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UP Election 2022: अपराधियों को माननीय बनाने में सपा-भाजपा दशकों से अव्वल

उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दलों ने न जाने कितनी शख्सियतों से गलबहियां की हैं, जिन पर हत्या से लेकर बलात्कार तक के गंभीर मामले दर्ज हैं. फिर चाहे वो 3 बार सूबे में सरकार बना चुकी सपा हो, 4 बार सरकार बनाने वाली बसपा या राष्ट्रीय दल कांग्रेस व भाजपा, सभी ने अपराधियों पर भरोसा जताया और उन्हें माननीय बनाया है.

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Published : Jan 31, 2022, 1:01 PM IST

Updated : Jan 31, 2022, 2:00 PM IST

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दलों ने न जाने कितनी शख्सियतों से गलबहियां की हैं, जिन पर हत्या से लेकर बलात्कार तक के गंभीर मामले दर्ज हैं. फिर चाहे वो 3 बार सूबे में सरकार बना चुकी सपा हो, 4 बार सरकार बनाने वाली बसपा या राष्ट्रीय दल कांग्रेस व भाजपा, सभी ने अपराधियों पर भरोसा जताया और उन्हें माननीय बनाया है. एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म की मानें तो 2004 से 2017 तक हुए विधानसभा व लोकसभा चुनावों में चुने गए 1544 में 604 विधायकों-सांसदों ने अपने ऊपर आपराधिक मामलों को घोषित किया था. जिसमें 380 यानी कि 25 फीसद विधायकों और सांसदों ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं.

क्या कहती है ADR रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश इलेक्शन वाच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) उत्तर प्रदेश के 2004 से 2019 तक लोकसभा-विधानसभा चुनाव में सांसद विधायकों और उम्मीदवारों पर अपराधिक मामलों का विश्लेषण किया है. इसमें 2007, 2012 व 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव और 2004, 2009, 2014, 2019 उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव का विश्लेषण है.

ADR रिपोर्ट में खुलासा

2004 से 2019 तक यूपी में लोकसभा व विधानसभा चुनाव लड़ने वाले 21229 में 3739 उम्मीदवारों आपराधिक मामले घोषित किए थे, जो कि कुल संख्या का 18 प्रतिशत है। वहीं 2299 ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये थे जो 11 फीसद है.

इसे भी पढ़ें - फरीदपुर विधानसभा की अलग पहचान, जिस पार्टी का विधायक उसी की प्रदेश में सरकार

वहीं, 2007, 2012, 2017 के यूपी विधानसभा व 2004, 2009, 2014, 2019 के यूपी में लोकसभा चुनाव में चुने गए 1544 विधायक और सांसदों में 604 (39%) के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज थे, वहीं 380 विधायकों-सांसदों ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए थे.

दलउम्मीदवारआपराधिक मामलेगम्भीर अपराध
कांग्रेस1102 325(29%)174 (16%)
भाजपा1410 473 (34%)779 (20%)
बीएसपी1466527 (36%) 345 (24%)
सपा1329541 (41%)325(24%)
निर्दलीय6725612 (9%)389 (6%)

-

दल MP/MLAआपराधिक मामलेगम्भीर अपराध
कांग्रेस88130(35%)18 (20%)
भाजपा573 225 (39%) 163 (28%)
बीएसपी363125 (34%)71 (20%)
सपा432184 (43%)96(23%)
निर्दलीय2015 (75%) 13 (65%)
महिला147 38 (26%)

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक साफ छवि के साथ चुनाव जीतने की सिर्फ 5% संभावना होती है, वहीं आपराधिक मामलों के साथ चुनाव जीतने की 16% संभावना है. दलों की बात करें तो आपराधिक मामलों के साथ जीतने की भाजपा की 48%, कांग्रेस की 10% बीएसपी की 24% व सपा की 34% संभावना है. चुनाव आयोग ने 27 अक्टूबर, 2006 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चिट्टी लिखकर कहा था कि 'यदि जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 में जरूरी बदलाव नहीं किए गए तो वह दिन दूर नहीं जब देश की संसद और राज्यों की विधानसभा में दाऊद इब्राहीम और अबू सलेम जैसे लोग बैठेंगे.

