लखनऊ : कहते हैं कि राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता. जहां अपना फायदा होता है वहां कोई भी नियम कायदा नहीं होता. उत्तर प्रदेश की राजनीति में ऐसे तमाम उदाहरण सामने आ चुके हैं. चाहे समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन हो या फिर रालोद और समाजवादी पार्टी का गठबंधन. दोनों पार्टियों ने अपने फायदे के लिए सारे नियम कायदे ताक पर रख दिए. अब राजनीति में एक और उदाहरण सामने आने को तैयार है. यह है राष्ट्रीय लोक दल के मुखिया जयंत चौधरी का. जयंत धीरे-धीरे अपने पिता स्वर्गीय अजीत चौधरी के पदचिह्नों पर चलने लगे हैं. जिस तरह सत्ता से बहुत दिन तक दूर न रहने की आदत के चलते चौधरी अजीत सिंह किसी भी पार्टी से हाथ मिला लेते थे उसी तरह अब जयंत चौधरी भी अपने फायदे का सौदा करने में माहिर हो रहे हैं. चर्चा गर्म है कि आगामी लोकसभा चुनाव जयंत चौधरी की पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर लड़ेगी. विपक्ष से जयंत दूरी बनाएंगे. हालांकि भारतीय जनता पार्टी के साथ जाने की बात को राष्ट्रीय लोक दल के नेता सिरे से खारिज कर रहे हैं.
राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे स्वर्गीय चौधरी अजीत सिंह केंद्र में यूपीए और एनडीए की सरकारों का हिस्सा रहे थे. वीपी सिंह सरकार में भी मंत्री रहे. अटल बिहारी वाजपेई सरकार में और मनमोहन सिंह के साथ ही पीवी नरसिम्हा राव सरकार में भी उन्होंने मंत्री पद संभाला था. कृषि मंत्री से लेकर उड्डयन मंत्री तक की जिम्मेदारी चौधरी अजीत सिंह को सरकारों ने सौंपी थी. केंद्र में मंत्री रहने की नाते उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल को पहचान मिली, मजबूती मिली. हालांकि लगातार पला बदलने से चौधरी अजीत सिंह को नुकसान भी उठाना पड़ा था. खुद भी चुनाव हारे, पार्टी की भी दुर्दशा हो गई थी, लेकिन राजनीति में जब चौधरी अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी ने कदम रखा तो उन्होंने भी अपने पिता चौधरी अजीत सिंह के नक्शे कदम पर ही चलने को अहमियत दी. अपने फायदे के लिए उन्होंने भी गठबंधन का सहारा लेना शुरू कर दिया और पहली बार में ही उन्हें इसका फायदा मिला भी.
अपने निजी और पार्टी के फायदे के लिए राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी से 2022 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन किया. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी को गठबंधन में 33 सीटें दी थीं. चुनाव संपन्न हुए और जब नतीजा आया तो राष्ट्रीय लोकदल को एक या दो नहीं बल्कि आठ विधानसभा सीटें जीतने में सफलता मिली. आठ विधायक जीतकर सदन में पहुंच गए. उसके बाद अखिलेश से तारतम्य बिठाकर जयंत चौधरी स्वयं राज्यसभा सांसद बन गए. इसके बाद एक और सीट पर उपचुनाव हुआ इसमें भी राष्ट्रीय लोक दल के उम्मीदवार की जीत हुई तो कुल मिलाकर पार्टी के नौ विधायक हो गए और एक राज्यसभा सांसद. इस तरह जयंत को अखिलेश से गठबंधन का भरपूर फायदा हुआ.
बीजेपी से गठबंधन का सवाल ही नहीं
राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्रनाथ त्रिवेदी का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी लगातार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में समरसता अभियान चला रहे हैं 1600 गांवों तक भी पहुंचे हैं. इसी से बीजेपी डरी हुई है और इस तरह की बातें बीजेपी की तरफ से फैलाई जा रही हैं. भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता. उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल का समाजवादी पार्टी से गठबंधन है. पार्टी 2024 का लोकसभा चुनाव विपक्ष के साथ ही मिलकर लड़ेगी. यह सिर्फ कयासबाजी है कि राष्ट्रीय लोक दल के मुखिया जयंत चौधरी की भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से मुलाकात हो चुकी है और वे भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. पटना में हुए विपक्ष के सम्मेलन में निजी कारणों की वजह से नहीं पहुंच पाए थे, लेकिन अब जो भी विपक्ष की बैठक होने वाली है उसमें जयंत चौधरी जरूर पहुंचेंगे. इससे कयासों पर विराम लग जाएगा.
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