लखनऊ : अयोध्या आंदोलन के दौरान राम भक्तों पर गोली चलवाई जाने के कारण सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव (SP founder Mulayam Singh Yadav) को तमाम लोग हिंदू विरोधी और मुल्ला मुलायम तक कहते रहे. हालांकि यह तथ्य कम लोग ही जानते हैं कि मुलायम सिंह यादव बचपन से भगवान हनुमान के अनन्य भक्त थे. स्कूली शिक्षा के दौरान वह भगवान हनुमान की पूजा किया करते थे और अपनी माता से पैसे मांगकर बजरंगबली का प्रसाद चढ़ाते थे. मुलायम सिंह यादव के निकट रहे लोग बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही हनुमान चालीसा कंठस्थ थी.
सैफई मेला प्रबंध समिति के कार्यकारी प्रबंधक वेदव्रत गुप्ता बताते हैं कि एक बार समाजवादी नेता राज नारायण ने उनसे हनुमान चालीसा सुनाने को कहा. इस पर मुलायम सिंह यादव ने उन्हें झट से पूरी हनुमान चालीसा सुना दी. इस घटना से राज नारायन बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने मुलायम सिंह की पीठ थपथपाई. दोनों ही नेता समाजवादी थे. राज नारायण का तो हनुमान प्रेम और उनकी हर सफलता में हनुमान चालीसा के चर्चे अक्सर होते थे, लेकिन मुलायम सिंह यादव को बाबरी ध्वंस को लेकर सदैव राम विरोधी ठहराया जाता रहा.
वेदव्रत गुप्ता बताते हैं कि मुलायम सिंह को बचपन से ही पहलवानी का शौक था. वह अखाड़ों में उतरने से पहले मिट्टी को नमन कर जय बजरंगबली बोलते और प्रतिद्वंदी को पछाड़ देते थे. नेता जी के बाल सखा रहे प्रधान दर्शन सिंह ने एक बार बताया भी था कि वह और नेता जी अक्सर पिलुआ वाले भगवान हनुमान के दर्शनों को बुढ़वा मंगल को जाया करते थे.
वेदव्रत गुप्ता बताते हैं कि 1996 में जब सैफई में मेला लगना शुरू हुआ तो पहली बार नेता जी को बुलाया ही नहीं गया था. दूसरे वर्ष यह मेला लगा और मुलायम सिंह को उनके भतीजे स्वर्गीय रणवीर सिंह आमंत्रित करने गए, तो उन्होंने कहा था कि 'मैं उद्घाटन करने तभी आऊंगा, जब सैफई मेले की शुरुआत भगवान हनुमान की पूजा और हवन से की जाए'. आयोजकों ने तब 1997 में सबसे पहले भगवान हनुमान की मिट्टी की मूर्ति मंगाई, जिसके बाद पूजन करके ही मुलायम सिंह ने सैफई मेले का शुभारंभ किया था. वह बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव ने जब सिविल लाइन स्थित अपने नए घर का ग्रह प्रवेश किया था, तो घर में सबसे पहले बजरंगबली की एक प्रतिमा स्थापित कराई थी, जिसके दर्शन करके ही वह प्रायः अपने दौरों पर जाते थे. जो लोग नेता जी के दिल्ली आवास पर कभी गए हैं उन्होंने भी देखा होगा कि प्रवेश द्वार के रिसेप्शन के पास ही भगवान हनुमान की 7-8 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा उन्होंने विराजित कराई हुई थी.
मुलायम सिंह यादव के बेहद करीब रहे वेदव्रत गुप्ता बताते हैं कि सैफई महोत्सव में लगने वाली मूर्ति मिट्टी की होती थी, जिसका बाद में विसर्जन करना पड़ता था. वह कहते हैं कि एक बार नेता जी ने कहा कि बजरंगबली की मूर्ति का विसर्जन करना ठीक नहीं है, क्यों न एक भव्य और स्थाई मूर्ति लगवाई जाए. इसके बाद 2016 में मुलायम सिंह की इच्छा को पूरा करने के लिए ही करीब 70 फीट ऊंची बजरंगबली की एक विशाल मूर्ति सैफई महोत्सव मेला मैदान में लगवाई गई थी. अष्टधातु की इस मूर्ति का निर्माण कर्नाटक में कराया गया है.
वेदव्रत गुप्ता बताते हैं कि मूर्ति 38 फीट ऊंची है, जिले 18 फीट और 14 फीट के स्टैंड पर रखा गया है. इस तरह मूर्ति की पूरी लंबाई 70 फीट के आस-पास है. मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा नेता जी ने बनारस के विद्वान आचार्यों से कराई थी. मुलायम सिंह यादव जब भी सैफई आते थे, इस मूर्ति के रखरखाव और पूजन की व्यवस्थाओं के बारे में अवश्य जानकारी लेते थे. वह बताते हैं कि बाद में अखिलेश यादव ने इस मूर्ति के चारों ओर भव्य परकोटा बनवाया. आज इस हनुमान प्रतिमा पर आकर लोग मनौतियां मांगते हैं.
यह भी पढ़ें : ग़ैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे का काम पूरा, जानिए क्या होगा अगला कदम
वेदव्रत गुप्ता बताते हैं कि इस मूर्ति के करीब ही मुलायम सिंह की अंत्येष्टि की गई है. कुछ समय बाद मूर्ति के निकट ही मुलायम सिंह का स्मृति स्थल बनवाने की योजना है. अभी तो सारे परिवारीजन दु:ख की इस घड़ी से उबर रहे हैं. जब सब चीजें अच्छी होंगी तब इस पर चर्चा कर कोई निर्णय किया जाएगा.