सभी क्षेत्रीय व राष्ट्रीय दलों की गोद में बैठे तमाम नेताओं की गूंज सुनाई देती है, जो अपराध में गले तक डूबे हैं. इसके बावजूद सभी राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर इल्जामों की झड़ी लगा रहे हैं. ऐसे में प्रदेश में चुनावी तपिश चरम पर है. भाजपा, सपा पर दंगाइयों व माफियाओं को टिकट देने का आरोप लगा रही है तो समाजवादी पार्टी उस पर अपराधियों को संरक्षण के आरोपों भरे तीर मार रही है. अब इस बीच एडीआर की रिपोर्ट ने ये बता दिया है कि अपराधियों को अपनी गोद में बैठाने में सभी राजनीतिक दलों की स्थिति एक सी है.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दलों ने न जाने कितनी शख्सियतों से गलबहियां की हैं, जिन पर हत्या से लेकर बलात्कार तक के गंभीर मामले दर्ज हैं. फिर चाहे वो 3 बार सूबे में सरकार बना चुकी सपा हो, 4 बार सरकार बनाने वाली बसपा या राष्ट्रीय दल कांग्रेस व भाजपा, सभी ने अपराधियों पर भरोसा जताया और उन्हें माननीय बनाया है. एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म की मानें तो 2004 से 2017 तक हुए विधानसभा व लोकसभा चुनावों में चुने गए 1544 में 604 विधायकों-सांसदों ने अपने ऊपर आपराधिक मामलों को घोषित किया था. जिसमें 380 यानी कि 25 फीसद विधायकों और सांसदों ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं.

क्या कहती है ADR रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश इलेक्शन वाच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) उत्तर प्रदेश के 2004 से 2019 तक लोकसभा-विधानसभा चुनाव में सांसद विधायकों और उम्मीदवारों पर अपराधिक मामलों का विश्लेषण किया है. इसमें 2007, 2012 व 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव और 2004, 2009, 2014, 2019 उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव का विश्लेषण है.

ADR रिपोर्ट में खुलासा

2004 से 2019 तक यूपी में लोकसभा व विधानसभा चुनाव लड़ने वाले 21229 में 3739 उम्मीदवारों आपराधिक मामले घोषित किए थे, जो कि कुल संख्या का 18 प्रतिशत है। वहीं 2299 ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये थे जो 11 फीसद है.

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वहीं, 2007, 2012, 2017 के यूपी विधानसभा व 2004, 2009, 2014, 2019 के यूपी में लोकसभा चुनाव में चुने गए 1544 विधायक और सांसदों में 604 (39%) के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज थे, वहीं 380 विधायकों-सांसदों ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए थे.

दलउम्मीदवारआपराधिक मामलेगम्भीर अपराध
कांग्रेस1102 325(29%)174 (16%)
भाजपा1410 473 (34%)779 (20%)
बीएसपी1466527 (36%) 345 (24%)
सपा1329541 (41%)325(24%)
निर्दलीय6725612 (9%)389 (6%)

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दल MP/MLAआपराधिक मामलेगम्भीर अपराध
कांग्रेस88130(35%)18 (20%)
भाजपा573 225 (39%) 163 (28%)
बीएसपी363125 (34%)71 (20%)
सपा432184 (43%)96(23%)
निर्दलीय2015 (75%) 13 (65%)
महिला147 38 (26%)

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक साफ छवि के साथ चुनाव जीतने की सिर्फ 5% संभावना होती है, वहीं आपराधिक मामलों के साथ चुनाव जीतने की 16% संभावना है. दलों की बात करें तो आपराधिक मामलों के साथ जीतने की भाजपा की 48%, कांग्रेस की 10% बीएसपी की 24% व सपा की 34% संभावना है. चुनाव आयोग ने 27 अक्टूबर, 2006 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चिट्टी लिखकर कहा था कि 'यदि जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 में जरूरी बदलाव नहीं किए गए तो वह दिन दूर नहीं जब देश की संसद और राज्यों की विधानसभा में दाऊद इब्राहीम और अबू सलेम जैसे लोग बैठेंगे.

सभी क्षेत्रीय व राष्ट्रीय दलों की गोद में बैठे तमाम नेताओं की गूंज सुनाई देती है, जो अपराध में गले तक डूबे हैं. इसके बावजूद सभी राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर इल्जामों की झड़ी लगा रहे हैं. ऐसे में प्रदेश में चुनावी तपिश चरम पर है. भाजपा, सपा पर दंगाइयों व माफियाओं को टिकट देने का आरोप लगा रही है तो समाजवादी पार्टी उस पर अपराधियों को संरक्षण के आरोपों भरे तीर मार रही है. अब इस बीच एडीआर की रिपोर्ट ने ये बता दिया है कि अपराधियों को अपनी गोद में बैठाने में सभी राजनीतिक दलों की स्थिति एक सी है.

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Last Updated : Jan 31, 2022, 2:00 PM IST
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