लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने बयानों और कामकाज से अक्सर खुद ही घिर जाते हैं. उनकी कार्यशाली को लेकर न सिर्फ समाजवादी पार्टी, बल्कि राजनीतिक क्षेत्र में भी तमाम तरह के सवाल खड़े होते हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ डॉ. अशोक यादव ने ईटीवी भारत से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव की भाषा अच्छी नहीं है. कभी नेताओं पर तो कभी मीडियाकर्मियों को लेकर वह ऐसे बयान देते रहते हैं, जिससे उन्हें सियासी नुकसान होता है. अखिलेश यादव की छवी नकारात्मक बन रही है.
अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं अखिलेश यादव: राजनीतिक विशेषज्ञ डॉ. अशोक यादव ने बताया कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की बातें हमेशा मीडिया और सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बनी रहती हैं. अखिलेश यादव कोई विशेष उपलब्धियों के लिए चर्चा में नहीं रहते हैं. बल्कि, अपनी अभद्र भाषा और राजनेताओं के साथ गलत तरीके से बात करने को लेकर हमेशा मीडिया और सोशल मीडिया और विरोधी पार्टियों के निशाने पर रहते हैं.
इसे भी पढ़े-अखिलेश यादव बोले, लोकसभा चुनाव 2024 में PDA जीतेगा एनडीए हारेगा, भाजपा बंद करे भेदभाव की राजनीति
कई बार दे चुके हैं विवादित बयान: डॉ. अशोक यादव ने बताया कि 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने कई ऐसे बयान दिए हैं, जिससे वह चर्चा का केंद्र बने हुए थे. चाहे ये पुलिस...वाला, या मीडियाकर्मियों को लेकर अभद्र भाषा का मामला हो, उसमें अखिलेश यादव हमेशा आगे रहते हैं. जब अखिलेश यादव का बंगला सरकार ने वापस लिया था, उनके मकान में राज्य संपति विभाग ने टूट-फूट की जानकारी दी तो अखिलेश यादव प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान टोटी लेकर आए थे. उन्होंने दिखाया कि एक टोटी लगी हुई थी, चोरी नहीं हुई है. लेकिन, जब मीडिया ने सवाल किया तब उन्होंने उस पत्रकार को भाजपा का एजेंट बता दिया. इतना ही नहीं पत्रकार के कपड़े पर भी सवाल उठाए कि आपके भगवा रंग के हैं. आप पक्के भाजपाई हैं. अखिलेश यादव यही नहीं रुके. उन्होंने मोदी को केंद्र से हटाने के लिए इंडिया गठबंधन का दामन थामा.
बयानों की वजह से हुआ सियासी नुकसान: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को अपने बयानों की वजह से राजनीति में नुकसान भी उठाना पड़ता है. कभी अपने तो कभी विपक्षी दल तो कभी मीडिया उनको उनकी भाषा के लिए कटघरे में खड़ा करती है, जिससे लगातार वह सोशल मीडिया पर ट्रोल होते हैं. जबकि, इसके विपरीत मुलायम सिंह यादव की भाषा शैली बहुत अच्छी रहती थी. वह हमेशा अपने और दूसरे दलों के नेताओं का सम्मान करते थे. राजनीतिक मतभेद जरूर होते थे. लेकिन, कभी भी वह अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं करते थे और ना ही कभी मीडियाकर्मी से अभद्रता करते थे. यही कारण था कि मुलायम सिंह यादव की लोकप्रियता विपक्षी दलों के साथ-साथ मीडिया में बहुत ज्यादा रहती थी. लेकिन, उनके बेटे होने के बावजूद अखिलेश यादव हमेशा अपने बयानों की वजह से मीडिया में सुर्खियों में रहते हैं.
यह भी पढ़े-नेशनल हेल्थ फैमिली सर्वे में अखिलेश यादव से आगे निकले सीएम योगी, जानिए क्या हुए परिवर्तन