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सपा-बसपा ने विधानसभा में बीजेपी सरकार पर आरक्षण विरोधी होने का लगाया आरोप - लखनऊ

उत्तर प्रदेश विधानसभा बजट सत्र के दौरान सपा-बसपा ने बीजेपी सरकार पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाया. इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि विपक्ष झूठा प्रचार कर रहा है.

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सपा-बसपा ने बीजेपी सरकार पर आरक्षण विरोधी होने का लगाया आरोप
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Published : Feb 19, 2020, 8:14 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा बजट सत्र के दौरान बुधवार को समाजवादी पार्टी ने आरक्षण का मुद्दा उठाया तो बहुजन समाज पार्टी ने इस मुद्दे का समर्थन किया. सपा ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में किसी भी नौकरी में आरक्षण का लाभ पिछड़ों और दलितों को नहीं दिया जा रहा है. इसलिए इस पर नियम 56 के तहत कार्य स्थगन प्रस्ताव लाकर चर्चा की जाए, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर चर्चा कराने से मना कर दिया.

जानकारी देते संवाददाता.

संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि विपक्ष हमेशा मिथ्या प्रचार करने में लगा रहता है. जब भी सदन चलता है तो ज्यादा से ज्यादा समय विपक्षी दल सपा हो या बसपा यह आरोप लगाते रहते हैं कि हमारी सरकार आरक्षण विरोधी है. पिछड़ों को मिलने वाला आरक्षण नहीं मिल पा रहा है. सुरेश खन्ना ने कहा कि पिछड़ों के समर्थन से भाजपा सत्ता में आई है. उन्होंने स्पष्ट किया कि हम आश्वस्त करना चाहते हैं कि योगी सरकार में पिछड़ों और दलितों को मिलने वाला आरक्षण पूरी तरह से सुरक्षित है. उन्हें आरक्षण मिल रहा है. उनके हित की रक्षा की चिंता इस सरकार में की जा रही है.

नेता विरोधी दल रामगोविंद चौधरी ने कहा कि तुगलकी फरमान के विरोध में नियम 56 के तहत कार्य स्थगन के प्रस्ताव को सदन में रखा था. पहले आरक्षण व्यवस्था थी कि अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के छात्र-छात्राएं अगर लोक सेवा आयोग की किसी भी परीक्षा में ऊपर स्थान हासिल करते हैं तो उन्हें सामान्य वर्ग में रखा जाएगा. योगी सरकार ने बदलाव करके यह कर दिया है कि आरक्षण कोटे वाले छात्र कितना भी नंबर हासिल कर लें, उन्हें निर्धारित आरक्षण के तहत ही नौकरी दी जाएगी.

ये भी पढ़ें- विपक्ष तय करे कि जिन्ना की सोच का साथ देना है या महात्मा गांधी की: सीएम योगी

उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत तीन साल से आरक्षण खत्म करने की वकालत कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश में जितनी भी नौकरियां लगी हैं. उनमें भी आरक्षण इस सरकार ने लागू नहीं किया है. स्थाई पद समाप्त करके ठेकेदारी व्यवस्था के तहत नौकरी पर लोगों को रखा जा रहा है. उसमें भी आरक्षण नहीं होने की वजह से पिछड़ों और दलितों को नुकसान हो रहा है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा बजट सत्र के दौरान बुधवार को समाजवादी पार्टी ने आरक्षण का मुद्दा उठाया तो बहुजन समाज पार्टी ने इस मुद्दे का समर्थन किया. सपा ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में किसी भी नौकरी में आरक्षण का लाभ पिछड़ों और दलितों को नहीं दिया जा रहा है. इसलिए इस पर नियम 56 के तहत कार्य स्थगन प्रस्ताव लाकर चर्चा की जाए, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर चर्चा कराने से मना कर दिया.

जानकारी देते संवाददाता.

संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि विपक्ष हमेशा मिथ्या प्रचार करने में लगा रहता है. जब भी सदन चलता है तो ज्यादा से ज्यादा समय विपक्षी दल सपा हो या बसपा यह आरोप लगाते रहते हैं कि हमारी सरकार आरक्षण विरोधी है. पिछड़ों को मिलने वाला आरक्षण नहीं मिल पा रहा है. सुरेश खन्ना ने कहा कि पिछड़ों के समर्थन से भाजपा सत्ता में आई है. उन्होंने स्पष्ट किया कि हम आश्वस्त करना चाहते हैं कि योगी सरकार में पिछड़ों और दलितों को मिलने वाला आरक्षण पूरी तरह से सुरक्षित है. उन्हें आरक्षण मिल रहा है. उनके हित की रक्षा की चिंता इस सरकार में की जा रही है.

नेता विरोधी दल रामगोविंद चौधरी ने कहा कि तुगलकी फरमान के विरोध में नियम 56 के तहत कार्य स्थगन के प्रस्ताव को सदन में रखा था. पहले आरक्षण व्यवस्था थी कि अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के छात्र-छात्राएं अगर लोक सेवा आयोग की किसी भी परीक्षा में ऊपर स्थान हासिल करते हैं तो उन्हें सामान्य वर्ग में रखा जाएगा. योगी सरकार ने बदलाव करके यह कर दिया है कि आरक्षण कोटे वाले छात्र कितना भी नंबर हासिल कर लें, उन्हें निर्धारित आरक्षण के तहत ही नौकरी दी जाएगी.

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उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत तीन साल से आरक्षण खत्म करने की वकालत कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश में जितनी भी नौकरियां लगी हैं. उनमें भी आरक्षण इस सरकार ने लागू नहीं किया है. स्थाई पद समाप्त करके ठेकेदारी व्यवस्था के तहत नौकरी पर लोगों को रखा जा रहा है. उसमें भी आरक्षण नहीं होने की वजह से पिछड़ों और दलितों को नुकसान हो रहा है.

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