प्रयागराज: मौनी अमावस्या के दूसरे शाही स्नान पर भगदड़ की वजह से संकट के बदले मंडराए थे, जिसके बाद अखाड़ा परिषद ने पहले अमृत स्नान को रद्द कर दिया था, लेकिन बाद में प्रशासनिक और मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद अमृत स्नान पूरा किया गया. हालांकि, अमृत स्नान की वह भव्यता नहीं दिखाई दी, जिसके लिए उसे जाना जाता है. शुरुआत में तो महानिर्वाणी और अटल अखाड़े ने बहुत ही सादगी के साथ अपनी पेशवाई को निकाला, लेकिन इसके बाद निरंजन और आनंद अखाड़े सहित जूना अखाड़े ने थोड़ी भव्यता दिखाई थी लेकिन, इस बार बसंत पंचमी यानी सोमवार को होने वाले शाही स्नान में एक बार फिर से वही पुरानी भव्यता और दिव्यता दिखाई देगी.
सोमवार बसंत पंचमी के लिए होने वाले स्नान को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी का कहना है कि मौनी अमावस्या को जो घटना हुई, वह बेहद दुखद थी. इसलिए हमने अपने अमृत स्नान की पेशवाई को बहुत ही सादगी के साथ निकलने का निर्णय लिया था. सभी ने उसमें साथ भी दिया और वह भव्यता दिखाई नहीं दी थी. जिसके लिए अमृत स्नान की पेशवाई को जाना जाता है, लेकिन सोमवार को होने वाली पेशवाई बहुत ही भव्य और दिव्य तरीके से निकल जाएगी. हमारे नागा संन्यासी आगे-आगे शस्त्रों का प्रदर्शन करते हुए चलेंगे और जितने भी, संत महामंडलेश्वर और श्री संत के अलावा अखाड़े से जुड़े बड़े पदासीन संत हैं, वह बड़े-बड़े रथों पर सवार होकर निकलेंगे. पूरी तरह से बैंड बाजा और आतिशबाजी के साथ पेशवाई का भाव और दिव्य स्वरुप दिखाई देगा.
उन्होंने बताया कि सुबह लगभग 5 बजे से स्नान की शुरुआत हो जाएगी. एक के बाद एक अखाड़े स्नान करते रहेंगे, जो वह कम पहले था, उसी क्रम में स्नान होगा. जिसमें पहले महानिर्वाणी और उससे जुड़े अखाड़े के बाद निरंजनी, आनंद और जूना अखाड़ा स्नान करेगा. पहले शैव संप्रदाय फिर, वैष्णव संप्रदाय के अखाड़े स्नान करेंगे. यह कम सुबह 5 से लेकर दोपहर 3 बजे तक जारी रहेगा. क्रमवार अलग-अलग अखाड़े स्नान करने के लिए पहुंचेंगे. हर अखाड़े के साथ बड़ी संख्या में नागा संन्यासियों की सेना भी मौजूद रहेगी जो आगे आगे चलेगी.
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