मिलने वाली छूट न दी जाए.

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक-

राजनीतिक विश्लेषक डॉ दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि जनसंख्या नियंत्रण एक राष्ट्रीय विमर्श का विषय है. समाजवादी पार्टी के नेता ने एक सराहनीय कदम उठाते हुए एक अच्छा और राष्ट्रहित वाला सुझाव दिया है. जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जो राज्य सरकार द्वारा मसौदा पेश किया गया है, उसको लेकर अखिलेश यादव चुप हैं. कुछ कारणों से खासकर वोट बैंक की वजह से वह इस पर नहीं बोल पा रहे हैं. समाजवादी पार्टी के नेता ने जो सुझाव दिया है उसका स्वागत होना चाहिए. यह राष्ट्रीय हित में है और इसे जरूर लागू किया जाना चाहिए. सभी राजनीतिक दलों को आगे आकर इसका समर्थन करना चाहिए. इस प्रकार के सुझाव को अमल पर लाया जाता है तो स्वाभाविक सी बात है कि लोगों को कठिनाई होंगी, लेकिन सिर्फ अपनी कठिनाई को दरकिनार कर समाज और राष्ट्र हित में ऐसे फैसलों का ऐसी नीतियों का स्वागत करना चाहिए.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बड़ा कदम उठाया और जनसंख्या नीति का मसौदा जारी किया था. इस जनसंख्या नीति को लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुप्पी साध रखी है, जिसके अपने राजनीतिक मायने हैं. इसे लोग समाजवादी पार्टी के वोटबैंक से जोड़कर देख रहे हैं।

सपा नेता नरेंद्र वर्मा ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखा है पत्र

समाजवादी पार्टी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे और वरिष्ठ नेता विधानसभा में मुख्य सचेतक नरेंद्र कुमार वर्मा ने जनसंख्या नीति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजा है. इसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं. इनमें से एक महत्वपूर्ण सुझाव यह है कि जिनके भी दो से अधिक संतान हैं, उन्हें विधानसभा या लोकसभा के चुनावी राजनीति से दूर किया जाए.

स्पेशल स्टोरी

सुझाव माना गया तो राजनीतिक करियर होगा दांव पर

ऐसे में समाजवादी पार्टी के अंदर से ही इस प्रकार की बात निकल रही है तो तमाम तरह के सवाल भी उठ रहे हैं. भले अखिलेश यादव जनसंख्या नीति को लेकर कुछ ना बोल रहे हों, लेकिन उनकी पार्टी के अंदर से इस प्रकार के सुझाव आ रहे हैं और सपा के वरिष्ठ नेता नरेंद्र वर्मा ने जो सुझाव दिया है, उस पर अमल किया जाता है, तो समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव का ही राजनीतिक कैरियर दांव पर नजर आएगा.

अखिलेश यादव की हैं तीन संतान, दो बेटी एक बेटा

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के तीन संतान हैं. उनकी दो बेटियां व एक बेटा है. जिनके नाम अदिति, टीना व अर्जुन हैं. ऐसे में जो दो से अधिक संतान होने पर चुनावी राजनीति से दूर होने या अन्य तमाम तरह की सुविधाओं से वंचित करने की बात है, तो इसके दायरे में अखिलेश यादव भी आएंगे. राजनीतिक विश्लेषक इस घटनाक्रम को राष्ट्रीय हित का विमर्श बताते हैं और कहते कि समाजवादी पार्टी के नेता ने हिम्मतवाला काम किया है और इसकी सराहना होनी चाहिए. जनसंख्या नियंत्रण एक बड़ी समस्या है. इस पर समाजवादी पार्टी के नेता ने इस प्रकार की बात कही है तो इसका स्वागत होना चाहिए.

सपा नेता के ये हैं सुझाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता वह विधानसभा में मुख्य सचेतक नरेंद्र सिंह वर्मा ने जो पत्र लिखा है, उसमें इस प्रकार के सुझाव शामिल हैं. उन्होंने लिखा है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण के लिए जो जनसंख्या नीति कानून लाया जा रहा है इस कानून में निम्न बिंदुओं को भी शामिल किया जाए, ताकि जनसंख्या वृद्धि पर रोक और भी प्रभावशाली हो सके.

  • जिन माता पिता को दो से ज्यादा संतानें हैं उन्हें लोकसभा व विधानसभा चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए.
  • राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल, उप राज्यपाल व विभिन्न आयोगों एवं परिषदों में अध्यक्ष व सदस्य नियुक्त न किया जाए.
  • राज्य सभा, विधान परिषद और इस तरह की अन्य संस्थाओं में निर्वाचित और मनोनीत होने से भी रोका जाना चाहिए.
  • ऐसे लोग राजनीतिक दल ना बना सके या पार्टी पदाधिकारी ना बन सके. ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए.
  • ज्यादा बच्चों वाले परिवार कोई संस्था एनजीओ यूनियन या कोऑपरेटिव सोसाइटी नहीं बना सकें, ऐसी भी व्यवस्था होनी चाहिए.
  • 2 से अधिक बच्चों के माता-पिता को ठेका, राशन की दुकान, शस्त्र विभिन्न विभागों में निर्माण कार्य के लिए लाइसेंस नहीं दिया जाना चाहिए.
  • ऐसे लोगों को व्यापारिक औद्योगिक एवं कंपनियों में लाइसेंस नहीं दिया जाना चाहिए.
  • धार्मिक यात्राओं पर मिलने वाली छूट न दी जाए.

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक-

राजनीतिक विश्लेषक डॉ दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि जनसंख्या नियंत्रण एक राष्ट्रीय विमर्श का विषय है. समाजवादी पार्टी के नेता ने एक सराहनीय कदम उठाते हुए एक अच्छा और राष्ट्रहित वाला सुझाव दिया है. जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जो राज्य सरकार द्वारा मसौदा पेश किया गया है, उसको लेकर अखिलेश यादव चुप हैं. कुछ कारणों से खासकर वोट बैंक की वजह से वह इस पर नहीं बोल पा रहे हैं. समाजवादी पार्टी के नेता ने जो सुझाव दिया है उसका स्वागत होना चाहिए. यह राष्ट्रीय हित में है और इसे जरूर लागू किया जाना चाहिए. सभी राजनीतिक दलों को आगे आकर इसका समर्थन करना चाहिए. इस प्रकार के सुझाव को अमल पर लाया जाता है तो स्वाभाविक सी बात है कि लोगों को कठिनाई होंगी, लेकिन सिर्फ अपनी कठिनाई को दरकिनार कर समाज और राष्ट्र हित में ऐसे फैसलों का ऐसी नीतियों का स्वागत करना चाहिए.

Last Updated : Jul 22, 2021, 4:31 PM IST
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